कूनो में 8 चीतों की क्षमता, 20 रख लिए ..!
अधिकारी बोले- 4 से 5 चीते मुकुन्दरा भेजने थे, हमें क्या पता था राजनीति के चलते योजना खटाई में पड़ जाएगी
कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत के बाद यह प्रोजेक्ट विवादों में पड़ गया है। इस बीच नामीबिया के एक्सपर्ट्स के फीडबैक पर आधारित एक रिसर्च में भी चीता प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए गए हैं। ‘कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस’ नामक इंटरनेशनल जर्नल में कहा गया है कि कूनो में 20 चीते भेजने से पहले पार्क की क्षमता का अनुमान नहीं लगाया गया। इसमें कूनो में प्रति 100 वर्ग किमी 3 चीते रखने पर सवाल उठाते हुए। विलुप्त होने की कगार पर खड़ी प्रजाति की पुनः बसाहट का प्लान बनाते समय अधिक सावधानी की जरूरत बताई गई है।
इधर, चीता प्रोजेक्ट से जुड़े वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के पूर्व डीन वाईवी झाला कहते हैं कि हमें पार्क की क्षमता के बारे में पता था। इसीलिए 4-5 चीतों को मुकुन्दरा भेजने का प्लान बनाया था। हम बायोलॉजिस्ट हैं, नहीं पता था कि राजनीति के चक्कर में प्लान खटाई में चला जाएगा।
जानें, चीतों को बाहर भेजना क्यों जरूरी
- एक्सपर्ट्स का कहना है कि खुले जंगलों में प्रति चीता 100 वर्ग किमी जगह की जरूरत।
- 750 वर्ग किमी के कूनो नेशनल पार्क में 20 चीते एक साथ लाकर बसा देना ठीक नहीं।
- संभावना है कि नामीबिया से आए 3 नर ही कूनो के पूरे 750 वर्ग किमी क्षेत्र में टेरेटरी बना लें।
- ऐसे में साउथ अफ्रीका से आए चीतों के लिए टेरेटरी बनाने की जगह ही नहीं बचेगी।
- इस स्थिति में नर-मादा चीते दूर-दूर तक निकलेंगे और मैन-एनिमल कनफ्लिक्ट का शिकार होंगे।
दक्षिण अफ्रीका का रुख न बदल जाए इसलिए सभी को कूनो लाए
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पूर्व डीन वाईवी झाला बताते हैं- मुकुन्दरा के 80 किमी में फेंसिंग में चीतों का प्रजनन कर हम रिसोर्स पापुलेशन डेवलप करना चाहते थे। 4-5 चीते मुकुन्दरा भेजकर कूनो में 14-15 चीते रखे जा सकते थे। अधिक चीते मिले तो हमने कूनो शिफ्ट कर दिए। लगा कहीं बाद में साउथ अफ्रीका का रुख न बदल जाए।
हमें क्षमता पता थी, इसलिए कुछ चीते बाहर भेजने पत्र लिखा
कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत के बाद अब कुछ चीतों को दूसरे अभयारण्य में शिफ्ट किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि पीसीसीएफ जेएस चौहान ने केंद्रीय वन मंत्रालय और टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि चीतों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लिहाजा, चीता एक्शन प्लान के मुताबिक प्लान पर अमल करने की जरूरत है। पत्र में चीतों की मौत संबंधित कोई बात नहीं लिखी गई है।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान कहते हैं- चीतों का दूर निकल जाना स्वाभाविक है। हम पहले ही एनटीसीए को पहले ही पत्र लिख चुके हैं कि कुछ चीते कूनो से बाहर भेज दिए जाएं। कूनो की क्षमता के बारे में सभी को पहले से ही जानकारी है। केंद्र को भी सारी जानकारी दी गई थी। चौहान ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए बड़ी संख्या में स्टाफ की जरूरत होती है।
दरअसल, चीतों के पुनर्वास के लिए चीता एक्शन प्लान बनाया गया था। जिसमें चीतों की संख्या में इजाफा होने या प्रभावित होने की स्थिति में उनके विस्थापन की बात भी है। हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि रविवार को वयस्क चीता उदय की मौत के बाद बैठक की गई थी। इसमें चीतों की मौत और संरक्षण को लेकर विचार मंथन हुआ। साथ ही यह निर्णय लिया गया कि संरक्षण के मद्देनजर पूर्व चिन्हित स्थानों पर भी कुछ चीतों को शिफ्ट किया जाना चाहिए।
कूनो के बाहर क्यों नहीं भेजे जा रहे चीते
- झाला ने कहा- मुकुन्दरा भेजने केंद्र से अनुमति नहीं
- राजस्थान ने कहा- हमसे कोई भी पत्राचार नहीं हुआ
- मप्र के गांधीसागर और नौरादेही अभी तैयार नहीं
- कूनो के 750 वर्ग किमी में शावक मिलाकर 22 चीते हैं