निजी स्कूल संचालकों की कमीशनखोरी के खिलाफ आंदोलन …!

कलेक्टर ने सभी स्कूल संचालकों को पांच-पांच दुकान पर किताबें बेचने के दिए थे आदेश …

कलेक्टर के आदेश पर भी नहीं माने नियम …

भिण्ड. प्राइवेट स्कूल संचालकों की कमीशनखोरी के खिलाफ करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने पुस्तक बाजार में शुक्रवार की शाम आंदोलन किया। धरने पर बैठे संगठन के लोगों ने आरोप लगाया कि 50 फीसदी शहर के स्कूल नेहरू बालवाड़ी पुस्तक भंडार से कमीशन पर किताबों का बिक्रय करवा रहे हैं। जबकि कुछ बड़े स्कूल वालों ने खुद के कर्मचारी लगाकर पुस्तक बाजार में दुकानें खुलवा दी हैं। इन दुकानों पर डिकाउंट की बात करने पर पालकों से कहा जाता है कि हम तो कर्मचारी हैं, स्कूल वालों से पर्ची लिखवाकर लाओ तो कम कर लेंगे।

अप्रैल में कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों को पांच-पांच दुकानों पर किताबें व यूनिफार्म विक्रय कराने के निर्देश जारी किए थे। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी ने कहा था कि ऐसे विद्यालय जो मनमानी कर रहे हैं, उन्हें चिह्नित कर नोटिस जारी किए जाएंगे। लेकिन न तो नोटिस जारी किए गए और न हीं कलेक्टर के आदेश का पालन किया जा रहा है।

चल रही कमीशनखोरी

एनसीईआरटी की किताबें तो सस्ती हैं, लेकिन निजी प्रकाशकों की किताबों की कीमत इतनी ज्यादा है कि पालकों को उन्हें खरीदने में ही पसीना आने लगा है। एक बच्चे कोर्स ही 2400 से 3000 रुपए तक में आ रहा है, जबकि केंद्रीय विद्यालय का कोर्स 500 से 800 रुपए के बीच मिल रहा है। यदि पालक मोहभाव करते हैं तो उन्हें दुकानदार किताबें देने से मना कर देता है। क्योंकि दूसरी दुकान पर पुस्तकें उपलब्ध नहीं होती हैं। वहीं 300 से 400 रुपए की यूनिफार्म 600 से 800 रुपए तक बेची जा रही हैं। यदि रुपए कम करवाने के लिए पालक दबाव डालते हैं तो दुकानदार यहां तक कह देते हैं कि स्कूल से लिखवाकर ले आओ, कम कर देंगे।

निजी स्कूलों के कोर्स की स्थिति

कक्षा किताबें मूल्य

1 8 बुक, 10 नोट बुक 2300 रुपए

2 8 बुक, 10 नोट बुक 2500 रुपए

3 8 बुक, 10 नोट बुक 2700 रुपए

4 8 बुक, 10 नोटबुक 2750 रुपए

5 8 बुक, 10 नोटबुक 2800 रुपए

मोटा कमीशन

कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को प्रत्येक स्कूल में अलग-अलग सिलेबस की किताबें मोटे कमीशन पर दुकानों से बेची जा रही हैं। वहीं एनसीईआरटी की किताबों में फिक्स कमीशन होने के कारण ज्यादातर स्कूल वाले इन्हें नहीं पढ़ाते हैं।

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