200 स्कूली बसों की नहीं हुई फिटनेस जांच, पंजीकरण निरस्त होने का खतरा ?

 200 स्कूली बसों की नहीं हुई फिटनेस जांच, पंजीकरण निरस्त होने का खतरा
200 स्कूली बसों की नहीं हुई फिटनेस जांच, पंजीकरण निरस्त होने का खतरा

इन बसों के संचालकों ने अब तक परमिट भी रिन्यू नहीं कराया

नोएडा। गर्मी की छुट्टियां खत्म होने में अब केवल 12 दिन बचे हैं, लेकिन अब भी 200 स्कूली बसों की फिटनेस जांच नहीं हुई है। ऐसे में इन पर पंजीकरण निरस्त होने की तलवार लटक रही है। इन बसों के संचालकों ने अब तक परमिट भी रिन्यू नहीं कराया है।
बतादें कि ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने से पहले परिवहन विभाग की ओर से सभी स्कूली को निर्देशित किया गया था कि अपनी बसों की जांच कराएंगे। उस वक्त 142 अनफिट और 125 स्कूली बसें ऐसी थीं, जिनका परमिट रिन्यू नहीं हुआ था। परिवहन विभाग की ओर से इसके लिए पांच टीमें भी गठित की गई थीं, जिनको इन बसों की जांच को सुनिश्चित करना था। विभाग के अनुसार, अब तक 267 स्कूली बसों में से 67 को ब्लैकलिस्ट से बाहर कर दिया गया है। इन बसों के संचालकों ने फिटनेस टेस्ट करा लिया है। बाकी बस संचालकों द्वारा इसे नहीं कराया गया है। अब इनके पास माह के अंत तक का समय है। अगर संचालक इनकी जांच नहीं कराते हैं तो इनके खिलाफ पंजीकरण निरस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

इससे पहले भी शीतकालीन अवकाश के दौरान इन संचालकों को समय दिया गया था लेकिन किसी भी संचालक ने वाहनों की जांच नहीं कराई थी। परिवहन विभाग ने जिले में संचालित कुल 1619 स्कूल बसों की जांच की है, जिनमें इन सभी स्कूली बसों के संचालकों को 12 दिन का समय दिया गया है। उप संभागीय परिवहन अधिकारी डॉ सियाराम वर्मा ने बताया कि बच्चों की जिंदगी से कोई समझौता न हो, इसे सुनिश्चित करते हुए इसमें प्रवर्तन की पांच टीमें लगाई गई थीं। अब इन बसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। एआरटीओ सियाराम वर्मा ने बताया कि 275 स्कूली वाहनों की मियाद अब पूरी हो चुकी है। इन बसों का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है। इसके बाद भी संचालक इनका प्रयोग करते हैं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

ये हैं सुरक्षा मानक

बस में बैठने की क्षमता के आधार पर अग्निशमन यंत्र होना चाहिए।

स्कूल बस में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स मौजूद होना चाहिए।

बस की अधिकतम गति सीमा 40 किमी/ प्रतिघंटा है और इसमें गति नियंत्रण उपकरण होना चाहिए।

बस की बॉडी पूरी तरह से स्टील से बनी होनी चाहिए और पूरी तरह से बंद होनी चाहिए।

बस का दरवाज़ा ठीक से बंद होना चाहिए।

प्रेशर हॉर्न या टोनल साउंड सिस्टम प्रतिबंधित है।

—–

बसों के लिए तय मानक

वाहन किसी शैक्षणिक संस्थान के नाम से पंजीकृत होना चाहिए।

बस के आगे और पीछे मोटे अक्षरों में ‘स्कूल बस’ लिखा होना चाहिए।

बस पर स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए।

बस में बच्चों की सूची होनी चाहिए, जिसमें नाम, पता, ब्लड ग्रुप और रूट चार्ट शामिल हो।

बस में बच्चों की सुरक्षा के लिए ड्राइवर के अलावा एक सहायक भी होना चाहिए।

बस चालक और सहायक को ड्यूटी समय के दौरान वर्दी में रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *