भोपाल की अटल झुग्गियां ?

भोपाल की अटल झुग्गियां सीरीज  
16 साल में झुग्गीवासियों के लिए 1000 करोड़ खर्च कर बने 15 हजार मकान
  • बाणगंगा बस्ती... सीएम हाउस से 500 मीटर की दूरी पर ऐसी तस्वीर।  जिस 48 एकड़ जमीन पर ये झुग्गियां फैली हैं, वह सरकारी रिकॉर्ड में आज भी छोटे-बड़े झाड़ का जंगल है। - Dainik Bhaskar
बाणगंगा बस्ती… सीएम हाउस से 500 मीटर की दूरी पर ऐसी तस्वीर। जिस 48 एकड़ जमीन पर ये झुग्गियां फैली हैं, वह सरकारी रिकॉर्ड में आज भी छोटे-बड़े झाड़ का जंगल है।

पिछले करीब डेढ़ दशक में राजधानी को झुग्गीमुक्त करने के लिए जेएनएनयूआरएम से लेकर हाउसिंग फॉर ऑल तक तमाम तरह की योजनाएं बनीं। करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए। कहने को तो इन झुग्गीवासियों के लिए हजारों मकान भी बन गए, लेकिन झुग्गियां न केवल कायम हैं, बल्कि इनकी संख्या में इजाफा होता जा रहा है। पिछले 16 साल में दो अलग-अलग योजनाओं में झुग्गीवासियों के लिए 15 हजार मकान बनाए जा सके हैं। शहर की डेढ़ लाख झुग्गियों में रहने वाली करीब 7 लाख आबादी के हिसाब से यह नाकाफी हैं, लेकिन इन 15 हजार मकानों में से भी आधे या तो दानपत्र पर बिक गए या किराए पर चले गए और जो झुग्गीवासी इन मकानों में शिफ्ट हुए उनके परिवार के कुछ सदस्य अब भी झुग्गी में ही रह रहे हैं।

साल 2008 में केंद्र सरकार की जेएनएनयूआरएम योजना के तहत 448 करोड़ खर्च कर 11,500 मकान बने। इसके बाद हाउसिंग फॉर ऑल में झुग्गियों की शिफ्टिंग के लिए 670 करोड़ मिले। इनसे 7755 मकान बनाने की योजना बनी। इनमें से 4600 मकान बनना शुरू हुए और अब तक 3500 बन पाए। 1100 निर्माणाधीन हैं। 3155 का तो काम ही शुरू नहीं हुआ है। राजधानी में झुग्गीबस्ती की शिफ्टिंग की पहली योजना 1990 की भाजपा सरकार में आई थी। इसे झुग्गीमुक्त आवासयुक्त नाम दिया गया था। प्रोजेक्ट शुरू ही हुआ, कुछ मकान बने और सरकार बदलने से योजना ही बंद हो गई।

शहर के बीचोबीच स्मार्ट रोड के किनारे 48 एकड़ बेशकीमती जमीन पर बाणगंगा झुग्गीबस्ती फैली हुई है। सीएम हाउस से महज 500 मीटर दूर स्थित 60 साल से ज्यादा पुरानी इस बस्ती में करीब 35 हजार लोग रह रहे हैं।
शहर के बीचोबीच स्मार्ट रोड के किनारे 48 एकड़ बेशकीमती जमीन पर बाणगंगा झुग्गीबस्ती फैली हुई है। सीएम हाउस से महज 500 मीटर दूर स्थित 60 साल से ज्यादा पुरानी इस बस्ती में करीब 35 हजार लोग रह रहे हैं।

नहीं बन पाए पक्के मकान… क्योंकि जंगल के रूप में दर्ज होने के कारण प्रोजेक्ट रद्द

भोपाल के राजधानी बनने के बाद जिन इलाकों में सबसे पहले झुग्गीबस्ती बनी बाणगंगा भी उन्हीं में से एक है। छोटे तालाब को भरने वाले बाणगंगा नाले के किनारे कुछ मजदूरों ने उस समय झुग्गी बनाकर रहना शुरू कर दिया। बाद के वर्षों में हाउसिंग बोर्ड ने कुछ ईडब्ल्यूएस मकान बनाए, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही रहे। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2017 में यहां मल्टीस्टोरी बनाने का प्रोजेक्ट बना, लेकिन जमीन को लेकर विवाद की स्थिति हो गई। रिकॉर्ड पर यह जमीन छोटे-बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है, इसलिए प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हुआ।

वोट बैंक का गणित
सबसे पुरानी बस्तियों में शुमार रोशनपुरा, बाणगंगा और अन्ना नगर की शिफ्टिंग तो अब नामुमकिन सी लगती है। एक-एक बस्ती में 35 हजार तक लोग रहते हैं। रोशनपुरा और बाणगंगा दक्षिण पश्चिम विस क्षेत्र के, जबकि अन्ना नगर नरेला का वोट बैंक है।

स्मार्ट रोड पर 3 नई बस्तियां
1960 के दशक में केवल रोशनपुरा चौराहे के आसपास करीब 100 झुग्गियां थीं। आज यहां 35 हजार से अधिक आबादी रहती है। बाणगंगा बस्ती की भी अमूमन यही कहानी है। बाणगंगा के साथ स्मार्ट रोड के किनारे पर तीन और बस्तियां बन गईं हैं।

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