इंदौर । आम लोगों को अस्पतालों के भारी-भरकम खर्च से राहत दिलाने के लिए शुरू की गई ‘आयुष्मान भारत योजना’ इन दिनों ‘फर्जी’ से भयाक्रांत है। लोगों को पांच लाख रुपये तक की चिकित्सकीय सहायता देने के अच्छे इरादे के साथ शुरू हुई इस योजना का कोविड काल और उसके बाद इतना जमकर दुरुपयोग हुआ कि अस्पतालों के फर्जी बिल और दस्तावेज सरकार के पास टनों में इकट्ठा हो गए। अब स्थिति यह है कि योजना का लाभ लेना लोहे के चने चबाने जितना मुश्किल है। शहर के 67 सरकारी और निजी अस्पताल योजना से जुड़े थे। छह माह से निजी अस्पतालों का भुगतान रुका तो उन्होंने इलाज से हाथ खींच लिए। नतीजतन रोजाना सैकड़ों लोग अस्पतालों के दरवाजे से लौटाए जा रहे हैं। फर्ज फर्जी पर कब कार्रवाई करता है, यह तो वक्त बताएगा, फिलहाल बीमार को योजना की खींचतान परेशान कर रही है।