डीजीपी ध्यान दें, एसपी लंबित आरोप पत्रों का मूल्यांकन करें ..!
डीजीपी ध्यान दें, एसपी लंबित आरोप पत्रों का मूल्यांकन करें
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस आनंद पाठक ने 36 साल पहले बिकी एक जमीन के विवाद में एफआइआर को निरस्तकर दिया।
ग्वालियर । हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस आनंद पाठक ने 36 साल पहले बिकी एक जमीन के विवाद में एफआइआर को निरस्त करते हुए भाेपाल के डीजीपी को अवगत करवाते हुए कहा कि जोन और सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक, जिला लोक अभियोजकों के साथ मिलकर लंबित आरोप पत्रो का समय समय पर मूल्यांकन करें। विशेष रूप से उन मामलों में जहां सिविल सूट के मामलों को आपराधिक अभियोजन के मामलों में बदलने का प्रयास किया गया हाे। एक बार आरोप-पत्र दाखिल हो जाने के बाद पुलिस अधिकारी मामले को नहीं छोड़ेंगे और शीघ्रता से निष्कर्ष के लिए नियमित रूप से अभियोजकों के संपर्क में रहेंगे।
यह है पूरा मामला
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता समीर कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मामले में 1987 में विदिशा जिले में रहने वाले श्रीचंद भाऊ ने सूरजमल बलेचा से एक जमीन खरीदी थी । जब जमीन को बेचा गया तब किसी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई। लेकिन एक वर्ष के बाद सूरजमल के सगे भाई ने उस पर आपत्ति दर्ज करवा कर उस प्रोपर्टी के मालिकाना हक में अपना नाम भी बताया। मामला कोर्ट में गया और अंत में फैसला श्रीचंद के पक्ष में आया। वर्ष 2008 में सूरज मल की मृत्यु के बाद कुछ समय बीता और उनके बेटों ने उस जमीन की बिक्री को यह कहकर गलत ठहराया कि उनके पिता उस जमीन की वसीयत उनके नाम से कर गए है। लेकिन इस बार भी पूरी सुनवाई के बाद फैसला श्रीचंद भाऊ के पक्ष में ही रहा । इसके बाद उस सूरजमल के बेटे ने जमीन की बिक्री को गलत ठहराते हुए 2021 में एक एफआईआर दर्ज करवाई,जिसकी दो वर्ष से अधिक समय बीतने पर भी न तो जांच पूरी हुई और न ही चार्जशीट दायर की गई । इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायालय ने जमीन की बिक्री को सही पाया और एफआईआर को निरस्त कर दिया।