पोषक तत्वों को लेकर होना होगा जागरूक

सरकार जनता को विश्वसनीय जानकारी दे, यह वह सशक्त कदम है जिससे जनता सेहत के लिए उचित खाद्य उत्पादों को पहचान पाएगीप्रति 100 ग्राम खाद्य उत्पाद में यदि सोडियम 400 मिलीग्राम से अधिक, तो उसे न खाएं।

भारत इन दिनों सामाजिक रूप से फैलने वाले संक्रामक रोगों से संबंधित स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। ये हैं मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी और हृदय रोग। लाखों लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य दिवस भारत सरकार के लिए समुचित अवसर है कि वह ऐसा कदम उठाए जिससे देश की कुल आबादी लाभान्वित हो।

बदल रहा है खान-पान: उक्त बीमारियों का एक मुख्य कारण है अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का बढ़ता उपभोग, जो आम तौर पर अधिक शर्करा, नमक व वसा युक्त होते हैं। यह समस्या बचपन से ही शुरू हो जाती है, जब शिशुओं को पाउडर वाला दूध या बाजार के सीरियल खिलाए जाते हैं। इसके अलावा बड़े बच्चों और वयस्कों का खान-पान अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य व पेय पदार्थों वाला होता जा रहा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। मार्केटिंग व आधुनिकता के चलते ये उत्पाद रोज के खान-पान में शामिल हो रहे हैं। यह चलन भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है। इस संबंध में भारत को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि यहां भी अमरीका, ब्रिटेन या ऑस्ट्रेलिया जैसा हाल न हो जाए, जहां का 40 से 50 प्रतिशत खान-पान अत्यधिक प्रसंस्कृत है। पैकेटबंद खाद्य सामग्री जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, स्पोर्ट ड्रिंक, बिस्किट, ब्रेकफास्ट सीरियल, चॉकलेट, नूडल्स, पिज्जा और चिप्स वगैरह सभी आयु वर्ग के लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

ब्राजील की अनुसंधान टीम ने एक प्रणाली विकसित की है जिसे ‘नोवा वर्गीकरण’ कहते हैं। इसमें खाद्य समूह औद्योगिक प्रसंस्करण के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं। अक्सर अति स्वादिष्ट उत्पाद तैयार करने की प्रक्रिया में अत्यधिक प्रसंस्करण शामिल होता है। इन्हें खाने से हम स्वयं को रोक नहीं पाते और ये ‘रेडी टु ईट’ सुविधाजनक खाद्य पदार्थ परंपरागत व प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की जगह ले लेते हैं।

इन उत्पादों से बीमार क्यों होते हैं: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ कम गुणवत्ता वाले पोषक तत्वों से बनाए जाते हैं। खाद्य संरचना को नष्ट करते हुए ये प्रसंस्कृत किए जाते हैं और इस प्रक्रिया में खाने से रेशे निकल जाते हैं। इनके लिए प्रयुक्त प्लास्टिक के पैकेटों में रसायनों, रंगों, फ्लेवर, इमल्सिफायर और स्थिरकों का प्रयोग किया जाता है। इन सभी के कारण स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं।

स्टार रेटिंग बनाम स्वास्थ्य चेतावनी: कंपनियां लाभ के लिए काम करती हैं। यह समझ से परे है कि भारत का खाद्य नियामक प्राधिकरण इन खाद्य पदार्थों के पैकेट पर आधे से 5 स्टार देने का प्रस्ताव क्यों रख रहा है बजाय इन पर स्वास्थ्य चेतावनी छापने के। इन उत्पादों की मार्केटिंग पर भी कोई रोक नहीं है। दरअसल कंपनियां नीति निर्माताओं को भ्रमित करती हैं कि उनके खाद्य पदार्थों से भारतीय पारंपरिक खाने पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रस्ताव यह है कि खाद्य उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक है या नहीं, इस संबंध में घोषणा की जाए; जबकि कंपनियां इस कोशिश में हैं कि इस बहस को भारतीय बनाम विदेशी खाने की ओर मोड़ दिया जाए। यह पूरी तरह से भ्रामक प्रचार है। यदि भारत सरकार अस्वास्थ्यकारी खाद्य उत्पादों पर चेतावनी लगाने और इनकी मार्केटिंग पर रोक की नीति अपनाए तो यह भारतीय जनता के लिए स्वास्थ्यकर होगा। हो सकता है फूड इंडस्ट्री की सेहत के लिए यह अहितकर हो। लैटिन अमरीका व यूरोप के कई देशों की सरकारों ने अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर पहले से ही चेतावनी देना शुरू कर दिया है।

भविष्य की राह: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्केटिंग पर प्रतिबंध और जनता के लिए स्वास्थ्य चेतावनी जारी करने संबंधी मापदंड तय किए हैं। एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण) ने उच्च वसा, चीनी या नमक (एचएफएसएस) को परिभाषित किया है। इसके अनुसार, अगर किसी खाद्य उत्पाद में पूरी चीनी या संतृप्त वसा हो जो 10 प्रतिशत से अधिक कैलोरी का हो तो इसे ‘हाई’ माना जाता है। (400 मिलीग्राम से ज्यादा सोडियम वाला 100 ग्राम खाद्य उत्पाद ‘हाई’ कहा जाता है।) भारत सरकार पैकेट के मुख्य भाग पर इसके लेबल लगा सकती है और ऐसे उत्पादों की मार्केटिंग पर रोक लगा सकती है, जो तय सीमा से अधिक वसा, चीनी व नमक वाले खाद्य हैं। सरकार को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। कम से कम जनता को बताना चाहिए कि उसके लिए क्या खाना ठीक है और क्या नहीं।

सरकार द्वारा जनता को विश्वसनीय जानकारी देना वह सशक्त कदम है जिसके सहारे जनता पहचान सकेगी कि कौन-सा खाद्य खाना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा है और क्यों। संभावना है कि ऐसे खाद्यों का सेवन कम करने से सामाजिक संक्रामक बीमारियों के फैलने पर अंकुश लगेगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो पैकेट पर दी जानी वाली पोषक तत्वों की जानकारी को गौर से पढ़ना सीखें जो छोटे अक्षरों में छपी होती है। अगर किसी उत्पाद में दस प्रतिशत से अधिक वसा या चीनी है और सोडियम की मात्रा प्रति 100 ग्राम पर 400 मिलीग्राम से अधिक है तो उसे न खाएं।

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