दवाओं के साइड इफेक्ट:प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र कर रहे इन दवाओं का लगातार इस्तेमाल, सामने आने लगे हैं साइड इफेक्ट्स

कॉन्संट्रेशन बढ़ाने के लिए बिना डॉक्टरी सलाह के कई महीनों से ले रहे थे दवाएं, अब न तो नींद आती है और न पढ़ाई में मन लगता है, हाथ भी कंपकंपाने लगे हैं …

इन हालात से उभरने के लिए छात्रों को मनोचिकित्सक और चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि कुछ छात्र इन दवाओं के पर्चे लिखवाने डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। अगर समय रहते छात्रों ने इन दवाओं का सेवन बंद नहीं किया तो इनको भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए किया जाता है इन दवाओं का उपयोग

  • स्लीप पैरालिसिस के मरीजों को अलर्ट रखने के लिए यह दवाइयां दी जाती है।
  • नाइटशिफ्ट वर्कर्स को शिफ्ट बदलने पर नींद नहीं आए इसलिए देते हैं।
  • दूसरे देश जाने पर टाइम जोन चेंज होता है तब उबासी न आए इसलिए देते हैं।

ज्यादा जागने के लिए दवा लेने से हुई परेशानी

  1. शहर के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में फाइनल ईयर के एक छात्र के कुछ दिनों से हाथ कांपते हैं, नींद नहीं आती। परिजन इलाज कराने ले गए। छात्र ने बताया कि 6 माह से कॉन्संट्रेशन बढ़ाने की दवा ले रहा थी।
  2. शाहपुरा निवासी एक छात्र यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। करीब चार महीने से उसे न नींद आती है, न पढ़ाई में मन लग रहा है। मनोचिकित्सक की सलाह लेने पहुंचा तो पता चला कि ज्यादा जागने के लिए दवा लेने से परेशानी हुई है।

नोट- ऐसी आधा दर्जन से अधिक दवाएं मिलते-जुलते नामों से मेडिकल स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। खबर में दवाओं के नाम लिखने से इनका उपयोग बढ़ सकता है, इसलिए इनके नाम यहां नहीं लिखे गए हैं।

हमीदिया में हर महीने 3 से 4 मरीज आ रहे

हमीदिया के मनोचिकित्सक विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास महीने में तीन से चार मरीज ऐसे आते हैं, जिन्होंने इन नींद भगाने वाली दवाएं खाईं और अब उससे परेशानियां होने लगी हैं। ऐसे मरीजों का इलाज लंबा चलता है।

प्राइवेट डॉक्टर्स के पास दवाई लिखवाने आते हैं

प्राइवेट डॉक्टर्स के पास भी कई बार छात्र ऐसी दवाओं के पर्चे लिखवाने आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जब इन बच्चों से बात करते हैं तो एक बात हमेशा कॉमन होती है कि इंटरनेट से दवाई के बारे में जानकारी मिली थी।

शेड्यूल एक्स ड्रग लिस्ट में हों ये दवाएं

मनोचिकित्सकों की राय है कि इन दवाओं को शेड्यूल एक्स ड्रग लिस्ट में शामिल करना चाहिए। ताकि, इनकी बिक्री को सीमित किया जा सके। इस लिस्ट में शामिल दवाओं की बिक्री का मेडिकल स्टोर संचालक को रिकॉर्ड रखना होता है।

यह बेहद हैरान करने वाली स्थिति है कि छात्र इन दवाओं का सेवन कर रहे हैं। शुरुआत में इनसे फायदा महसूस होता है, लेकिन आगे चलकर घातक परिणाम आते हैं।

सीनियर मनोचिकित्सक

दिमाग को अलर्ट करने वाली ये दवाएं मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिलती हैं। इसकी सेल कम करने के लिए इन्हें शेड्यूल एक्स ड्रग लिस्ट में शामिल करना चाहिए।

मनोचिकित्सक विभाग, जीएमसी

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