ग्वालियर संभाग सहित 14 जिलों में 80 प्रतिशत तक आई भू-जलस्तर में गिरावट

ग्वालियर संभाग सहित 14 जिलों में 80 प्रतिशत तक आई भू-जलस्तर में गिरावट

श्योपुर में सर्वाधिक 94 फीसदी तो ग्वालियर में 85.71 फीसदी नीचे खिसका पानी …

केंद्रीय भू-जल बोर्ड की ओर से प्रदेश के 1300 चिह्नित कुंओं के जलस्तर पर की गई स्टडी में सामने आए आंकड़े ..

ग्वालियर। मप्र में भू-जलस्तर तेजी से नीचे खिसक रहा है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार ग्वालियर संभाग सहित प्रदेश के 14 जिलों में 80 से 94% तक भू-जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति ग्वालियर संभाग के श्योपुर जिले की है, जहां 94.44% भू-जलस्तर गिरा है।

यह कहना है साइंस कॉलेज के भू जल विभाग के एचओडी डॉ. सुयष कुमार का। उन्होंने बताया कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड की ओर से प्रदेशभर के 1300 चिन्हित कुओं के जलस्तर के आधार पर की गई स्टडी में जो आंकड़े सामने आए हैं वह न केवल चौकाने वाले हैं बल्कि भविष्य के जल संकट को लेकर डरा भी रहे हैं। भू-जल विशेषज्ञ ने बताया कि ग्वालियर जिले के इन विधनसभा क्षेत्रों में गिर रहा भू-जलस्तर भू-जल सर्वेक्षण इकाई की मई 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक ग्वालियर जिले के भितरवार अंतर्गत बरही, रानी घाटी, आरोन, पाटई सहित 35 गांव घटते भू-जलस्तर से ग्रसित हैं। इन गांवों में एक दशक पूर्व 200 फीट पर पानी मिल रहा था और अब 1000 फीट नीचे पानी मिल पा रहा है। इससे जलस्तर 800 फीट नीचे खिसक गया है। वहीं डबरा-भितरवार में 2.40 मीटर, मुरार में 6 मीटर, घाटीगांव में 1.5 मीटर भू-जलस्तर नीचे खिसका है। वही अन्य जिलो की बात करें तो श्योपुर में तेजी से जल नीचे खिसक रहा है। पानी की यह स्थिति है कि वह श्योपुर जिले में तालाब तो दूर कुओं में भी पानी सूख गया है। गर्मी के मौसम में लोगों के लिए पेयजल आपूर्ति बड़े बोरवेल, टैंकर व अन्य परिवहन के माध्यम से करानी पड़ रही है।

प्रदेश में कुंओं का हाल

जिला कुएं गिरावट

मालवा 14 92.86

दतिया 08 88.89

देवास 23 86.96

डिंडोरी 15 80.00

होशंगाबाद 17 82.35

जबलपुर 35 80.00

मुरैना 13 84.62

रीवा 35 80.00

श्योपुर 18 94.44

टीकमगढ़ 24 91.67

उमरिया 13 92.31

शिवपुरी 29 82.76

ग्वालियर 21 85.71

शाजापुर 18 8.33

नोट : भू जल स्तर गिरावट की संख्या प्रतिशत में है।

मध्य प्रदेश में कठोर चट्टानों के कारण आदर्श स्थिति नहीं बन पाई है। ऐसे में भूमि के अंदर संवर्धन क्षमता कम है। मृतिका जलस्तर को नीचे जाने से रोकता है और बालू पानी को संग्रहित करने का काम करता है। गिरते जलस्तर वाले जिलों में जल संवर्धन के मुकाबले पानी की निकास अधिक होने से भू-जल स्तर गिरने की स्थिति निर्मित हो जाती है। तेजी से गिरते भू-जलस्तर को रोकने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्रभावी ढंग से लागू किए जाने चाहिए। सडक़ निर्माण में सीमेंट कांक्रीट की जगह पेवर ब्लॉक अपनाए जाने की जरूरत है। वही वनों की कटाई पर अंकुश लगने के अलावा अधिक से अधिक पौधरोपण कर वृक्ष तैयार करने होंगे। साथ ही वजूद खो रहे प्राचीन तालाब, बावड़ी व कुए जैसे जलस्त्रोतों को भी पुनर्जीवित करने चाहिए। वहीं प्रत्येक घर में पानी का दुरुपयोग भी रुकना चाहिए।

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