एयर पॉल्यूशन के लिए माइनिंग माफिया भी जिम्मेदार !

एयर पॉल्यूशन के लिए माइनिंग माफिया भी जिम्मेदार !
स्मॉग का ठीकरा पराली पर थोपने की रणनीति, अकेले महेंद्रगढ़ जिले में डेढ़ सौ से ज्यादा जगह अवैध खनन

हरियाणा में अवैध खनन एक कड़वा सच है। खनन माफिया और अफसरशाही के गठजोड़ के चलते इस पर रोक नहीं लग पा रही। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) से लेकर सुप्रीम कोर्ट के तमाम सख्त निर्देश इनके आगे फेल नजर आते हैं। अगर महेंद्रगढ़ जिले की बात करें तो यहां पराली ना के बराबर जलाई जाती है। इस इलाके में एयर पॉल्यूशन की मुख्य वजह धड़ल्ले से होने वाल अवैध खनन ही है। अकेले महेंद्रगढ़ जिले में डेढ़ सौ से ज्यादा जगह पर अवैध माइनिंग होती है।

दिल्ली-NCR समेत महेंद्रगढ़ जिले में पिछले लगभग दो हफ्तों से बढ़ते एयर पॉल्यूशन के कारण आम लोगों का सांस लेना दूभर हो चुका है। इसी वजह से मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट को एक बार फिर हरियाणा, पंजाब, UP और राजस्थान सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी देनी पड़ी। इसके पहले NGT ने कई बार आदेश जारी कर अरावली की पहाड़ियों में चल रहीं कई खनन साइट्स बंद करने के निर्देश दिए मगर इन पर अमल नहीं हुआ।

सुप्रीम कोर्ट व NGT की सख्ती और बढ़ते एयर पॉल्यूशन के बीच महेंद्रगढ़ की डीसी मोनिका गुप्ता ने जिले में चलने वाले सभी क्रशर, माइंस और कंस्ट्रक्शन से जुड़े कामों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही जिले में धारा 144 लागू कर दी गई। यह रोक आगामी आदेश तक जारी रहेगी।

NCR में माइनिंग माफिया बेहद ताकतवर
हरियाणा के नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में आते गुरुग्राम, फरीदाबाद, नांगल चौधरी, नूंह और बहादुरगढ़ इलाकों में खनन माफिया बेहद ताकतवर और प्रभावशाली है। नूंह में जिस तरह डीएसपी के ऊपर डंपर चढ़ाकर उसकी हत्या की गई, उसके बाद खनन माफिया का खौफ इन इलाकों के सभी थानों-चौकियों में कायम है। यहां थानों में पुलिसवालों की ज्यादातर तैनाती खनन माफिया की पसंद से ही होती है।

हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दावा किया है प्रदूषण को देखते हुए क्रशर बंद करवा दिए गए हैं।
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दावा किया है प्रदूषण को देखते हुए क्रशर बंद करवा दिए गए हैं।

विभाग के पास स्टाफ नहीं
हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों खनन विभाग को तकरीबन डेढ़ दर्जन कर्मचारी उपलब्ध कराए लेकिन अवैध खनन को पूरी तरह से रोकने के लिए इससे कई गुना अधिक स्टाफ की जरूरत है। यही वजह है कि खनन विभाग हर बार अपने पास प्रशासनिक अमला न होने की दुहाई देकर कार्रवाई से पल्ला झाड़ लेता है।

गठजोड़ को तोड़ने की कोशिश
हरियाणा में सरकार चाहे किसी की हो, खनन माफिया सत्ता तक पहुंच बना ही लेता है। हालांकि मौजूदा सीएम मनोहरलाल खट्टर और उनकी सरकार इस गठजोड़ को तोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं मगर सत्ता में बैठे कुछ लोगों के कारण ही इसमें पूरी तरफ सफलता नहीं मिल पा रही। रही-सही कसर मलाईदार पोस्टों पर बैठे अफसर पूरी कर देते हैं।

जानबूझकर कम दिए जाते हैं पट्‌टे
लोगों को घर बनाने के लिए रेत, बजरी, पत्थर, बालू, सीमेंट और सरिये की जरूरत होती है। रेत, मौरंग, बदरपुर, गिट्टी और बोल्डर की जरूरत या खपत के हिसाब से माइनिंग के पट्टे दे दिए जाएं तो डिमांड और सप्लाई में गैप नहीं रहेगा और अवैध माइनिंग की नौबत नहीं आएगी मगर ऐसा होता नहीं।

सत्ता में बैठे लोगों और अफसरशाही से खनन माफिया के मेल-मिलाप की वजह से पूरे पट्‌टे जारी नहीं किए जाते। दरअसल सरकारी पट्‌टों की संख्या बढ़ते ही माइनिंग से होने वाली इनकम सरकारी खजाने में जाना शुरू हो जाएगी और माइनिंग माफिया की काली कमाई बंद हो जाएगी। इसलिए खनन माफिया भी नहीं चाहता कि ज्यादा पट्‌टे जारी हों।

माफिया की वर्किंग फिल्मों में दिखाए जाने वाले स्टाइल से अलग
माइनिंग माफिया शब्द सुनकर जेहन में फिल्मों के अंदर हथियारबंद लोगों से घिरे किसी डॉन जैसी तस्वीर उभरती है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। माइनिंग माफिया की वर्किंग इससे बिल्कुल उल्ट है। इसमें सरकार से जमीन के एक फिक्स हिस्से पर खनन की अनुमति ली जाती है। सरकार की ओर तय टैक्स चुकाने के बाद यह परमिशन मिल जाती है।

असली खेल ये परमिशन मिलने के बाद शुरू होता है। धीरे-धीरे माइनिंग माफिया अपनी साइट के आसपास के बड़े इलाके में खनन करना शुरू कर देता है। इससे होने वाली कमाई का कुछ हिस्सा अफसरशाही और सत्ता में बैठकर संरक्षण देने वाले लोगों तक भी पहुंचता है। देश में खनन का इतिहास 6 हजार साल पुराना है और 1994 में इससे जुड़े कानूनों में कुछ संशोधन किए गए।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा- सारे क्रशर और खदान बंद
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के RO कृष्ण यादव का दावा है कि बढ़ते एयर पॉल्यूशन को देखते हुए सभी क्रशर और खदान बंद करवा दी गई है। इसके बावजूद अगर कोई चोरी-छिपे क्रशर चलाता पाया गया तो उसके खिलाफ पर्यावरण रक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। ऐसे क्रशर सील कराए जाएंगे

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