20 फीसदी खाद्य सामग्री में मिलावट ..?

20 फीसदी खाद्य सामग्री में मिलावट, न जुर्माने टिक पा रहे, न सजाएं

 शहर के 20 फीसद लोग अमानक खाद्य सामग्री खा रहे

ग्वालियर. दुनियाभर में 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने के पीछे लोगों को खराब खाने के खतरे को पहचनना व उसके बारे में जान सके। ग्वालियर में इस दिवस का महत्व ही कमजोर पड़ रहा है। ग्वालियर में बिकने वाली 20 फीसदी खाद्य सामग्री मिलावटी व अमानक है। पिछले दो साल में लिए गए खाद्य सामग्री के नमूना रिपोर्ट में यह आंकड़ा सामने आया है। शहर के लोग 20 फीसदी सामग्री अमानक खा रहे हैं। माफिया के खिलाफ जो कार्रवाई की गई, वह न्यायालय में नहीं टिक सकी है। खाद्य विभाग ने जो लाखों रुपये के जुर्माने लगाए, वह हजारों में रह गए। जिन्हें सजा हुई, वे अपर सत्र न्यायालय से दोषमुक्त हो गए। विशेषज्ञ कानून में ही खामी मान रहे हैं, जिससे मिलावट खोरों को राहत मिल जाती है।

Fact

1 अप्रेल 2021 से मार्च 2022 तक सैंपल लिए 1000

179 सैंपल फेल

1 अप्रेल 2022 से मार्च 2023 तक सैंपल लिए 1046

224 सैंपल फेल

दूध, दही, मावा, पनीर सहित अन्य सामग्री में मिलावट है। दूध की सामग्री भिंड व मुरैना से आपूर्ति की जाती है।

सामग्री खाने के सात महीने बाद आती है रिपोर्ट

● खाद्य पदार्थों के जो नमूने लिए जाते हैं, उन्हें जांच के लिए भोपाल भेजा जाता है। क्योंकि ग्वालियर में लैब नहीं है। जब भोपाल की लैब से नमूने आते हैं तो तब तक खाद्य सामग्री को लेकर खा चुके होते हैं।

● ऐसी खाद्य सामग्री जो मानव जीवन के लिए खतरनाक है, उस दुकानदार के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर किया जाता है।

● जो खाद्य सामग्री अमानक है और मानव जीवन के लिए खतरनाक नही है। ऐसी स्थिति में जुर्माने किया जाता है।

● ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर मिलावट का कारोबार है। यहां से प्रदेश सहित देश में सामग्री की आपूर्ति की जाती है।

● त्योहारों पर मिलावट के कारोबार को बड़े पैमाने पर किया जाता है।

न्यायालय में ऐसे पड़ जाते हैं कमजोर

● खाद्य विभाग के परिवाद सालों तक चलते हैं। 2011 में मिलावट खोरों के खिलाफ जो परिवाद न्यायालय में पेश किए थे, उनके फैसले 2022 व 2023 में हुए।

● परिवाद के लंबा समय बीतने के बाद फैसला आया। यदि सजा होती है तो उसकी अपील अपर सत्र न्यायालय में की जाती है। अपर सत्र न्यायालय फैसले की पड़ताल करके अपना फैसला सुनाता है। अधिकतर केसों मेें मिलावट खोरों को राहत मिली है।

● जुर्माने की राशि को दुकानदारों ने जिला न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन जिला न्यायालय में जुर्माने की राशि में बदलाव किया गया। जुर्माने की राशि 25 से 35 हजार के बीच रह गई।

कानून में बहुत कमियां

कानून में कमियां बहुत है। इस वजह से सजा में माफी मिल जाती है, लेकिन खाद्य विभाग जो जुर्माना लगाता है, उसकी राशि दुकानदार की हैसियत से लगाने के लिए अवगत किया है। ताकि जुर्माने के आदेशों में बदलाव न हो।…. लोक अभियोजक

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