Madhya Pradesh Smart city tender case : वरिष्ठ आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल से पूछताछ कर सकता है ईओडब्ल्यू
भोपाल। स्मार्ट सिटी टेंडर मामले में ईओडब्ल्यू मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल से पूछताछ कर सकता है। 275 करोड़ रुपए का टेंडर जिस कंपनी को दिया गया, वह पांचवें क्रम पर थी। इस मामले में यह भी जांच का विषय है कि सबसे कम निविदा दर होने के बावजूद बीएसएनएल मुकाबले से पीछे क्यों हट गया। बीएसएनएल के 200 में से 175 अंक थे।
ईओडब्ल्यू ने उसे प्राप्त हुई शिकायत को जांच में लिया है, इसलिए मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। स्मार्ट सिटी प्रबंधन से भी मामले से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए गए हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि शिकायत को जांच में लेते ही जांच एजेंसी के सामने कई लोग आकर जानकारियां और दस्तावेज उपलब्ध कराने लगे हैं।
फिलहाल इन सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है, जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ आईएएस विवेक अग्रवाल से भी मामले की पूछताछ हो सकती है। यह मामला वर्ष 2017 का है, तब अग्रवाल नगरीय विकास विभाग में कमिश्नर के रूप में तैनात थे।
केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने प्राइस वाटर हाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की सहयोगी कंपनी एचपीई को ‘मास्टर सिस्टम इंटीग्रेटर फॉर एक्लाउड बेस्ड कामन इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर एंड डिजास्टर रिकवरी सेंटर” प्रोग्राम का टेंडर देकर उपकृत किया। इसके लिए उन्होंने बिना अनुमति और सहमति लिए टेंडर जारी कर दिया।
बताया जाता है कि अग्रवाल का बेटा उसकी सहयोगी कंपनी में जूनियर एसोसिएट है। शिकायत में भी यह भी आरोप है कि इस कंपनी को इस काम का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। डील होने के मात्र छह दिन पहले ही दोनों कंपनियों के बीच एग्रीमेंट हुआ था। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार के दौरान आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल की गिनती सबसे ज्यादा पॉवरफुल अधिकारी के बतौर होती रही है।
आईएएस एसोसिएशन ने जताई आपत्ति, कहा छवि बिगाड़ रही जांच एजेंस
मध्यप्रदेश आईएएस अधिकारी एसोसिएशन की अध्यक्ष गौरी सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ईओडब्ल्यू के मुखिया की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने नगरीय विकास विभाग से जुड़े टेंडर मामले पर यह भी कहा है कि प्रमुख सचिव प्रक्रिया को पारदर्शी बता चुके हैं, लेकिन जांच एजेंसी द्वारा संस्था और व्यक्ति की छवि बिगाड़ने का काम किया जा रहा है। अत: जांच एजेंसियों को इस संबंध में एडवायजरी जारी की जाए।
मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि आजकल जांच एजेंसियों में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारी पब्लिसिटी की खातिर बिना पड़ताल किए ही जानकारियां मीडिया को दे रहे हैं। यह रवैया शासकीय सेवकों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को हतोत्साहित करने वाला है।
साथ ही संस्था और व्यक्ति की छवि को बिगाड़ने का काम भी करता है। पत्र में विवेक अग्रवाल के नाम का जिक्र किए बिना बताया गया है कि ताजा मामला नगरीय विकास विभाग से जुड़े रहे वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा है। इस मुद्दे पर विभाग के प्रमुख सचिव एक रिपोर्ट सौंप चुके हैं, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि मामले में समुचित पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई थी। इसके बावजूद ईओडब्ल्यू के अधिकारी द्वारा विभाग से बिना तथ्य और जानकारी मांगे मीडिया से चर्चा की जा रही है। इसलिए जांच एजेंसियों के लिए समुचित एडवायजरी जारी करने का आग्रह किया गया है।