बच्चों के स्कूल कैंपस कैसे हैं? हरे-भरे या सीमेंटेड

बच्चों के स्कूल कैंपस कैसे हैं? हरे-भरे या सीमेंटेड

हाल ही में निपटे चुनाव में मैं और मेरी पत्नी, मुंबई के पवई स्थित सरकारी असीमा स्कूल में बने मतदान केंद्र में वोट डालने पहुंचे, वहां एक नौजवान पैम्फलेट बांट रहा था, जिस पर लिखा था कि कैसे ये सरकारी स्कूल अपने कई कमरे वातानुकूलित बना रहा है। पत्नी वो पैम्फलेट घर ले आईं और हमारे ड्राइवर को पड़ोस के उस वातानुकूलित स्कूल के बारे में बताया, जो अपने लड़के का केजी में दाखिला कराना चाहता था।

पिछले वीकेंड चेन्नई में अपनी सबसे छोटी चचेरी बहन के साथ खरीदारी करते समय ये बातचीत मुझे तब याद आई, जब वो कई फर्स्ट एड आइटम के साथ डिटॉल की एक लीटर की बोतल ले रही थी। इन सामानों की इतनी मात्रा को उसने ये कहकर जायज ठहराया कि प्राइमरी स्कूल में जाने वाले उसके बच्चे स्कूल में खुद को बहुत ज्यादा चोट पहुंचा लेते हैं।

चूंकि बच्चों का स्कूल पास में ही था, तो उसने मुझे स्कूल परिसर दिखाया। हमने देखा कि कई बच्चे खेल की जगह पर खेल रहे थे और कई ट्रैक पर साइकिल चला रहे थे। लेकिन किसी भी बच्चे को स्कूल गेट के दोनों तरफ बने और खूबसूरती से संवारे गए बगीचों में खेलने की इजाजत नहीं थी।

हालांकि स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत उत्कृष्ट का था, लेकिन वहां एक भी छायादार पेड़-पौधे, घास से भरा मैदान, फल-फूल लगे बगीचे नहीं थे और ना ही बाहर क्लास के लिए कोई जगह थी। ज्यादार हिस्सा सीमेंटेड था। ताज्जुब नहीं कि ऐसे स्कूलों में बच्चों को अक्सर चोट लगती है।

सब जानते हैं कि हरियाली से भरपूर स्कूलों को बच्चों को खेलने-सीखने के लिए सुरक्षित माहौल देना चाहिए। पर कई स्कूल कैंपस इसके बिल्कुल उलट हैं, जहां हरियाली का नामो-निशान तक नहीं होता। विशेषज्ञ मानते हैं कि हर जगह सीमेंटेड स्कूल प्रांगण शिक्षा, स्वास्थ्य और उनकी वैलबीइंग के लिए घातक हैं।

कठोर सतह वाले स्कूलों का पूरा परिसर गर्मी को अवशोषित और विकीर्ण करता है, जिससे कक्षाएं ज्यादा गर्म हो जाती हैं, जिससे गर्मी से जुड़ी बीमारियां, डिहाइड्रेशन और बाकी खेलने से भी चोट लगती है। लेकिन हममें से कितने लोग स्कूल परिसर पर ध्यान देते हैं, हरियाली से दूर ये बंजर कैंपस हमेशा गर्म रहते हैं, फेंसिंग होती है और स्कूल के हर कोने को पक्का कर दिया जाता है ताकि स्टाफ और आगुंतकों की ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां खड़ी की जा सकें?

यही कारण है कि अमेरिका के कैलिफोर्निया में शिक्षक, प्रशासक, पर्यावरणविद्, सामुदायिक समूह आग्रह कर रहे हैं कि स्कूल की हरियाली परियोजनाओं के लिए कम से कम 1 अरब डॉलर अलग रखे जाएं, जिसमें सीमेंट हटा दिया जाए व उसकी जगह ग्रीन स्पेस बनाएं।

इस वर्ष कैलिफोर्निया के कानून निर्माता स्कूलों के निर्माण व मरम्मत पर 13 अरब डॉलर खर्च कर रहे हैं, लेकिन ये भी सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि इस प्रक्रिया में बच्चों को छायादार पेड़-पौधे व घास के साथ खेलने का मैदान मिले न कि क्ले। अधिकारी इसकी वकालत करते हैं कि वे मौजूदा ग्रीन स्पेस को क्षति पहुंचाए बिना स्कूल सुविधाओं को आधुनिक बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

उनका मानना है कि बच्चों को बढ़ती गर्मी से बचाना स्कूल का काम है, खासकर तब जब वे अपना अधिकांश समय घरों से बाहर बिताते हैं। और यही कारण है कि वे मांग कर रहे हैं कि 2035 तक कठोर सतह वाले हर स्कूल परिसर के कम से कम 30% हिस्से को ग्रीन स्पेस में बदल दिया जाए।

 इस साल की गर्मियों में भारत ने जिस तरह की भीषण हीटवेव झेली, उसका समाधान सिर्फ एयर कंडीशनर लगाने से नहीं होगा बल्कि स्कूलों में हरियाली बढ़ाते हुए हमें स्कूल परिसरों को ठंडा बनाना होगा, ताकि बच्चे भीषण गर्मी में भी खेल सकें और सीख सकें।

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