स्कूलों के बच्चे शतरंज के मोहरों से रणनीति बनाना, धैर्य रखना, सही निर्णय लेना सीख रहे
International Chess Day: स्कूलों के बच्चे शतरंज के मोहरों से रणनीति बनाना, धैर्य रखना, सही निर्णय लेना सीख रहे
एमसीडी के अधिकारियों ने बताया कि प्राइमरी के बच्चों की पढ़ाई के साथ समस्या सुलझाने के कौशल, विश्लेषण करने वाली सोच और रचनात्मकता का विकास करने के लिए शतरंज की ट्रेनिंग की पहल शुरू की गई। इनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर शतरंज ट्रेनिंग का सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

इन बच्चों को शतरंज खिलाने से जुड़े पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर एमसीडी के शिक्षा विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है, इससे पता चला है कि इससे बालपन में इन बच्चों में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और लचीलेपन सरीखे गुणों का विकास हो रहा है। इनकी सोचने की समझ भी मजबूत हुई है। बीते साल शुरू हुए इस प्रोग्राम के पहले चरण में एमसीडी ने करीब 35 बच्चों को शामिल किया था। एक साल तक प्रशिक्षण के बाद शतरंज खेल रहे बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से कराई गई। इसमें एक-एक कर यहां के बच्चों के बौद्धिक स्तर का परीक्षण किया गया। निगम स्कूलों में निचले तबके से आने वाले इन बच्चों में हुए बदलाव हैरान करने वाले रहे।
बच्चे मानसिक रूप से मजबूत हुए
परीक्षण के दौरान देखा गया कि दूसरे हमउम्र बच्चों की तुलना में ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल सभी बच्चे मानसिक रूप से मजबूत हुए हैं। गणित और विज्ञान सरीखे विषयों में इनकी समझ पहले से बेहतर हुई है। यही नहीं, इनके सामाजिक और भावनात्मक विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह बच्चे एक दूसरे के साथ बेहतर तरीके से बातचीत करना, प्रभावी ढंग से संवाद करना और एक टीम बनकर काम करना सीख गए हैं।