बच्चों के लिए खतरा न बने सोशल मीडिया

हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं फिर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करूंगा। —वाल्तेयर

इंटरनेट के कारण पूरी दुनिया आदमी की मुट्ठी में आ गई है। इसके बेशुमार फायदे हैं, तो नुकसान भी कम नहीं। इंटरनेट के सहारे आगे बढ़ रही डिजिटल और सोशल मीडिया क्रांति के चलते साइबर अपराध बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसकी चपेट में बच्चे और किशोर भी आ रहे हैं। बच्चों को इस तरह के अपराधों से बचाने के लिए विभिन्न देशों की सरकारें सोशल मीडिया पर नजर रख रही हैं। इसी का परिणाम है कि ब्रिटेन ने चीनी वीडियो ऐप टिकटॉक पर लगभग 130 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बच्चों से जुड़ी निजी जानकारी और डेटा संरक्षण कानून के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है। किसी सोशल मीडिया कंपनी पर पहली बार ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है। गत वर्ष आयरलैंड के डेटा निजता नियामक ने भी इंस्टाग्राम पर 32.7 अरब रुपए का जुर्माना लगाया था। इंस्टाग्राम पर टीनएजर्स के निजी डेटा से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था। इंस्टाग्राम से 13 से 17 साल के बच्चों का निजी डेटा लीक भी हुआ था।

चैटजीपीटी की तरफ बढ़ रही दुनिया को डेटा की सुरक्षा का बंदोबस्त भी करना होगा। सोशल प्लेटफॉर्म और अन्य माध्यमों के जरिए कंपनियां लोगों का डेटा बटोरकर पैसा कमा रही हैं। इस डेटा का दुरुपयोग भी खूब हो रहा है। सोशल मीडिया पर शेयर किए गए बच्चों के फोटो का चाइल्ड पोर्नोग्राफी में दुरुपयोग करने के मामले सामने आने के बाद तो फ्रांस में अभिभावकों को भी बच्चों की अनुमति के बिना उनके फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक पारित किया गया। विभिन्न शोधों में यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों का मानसिक विकास तो अवरुद्ध होता ही है, वे साइबर बुलीइंग के शिकार भी हो जाते हैं। अमरीका के यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि जो बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार-बार चेक करते हैं, उनके ब्रेन का आकार छोटा रहता है।

मोबाइल और सोशल मीडिया की लत से बच्चों में एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। इसलिए बेहतर तो यह है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बच्चों के समय को नियंत्रित किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों से जुड़े किसी भी तरह के डेटा का दुरुपयोग न हो। ब्रिटेन, आयरलैंड और फ्रांस जैसी सतर्कता भारत को भी बरतनी होगी, ताकि कोई सोशल मीडिया कंपनी डेटा का दुरुपयोग करके बच्चों के लिए खतरा पैदा न कर सके।

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