दोस्त के पैसों से खोला चाय का आउटलेट …?

दोस्त के पैसों से खोला चाय का आउटलेट:रीवा के अनुभव के चाय सुट्‌टा बार ने देश-विदेश में बनाई पहचान, 150 करोड़ टर्नओवर

बात 2016 की है। जैसे आजकल की जनरेशन में होता है कि पढ़ाई की, जब कुछ पढ़ाई का नतीजा समझ नहीं आता तो सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर देते हैं। ऐसा ही कुछ हमने भी किया। रीवा में आठवीं तक पढ़ाई के बाद हम इंदौर पहुंचे। यहां कॉमर्स लेकर बीएससी की पढ़ाई की। और उसके बाद सीए की तैयारी की। कैट की तैयारी भी शुरू की, लेकिन अंग्रेजी कमजोरी बनी तो फिर दोस्तों के साथ UPSC की तैयारी शुरू कर दी। तैयारी के साथ बिजनेस सर्च किया, तो चाय ठेलों पर भीड़ नजर आई।

और यहीं से सोच लिया कि चाय की ऐसी चेन बनाएंगे कि दुनिया में ब्रांड बनेगी। ये दिमाग का ख्याल उस वक्त ख्याली पुलाव था, लेकिन जब सोच लिया तो बस दोस्त के जेबखर्च के पैसों से एक चाय का स्टॉल सीमेंट के गोदाम में शुरू कर दिया। घरवालों की नजर में हम तैयारी कर रहे थे, लेकिन हम तो केतली में उबलती चाय की तरह अपने सपनों को पूरा करने के लिए अंदर से खौल रहे थे। दोस्तों और किस्मत दोनों ने साथ दिया। आज इंडिया के साथ दुनिया भर में पहला भारतीय चाय ब्रांड अपनी अलग पहचान बना चुका है। ये कहानी है रीवा के रहने वाले अनुभव दुबे की। अनुभव, चाय सुट्‌टा बार नाम के टी आउटलेट्स के जरिए देश-दुनिया में 470 आउटलेट्स चला रहे हैं। ढाई हजार लोगों के साथ सालाना 150 करोड़ तक उनका टर्नओवर पहुंच गया है।

पढ़िए, अनुभव के संघर्ष से सफलता तक के सफर की कहानी

मैं रीवा शिवप्रसाद दुबे नगर में रहने वाले अनुभव ने 8वीं तक की पढ़ाई रीवा में ही की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर पहुंचे। यहां कॉमर्स लेकर बीकॉम किया। कई प्रयास किए, सीए करने की कोशिश की, आईआईएम में एडमिशन के लिए कैट की तैयारी की, लेकिन अंग्रेजी कमजोर थी, इसलिए छोड़नी पड़ी। फिर हमारे साथी यूपीएससी की तैयारी करने लगे। आमतौर जब किसी का कहीं सिलेक्शन नहीं होता, तो UPSC की तैयारी करने लगते हैं। कई प्रयासों के बाद जब कामयाबी नहीं मिली तो हमने अपनी बाइक में 50-50 रुपए का पेट्रोल डलवाया। अपने फ्रेंड आनंद नायक के साथ बिजनेस के लिए सर्वे शुरू किया। हमने देखा कि चाय के ठेलों पर भीड़ रहती है।

हमारे दोस्त के पास जो पैसे थे। उनसे इंदौर के भंवरकुंआ सबसे पहला चाय का स्टॉल शुरू किया। सीमेंट के गोडाउन में चाय की दुकान खोली। हमारे पास पैसे नहीं थे तो हमने एक डेढ़ महीने तक दुकान का कोई बोर्ड नहीं लगाया। हमारे ज्यादातर ग्राहक स्टूडेंट्स थे, उनके भीतर एक क्यूरोसिटी डेवलप करने के लिए किसी डिफ्रेंट टाइप के नाम की तलाश थी। सोच विचार के बाद चाय सुट्‌टा बार नाम रख दिया, लेकिन हम न तो सुट्‌टा जैसी कोई चीज अपने यहां रखते हैं और न ही किसी को पीने देते हैं। इंदौर के भंवरकुंआ से शुरू हुआ चाय सुट्‌टा बार इंडिया के कई शहरों से होते हुए दुबई, ओमान, मस्कट, नेपाल में फ्रेंचाइजी देकर चला रहे हैं।

लोग अब अनुभव के साथ सेल्फी लेने के लिए लालायित रहते हैं।

उस वक्त हमारी उम्र कोई 21-22 साल की थी, जैसे सब सोचते हैं वैसे ही हम चाहते थे कि मैकडॉनाल्ड्स, केएफसी, स्टारबक्स जैसी विदेशी कंपनियां जब हमारे देश में काम कर रही हैं तो हमारे देश का कोई ऐसा नाम क्यों नहीं हैं? जिसका विदेशों में नाम हो। अब तक चाय सुट्‌टा बार के इंडिया में 470 आउटलेट्स हो गए हैं। इसके बाद दुबई, नेपाल, मस्कट, ओमान, लंदन, यूके, यूएसए, कनाडा में भी आउटलेट्स शुरू कर रहे हैं। हमारे साथ 2500 लोग काम कर रहे हैं। सभी आउटलेट्स का टर्नओवर देखें तो 150 करोड़ के लगभग है।

मप्र के युवाओं को कराएंगे इंटर्नशिप

दो दिन पहले मप्र सरकार द्वारा शुरू किए गए मुख्यमंत्री युवा इंटर्नशिप प्रोग्राम में सिलेक्ट हुए युवाओं को अनुभव इंटर्नशिप में मदद करेंगे। अनुभव कहते हैं कि जो भी युवा अच्छा काम करेंगे उन्हें हम अपनी कंपनी में जॉब देंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में अनुभव ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन नीति संस्थान से एमओयू भी साइन किया है।

युवाओं में छाए अनुभव

अनुभव बताते हैं कि रीवा जैसे इलाके से आकर बिना किसी बिजनेस बैकग्राउंड के सिर्फ दोस्तों के सहारे इतना बड़ा बिजनेस मॉडल बन जाएगा। ये सोचने में बहुत संघर्ष याद आता है। जहां भी जाता हूं, लोग सेल्फी के लिए जिद करते हैं। भोपाल में भी अनुभव के दौरे के वक्त युवा उनके साथ सेल्फी लेने फोटो खिंचाने के लिए लड़ते देखे गए।

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