सफलता के लिए जरूरी EQ यानी इमोशनल इंटेलिजेंस ?

सफलता के लिए जरूरी EQ यानी इमोशनल इंटेलिजेंस ….
अपने और दूसरों के इमोशंस को कैसे समझें, 5 तरीकों से बढ़ाएं अपना EQ

कोई कितना चतुर-चालाक है, यह कैसे पता करते हैं? रोजमर्रा की जिंदगी में अनुभव ही हमें बता देता है कि कोई शख्स कितना जानकार है। लेकिन मनोवैज्ञानिक इसे मापने के लिए आईक्यू यानी इंटेलिजेंस कोशेंट का इस्तेमाल करते हैं।

इंटेलिजेंस कोशेंट का अर्थ है कि किसी व्यक्ति का दिमाग कितना तेज चलता है। उसकी मेमोरी कितनी तेज है, वो कितनी तेजी और स्पष्टता के साथ कोई बात समझता और उसे एक्जीक्यूट करता है।

जिस शख्स का आईक्यू जितना ज्यादा होता है, वह उतना ही बुद्धिमान समझा जाता है।

लेकिन नई रिसर्च आईक्यू को किसी की समझदारी मापने में नाकाफी बताती है। इस रिसर्च के मुताबिक कई मामलों में आईक्यू के मुकाबले EQ यानी इमोशनल इंटेलिजेंस ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

 इमोशनल इंटेलिजेंस यानी EQ की जरूरतों और इसे बढ़ाने के कुछ उपायों की बात करेंगे…

 

क्या है इमोशनल इंटेलिजेंस और यह क्यों है इतना जरूरी

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डेनियल गोलमन की किताब ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ में वह लिखते हैं कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता यानी इमोशनल इंटेलिजेंस हमारी भावनाओं को समझने, व्यक्त करने और नियंत्रित करने में मददगार है। यह हमें अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने और उसके अनुसार आचरण करने में मदद करता है।

इमोशनल इंटेलिजेंस हमें यह सिखाता है कि-

  • हम अपनी भावनाओं को कैसे समझें और उसे व्यक्त करें।
  • दूसरों की भावनाओं को कैसे समझें और उनके साथ सहानुभूति रखें।
  • अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित करें ताकि हमारा भावनात्मक तनाव कम हो सके।
  • बेहतर निर्णय लेने और रिश्तों में सुधार करने के लिए कैसे अपनी भावनाओं का उपयोग करें।

डेनियल गोलमन के मुताबिक भावनात्मक बुद्धिमत्ता हमारी सफलता में बहुत महत्वपूर्ण है। वह कहते हैं कि हमारी बुद्धिमत्ता का स्तर सिर्फ 20% ही सफलता में योगदान करता है, जबकि भावनात्मक बुद्धिमत्ता 80% योगदान करती है।

इमोशनल इंटेलिजेंस के कुछ मुख्य फायदे इस प्रकार हैं-

1. बेहतर रिश्ते- इमोशनल इंटेलिजेंस हमें दूसरों की भावनाओं को समझने और उनके साथ बेहतर रिश्ते बनाने में मदद करता है। इसकी मदद से पर्सनल, प्रोफेशनल और सोशल, हर तरह के रिश्ते को मजबूत बनाया जा सकता है।

2. तनाव प्रबंधन- इमोशनल इंटेलिजेंस हमें तनाव को कम करने में मदद करता है। तनाव की स्थिति में इमोशनल इंटेलिजेंस हमें बेहतर ढंग से सोचने और डील करने की शक्ति देता है।

3. बेहतर फैसले लेने में मदद- इमोशनल इंटेलिजेंस हमें अपनी भावनाओं को समझने और निर्णय में सुधार करने में मदद करता है।

4. आत्म-जागरूकता- यह हमें अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने में मदद करता है। इसकी मदद से हम खुद को बेहतर समझ पाते हैं यानी हमारा खुद के साथ भी रिश्ता बेहतर होता है।

5. वर्कप्लेस प्रोडक्टिविटी– इमोशनल इंटेलिजेंस हमें कार्यस्थल पर बेहतर प्रदर्शन करने और सफल होने में मदद करता है।

6. कम्युनिकेशन में सुधार- इमोशनल इंटेलिजेंस हमें बेहतर कम्युनिकेट करने में मदद करता है।

7. नेतृत्व क्षमता- यह हमें नेतृत्व क्षमता विकसित करने में मदद करता है। इमोशनल इंटेलिजेंस बेहतर हो तो आगे बढ़कर चुनौतियां स्वीकार करने और नेतृत्व करने का बल मिलता है।

इमोशनल इंटेलिजेंस की जरूरत और इसके फायदे जानने के बाद सवाल यह उठता है कि अपना इमोशनल इंटेलिजेंस कैसे बढ़ाया जाए। मनोविज्ञान की दुनिया में इसके लिए 5 तरह के इमोशंस पर काम करने की सलाह दी जाती है।

अपनी भावनाओं को पहचानने से बढ़ेगा इमोशनल इंटेलिजेंस

इमोशनल लेबलिंग एक टेक्नीक है, जिसमें आप अपनी भावनाओं को पहचानने और उन्हें नाम देने का अभ्यास करते हैं। यह आपको अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने और उन्हें नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके सहारे इमोशनल इंटेलिजेंस को बेहतर किया जा सकता है।

इमोशनल लेबलिंग के दौरान आप अपनी भावनाओं को पहचानते हैं और उन्हें नाम देते हैं, जैसेकि मैं अभी खुश, चिंतित या उदास हूं।

इस तकनीक का उद्देश्य अपनी भावनाओं को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना है न कि उन्हें दबाना या बदलना। इमोशनल लेबलिंग आपको अपनी भावनाओं के साथ जुड़ने और उन्हें बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है, जिससे आप अपने जीवन में बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपने रिश्तों में सुधार कर सकते हैं।

इमोशन को शब्दों या मैप की मदद से जाहिर करें

खुद को बेहतर तरीके से समझने और अपने इमोशनल इंटेलिजेंस को बेहतर करने के लिए अपनी भावनाओं का मैप बनाएं, जिसमें आप भावनाओं को विभिन्न रंगों और चित्रों के माध्यम से व्यक्त करें। इसके साथ ही अपनी भावनाओं को लिखने का अभ्यास करें, जिससे आप उन्हें बेहतर ढंग से समझ सकें।

भावनात्मक प्रतिक्रिया को समझें और संतुलन बनाएं

अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को समझने की कोशिश करें, जैसेकि क्यों आप किसी विशेष स्थिति में किसी विशेष तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं। इसके बाद अपनी भावनाओं को भी संतुलित करने की कोशिश करें, जिसमें आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना सीखते हैं।

इन सुझावों को अपनाकर, आप अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं।

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