जिम्मेदार उदासीन : नहीं बढ़ सका नगर निगम गठन का मामला …!

जिम्मेदार उदासीन, वर्ष 2016 में हुई थी कवायद …

भिण्ड. आबादी और अधोसंरचना के लिहाज से जरूरी मानक पूरे करने के बावजूद नगरपालिका भिण्ड को छह साल बाद भी निगम घोषित नहीं किया जा सका है। निगम बनाने को लेकर बातें और वादे तो बहुत हुए, लेकिन अमल पर कवायद अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाई। इसके लिए जहां राजनीतिक उथल-पुथल एक बड़ा कारण रहा वहीं सरकार बदलने के बाद जन प्रतिनिधियिों की प्राथमिकताएं भी बदलती रहीं। निगम बनेगा तो शहर के विकास को पंख लग सकते हैं। हालांकि इसके लिए जनता का जन प्रतिनिधियों पर दबाव भी उम्मीद के अनुरूप नहीं बन पाया।

अब चुनावी वर्ष में एक बार फिर नगर निगम के गठन की संभावनाएं बनने लगी हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी पूर्व प्रक्रिया पर उदासीनता बरकरार है। नगरपालिका ने तो वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह एवं नगरपालिका अध्यक्ष कलावती वीरेंद्र मिहोलिया के कार्यकाल में निवेश क्षेत्र बढ़ाने (आसपास के गांवों में नगरीय क्षेत्र में शामिल करने) का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेज दिया था। अक्टूबर 2018 में राज्य मंत्रिमंडल ने भी इस प्रस्ताव को सहमति देकर नगर निगम गठन की घोषणा कर दी थी। लेकिन वर्ष 2018 में ही राज्य की सरकार बदली तो जन प्रतिनिधियों के साथ सरकार भी बदल गई। इसके साथ ही निगम गठन की सारी कवायद को बस्ते में बांधकर रख दिया गया।

कांग्रेस सरकार आई और फिर चली गई बाद में भाजपा की सरकार फिर से आ गई, लेकिन निगम गठन की प्रक्रिया चार साल में जहां की तहां अटकी रही।अब चुनावी वर्ष में एक बार फिर नगर निगम के गठन की संभावनाएं बनने लगी हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी पूर्व प्रक्रिया पर उदासीनता बरकरार है। नगरपालिका ने तो वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक नरेंद्र ङ्क्षसह कुशवाह एवं नगरपालिका अध्यक्ष कलावती वीरेंद्र मिहोलिया के कार्यकाल में निवेश क्षेत्र बढ़ाने (आसपास के गांवों में नगरीय क्षेत्र में शामिल करने) का प्रस्ताव पारित कर शासन को भेज दिया था। अक्टूबर 2018 में राज्य मंत्रिमंडल ने भी इस प्रस्ताव को सहमति देकर नगर निगम गठन की घोषणा कर दी थी। लेकिन वर्ष 2018 में ही राज्य की सरकार बदली तो जन प्रतिनिधियों के साथ सरकार भी बदल गई। इसके साथ ही निगम गठन की सारी कवायद को बस्ते में बांधकर रख दिया गया।
कांग्रेस सरकार आई और फिर चली गई बाद में भाजपा की सरकार फिर से आ गई, लेकिन निगम गठन की प्रक्रिया चार साल में जहां की तहां अटकी रही।

फैक्ट फाइल

2.70 लाख के करीब आबादी हो जाएगी इस साल।

39 वार्ड हैं नगरपालिका के वर्तमान में।

45-50 तक वार्ड हो जाएंगे निगम के गठन से।

35 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव है शहर में।

50 हजारे अधिक की आबादी मिलेगी इन गांवों से।

2016 निगम गठन का प्रस्ताव जा चुका है शासन को।

2018 में केबिनेट दे चुकी थी निगम को मंजूरी।

निवेश क्षेत्र का विस्तार का प्रस्ताव हो चुका है पारित, केबिनेट ने भी कर दी भी घोषणा

पंचायतों की एनओसी का कोई प्लान नहीं

नगरपालिका के पास इन गांवों और पंचायतों से निवेश क्षेत्र में शामिल होने के लिए एनओसी प्राप्त करने की कोई ठोस कार्ययोजना नगरपालिका या जनप्रतिनिधियों के पास नहीं है। हालांकि सभी को उम्मीद है कि पंचायतें इसके लिए तैयार हो जाएंगी। निगम के गठन में सबसे बड़ी चुनौती इन गांवों और पंचायतों की एनओसी ही रहेगी।

तीन लाख की आबादी जरूरी

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नगरपालिका क्षेत्र की आबादी 1.97 लाख 585 से अधिक है। वर्तमान में अनुमान के अनुसार नगरपालिका क्षेत्र की आबादी वर्ष 2023 में 2.70 लाख के करीब पहुंच जाएगी। ऐसे में नगरपालिका क्षेत्र से सटे 35 गांवों को नगरीय क्षेत्र में शामिल कर लिया जाए तो आबादी के मुद्दे पर रहम के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इस प्रभाव को उपयोग अन्य सुविधाओं पर किया जा सकेगा। आबादी वर्ष 2031 तक 3.38 लाख तक पहुंचने का अनुमान है।

इन गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव

नपा का निवेश क्षेत्र बढ़ाने के लिए ग्राम रतनूपुरा,, मिहोनी, मुडिय़ाखेड़ा, धरई, चरथर, मानपुरा, जामना, मंगदपुरा, कीरतपुरा, नुन्हाटा, दबोहा, खादरगऊघाट, जामपुरा, अतरसूमा, रछेड़ी, दीनुपरा, कल्यानपुरा, रेमजा, विरधनपुराआदि गांवों को शामिल किया है।

, उदोतपुरा, बख्शीपुरा, कुरथरा, लक्ष्मीपुरा आदि को शामिल करने का प्रस्ताव है।

…तो मुख्यमंत्री को करनी होगी विशेष पहल

निगम गठन के लिए अब अधोसंरचना विकास और आबादी के आधार पर ज्यादा पेंच नहीं आएगा। केवल मुख्यमंत्री को इसमें अपने विशेषाधिकार का उपयोग करना पड़ेगा। यह तभी संभव होगा जब ठोस राजनीतिक पहल हो पाएगी। हालांकि विधायक संजीव सिंह कुशवाह संजू कहते हैं कि राज्य सरकार नगर निगम गठन की प्रक्रिया में हर संभव मदद करेगी।

 

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