ग्वालियर : मरीजों का इलाज डाक्टरों की कमीशनखोरी ने महंगा कर दिया….
डाक्टरों का जांच में 70 फीसद तक कमीशन फिक्स, इसलिए महंगा इलाज
मरीजों का इलाज डाक्टरों की कमीशनखोरी ने महंगा कर दिया….
ग्वालियर : मरीजों का इलाज डाक्टरों की कमीशनखोरी ने महंगा कर दिया। कमीशनखोरी बंद हो जाए तो इलाज में होने वाला खर्च 70 फीसद तक कम हो सकता है। नाम न बताने की शर्त पर पैथोलाजी, डायग्नोसिस सेंटर संचालकों का कहना है, बिना कमीशन कोई डाक्टर मरीज नहीं भेजता। मजबूरी में 50 से 70 फीसद तक कमीशन डाक्टरों को देना पड़ता है। जयारोग्य अस्पताल में कमीशनखोरी का खेल जमकर चल रहा है। सरकारी अस्पताल में होने वाली जांच को डाक्टर उतना सही नहीं मानते, जितना उनके बताए सेंटर पर जांच सही मानी जाती है। इसलिए मजबूरी में मरीजों को डाक्टर के बताए अनुसार ही जांच संबंधित सेंटर पर करानी पड़ती है।
इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित डाक्टरों के कमीशनखोरी के लिफाफे की जांच में स्वास्थ्य विभाग की टीम जुट गई है। माना जा रहा है यह लिफाफे समर्थ पैथोलाजी के नहीं, बल्कि नया बाजार स्थित समर्थ डायग्नोसिस सेंटर के थे। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की टीम सोमवार को समर्थ डायग्नोसिस सेंटर पहुंची और उनसे मरीजों की सूची मांगी है। साथ ही कंपू थाना पुलिस से पकड़े गए लिफाफों की जानकारी मांगी गई है। ऐसे समझें क्यों सस्ता होगा इलाज: आरोग्यधाम में अल्ट्रासाउंड 400 रुपये में होता है। वही
अल्ट्रासाउंड निजी लैब पर 900 से 1500 रुपये में होता है। आरोग्यधाम में सीटी की जांच 850 रुपये से शुरू होती और तीन हजार रुपये तक में सिर, पेट व छाति की जांच हो जाती है। यही जांच निजी लैब पर दो हजार से सात हजार रुपये में होती है। निजी लैब पर मरीज को भेजने वाले डाक्टर का कमीशन 70 फीसद तक होता है। कमीशन का पूरा खर्च मरीज के सिर आता है। यह विशेषज्ञ डाक्टर सबसे ज्यादा जांच करवाते: न्यूरोलाजी, न्यूरोसर्जरी, स्त्री एवं प्रसूतिरोग विशेषज्ञ, मेडिसिन, ह्दयरोग विशेषज्ञ, टीबी एंड चेस्ट, पीडियाट्रिक आदि के डाक्टर सर्वाधिक जांच करवाते हैं। न्यूरोलाजी, न्यूरो सर्जरी, टीबी एंड चेस्ट तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा कराई जाने वाली जांच की संख्या व कीमत अधिक होती है।
लिखावट बताएगी कि किसने भेजे लिफाफे
इंटरनेट मीडिया पर सामने आई पोस्ट में जो लिफाफे हैं उनपर डा़ सोनू सिंह पाटिल, सुविधा हास्पिटल, डा़ सीपी लाड़कानी, डा़ रोजा ओल्याई, डा़ पंकज जैन, डा़ मीना व पूजा मूदड़ा, डा़ अर्चना मौर्य आदि डाक्टर के नाम लिखे हुए हैं। इसके अलावा एक पर्ची भी सामने आई है। इसमें मरीज और उनके सामने कमीशन की रकम लिखी है। हर मरीज के नाम के आगे 1000 और 900 रुपये और तारीख लिखी हुई थी। यह नाम किसने लिफाफे पर लिखे। यह लिखावट से मालूम चलेगा कि यह समर्थ डायग्नोसिस के संचालक डा़ अमित जैन की लिखावट है या फिर किसी और की।
चर्चा में यह भी
समर्थ पैथोलाजी और डाक्टरों के बीच कमीशनखोरी चर्चा का विषय है। डाक्टरों का कहना है समर्थ के आगे पैथोलाजी नाम जोड़ा गया है। असल कहानी कुछ और हो सकती है। जेएएच के आसपास संचालित पैथोलाजी और डायग्नोसिस सेंटर के पीआरओ लिफाफे बांटने के लिए जाते हैं। अब तक कोई भी लड़का नहीं पकड़ा गया। इस बार यह कांड हुआ। इसका मतलब यह है किसी ने पकड़वाया है। यह दो सेंटर के बीच का विवाद भी हो सकता है। डाक्टरों का कहना है लिफाफे पर, जो राइटिंग है। वह जेएएच के डाक्टर से मेल खाती है।