क्या मुसलमान उत्तरप्रदेश छोड़ देंगे ?
क्या मुसलमान उत्तरप्रदेश छोड़ देंगे ?
उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है । 24 करोड़ आबादी वाले इस सूबे में कोई चार करोड़ मुसलमान हैं लेकिन राज्य विधानसभा और लोकसभा में सत्तारूढ़ भाजपा की और से इस बड़ी आबादी का कोई नुमाइंदा नहीं है । दूसरे दलों से जरूर कुछ विधायक और सांसद जरूर है। उत्तर प्रदेश की आबादी के लिए सूबे की सरकार एक के बाद एक नई मुश्किलें खड़ी कर रही है। सरकार की कोशिश है कि मुसलमान या तो उत्तर प्रदेश छोड़ दें या फिर हिन्दू बन जाएँ।
आप सोच रहे होंगे कि क्या बकवास है ये ! ऐसे कैसे कोई मुसलमानों को उत्तर प्रदेश से बेदखल कर सकता है।? बात तो सही है ,कोई ऐसा चाहकर भी नहीं कर सकता है लेकिन किसी को ऐसी कोशिश करने से तो आप या हम रोक नहीं सकते। यूपी सरकार ने चीन की तर्ज पर पूरे राज्य में मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने की मुहीम छेड़ दी है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक़ सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों की चेकिंग का अभियान सोमवार को चलाया गया। एसपी, एएसपी और सभी सीओ की मौजूदगी में चले अभियान के तहत लाउडस्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों के मानकों को जांचा गया,
कहने को ये अभियान मंदिर और मस्जिदों के लिए एक समान है किन्तु इस आदेश का निशाना मस्जिदें ही हैं। यूपी सरकार का लाउडस्पीकर के खिलाफ ये एक्शन सुबह 5 से 7 बजे तक चलता है. और शाम को भी कुछ समय के लिए चेकिंग की जाती है. 23 नवंबर से ये अभियान शुरू हो गया है और 22 दिसंबर तक चलेगा. सरकार की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि अब तक प्रदेशभर में 61,399 लाउडस्पीकर को चेक किया गया,इनमें से 7,288 लाउडस्पीकर की आवाज कम करवाकर मानक के अनुसार कराई गई। जबकि 3,238 लाउडस्पीकर को हटवा दिया गया।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने इससे पहले मुसलमानों द्वारा उपभोक्ता सामग्री के लिए जारी किये जाने वाले हलाल प्रमाण-पत्र के खिलाफ अभियान चलाया । प्रमाणपत्र जजारी करने वाली संस्थान के खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज कराये और इस प्रमाणीकरण को प्रतिबंधित कर दिया। सूबे की सरकार कहने को सबकी सरकार है और सबका मिलकर विकास करती है ,लेकिन हकीकत में सरकारी खजाने से बाहुसंखयकों की ख़ुशी के लिए अयोध्या में 24 लाख दीपक जलाकर कीर्तिमान रचा जाता है। फिर काशी में देव् दीपावली पर 12 लाख दीपक जलाने और लेजर शो करने की हिमाकत की जाती है। कोई संविधान,कोई क़ानून सरकार को इसके लिए नहीं रोकती। कोई राजनीतिक दल इसके खिलाफ खड़ा नहीं होता,क्योंकि मुद्दा वोट की राजनीति का है।
आपको ध्यान देना होगा कि भाजपा ने परोक्ष रूप से ही नहीं बल्कि खुलकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस कार्रवाई में साथ दिया है । भाजपा ने पांच राज्यों के चुनाव में योगी का पूरा इस्तेमाल किया। यानि यदि पूरे देश में भाजपा की सरकारें बन गयीं तो हर सूबे में मुसलमानों की शामत आ सकती है। योगिराज में राजस्थान की तर्ज पर एक बस कंडक्टर का गला रेतने का जघन्य अपराध भी हो चुका है। ऐसे अपराध सरकार के लिए मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का जरिया बन जाते हैं। मुसलमानों को चिढ़ाने के लिए मुजफ्फर नगर में एक शिक्षण संसथान ने जानबूझकर छात्राओं से बुर्का पहनकर कैटवॉक कराया। इससे धार्मिक नेता भड़के भी लेकिन समझदारों ने बात बिगड़ने से बचा ली।
यूपी में पिछले कुछ साल से ही ये हो रहा है । पहले भी राज्य में भाजपा की सरकारें रहीं। कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री रहे किन्तु किसी ने योगी की तरह कट्टरता का मुजाहिरा नहीं किया। बहन मायावती और भाई अखलेश यादव के राज में भी ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के राज की बातें तो अब इतिहास हो चुकी हैं। भाजपा ने एक तरफ केंद्र में मुसलमान का हितैषी बनते हुए तीन तलाक क़ानून बनवाया ,दूसरी तरफ भाजपा उत्तरप्रदेश में मुसलमानों को परेशान करने के लिए रोज नए बहाने भी खोज रही है। मुसलमानों के मदरसे तो बहुत पहले से भाजपा सरकार के निशाने पर यूपी में भी हैं और असम में भी।
यूपी के मुसलमान संख्या में इतने कम भी नहीं हैं की उन्हें यूपी से खदेड़ा जा सके । योगी राज में मुसलमानों के नेता और मुसलमानों में से ही माफियागिरी करने वालों का हिसाब प्राथमिकता के आधार पर किया जा चुका है । कुछ पुलिस की गोली से मारे जा चुके हैं कुछ को जेल भेजा चुका है। दूसरी तरफ हत्या के आरोपों में उम्रकैद सजा पा सके अमरमणि त्रिपाठी जैसे लोग सरकार की कृपा से बाहर भी आ गए हैं समझ में नहीं आ रहा की होने वाला क्या है। भाजपा सरकार ने राम जन्म भूमि विवाद सुलझने के बाद जितनी दिलचस्पी राम मंदिर बनाने में ली उतनी मस्जिद परिसर के विकास में नहीं ली। लगता है कि राज्य में सरकार किसी एक धर्म और एक समुदाय की है ,न की सभी की।नया साल यूपी का नया चेहरा पेश करने वाला है।