मध्य प्रदेश में एक पुलिसकर्मी पर 6.44 लाख का खर्च, फिर भी बढ़ रहे अपराध
मध्य प्रदेश में एक पुलिसकर्मी पर 6.44 लाख का खर्च, फिर भी बढ़ रहे अपराध
MP Police: मध्य प्रदेश में पुलिस पर खर्च तो बढ़ा है, पर आधुनिकीकरण और संसाधन बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया।
भोपाल मध्य प्रदेश में प्रतिवर्ष एक पुलिसकर्मी पर छह लाख 44 खर्च किए जा रहे हैं। 1956 में यह आंकड़ा 486 रुपये था। इसके बाद भी अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पुलिस पर खर्च तो बढ़ा है, पर आधुनिकीकरण और संसाधन बढ़ाने पर जोर नहीं दिया गया। अन्य राज्यों की तरह अपराध रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे और अन्य तकनीक के उपयोग में मध्य प्रदेश पिछड़ा है। पर्याप्त बजट के अभाव में मुखबिर तंत्र भी कमजोर हुआ है। इसके अलावा पुलिस के पास इन्वेस्टिगेशन के लिए अलग से विंग नहीं है।
इस कारण जांच में भी देरी होती है। बता दें कि एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जनजाति के लोगों पर होने वाले अपराध के मामले में मध्य प्रदेश पहले और अनुसूचित जाति पर अपराध के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है। सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। प्रदेश में सड़क हादसों में हर वर्ष करीब 12 हजार लोगों की जान जाती है। ऐसे में पुलिस बल बढ़ाने के साथ ही मौजूदा बल को सशक्त बनाने की भी जरूरत है।
प्रति पुलिसकर्मी इस तरह बढ़ा खर्च
वर्ष – राशि ( रुपये में)
1956- 486
1961- 1399
1971- 3,042
1981- 8,427
1991- 28,557
2001-1,41,480
2011- 2,75,909
2021- 6,44,815
Madhya Pradesh Police: वेतन में ही खर्च हो रहा बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा
पिछले तीन वर्ष से मध्य प्रदेश पुलिस का बजट आठ हजार करोड़ के आसपास है। इसमें 80 प्रतिशत के करीब सिर्फ वेतन-भत्तों में खर्च होता है। अन्य कार्यों के लिए सिर्फ 20 प्रतिशत राशि बचती है। इस कारण अपराधों की रोकथाम में पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध नहीं हो पाता। पुलिस बल से लेकर अन्य संसाधनों की कमी है। 2001-02 में राज्य के कुल बजट में से पुलिस का बजट चार प्रतिशत होता था। अब यह तीन प्रतिशत के आसपास है।