यमुना सिटी में औद्योगिक प्लॉट हासिल करने के लिए कुछ लोगों ने सात फेरों के बंधन को भी दांव पर लगा दिया। इन लोगों ने आवेदन के समय तलाक दिखाते हुए यमुना प्राधिकरण (यीडा) की औद्योगिक भूखंड योजनाओं में आवेदन कर प्लाॅट हासिल कर लिया। कुछ लोगों ने कंपनियों के नाम में साधारण बदलाव कर आवेदन किया जबकि यह एक ही परिवार के थे। प्राधिकरण ने ऐसे 47 मामले जांच में पकड़े हैं। इनमें से 8 मामले ऐसे हैं जिनमें तलाक के फर्जी कागज लगाकर प्लाॅट हासिल किए गए। 26 सितंबर को होने वाली बोर्ड की बैठक में इस मामले पर फैसला लिया जाएगा।
यमुना प्राधिकरण के मुताबिक, दो श्रेणियों में जांच की गई। इनमें एक तो वे लोग थे जिन्होंने तलाक के कागज आवेदन में लगाकर अलग-अलग प्लाॅटों के लिए आवेदन किए और आवंटन भी हो गया। इसके बाद जांच में सामने आया कि यह एक ही पते पर रह रहे हैं। दूसरी श्रेणी में व्यक्तिगत या कंपनी के नामों में मामूली फेरबदल किया गया। इस योजना के तहत आवंटित किए गए प्लाॅट 4 हजार वर्गमीटर तक के हैं। मामला सामने आने पर एक आवंटी ने प्लॉट सरेंडर भी कर दिया। 46 में से 32 आवंटन ऐसे पाए गए जो 10 परिवारों को हुए थे। 16 आवंटन अलग-अलग नामों से बनी कंपनियों और प्रतिष्ठानों के नाम पर पाए गए।
यीडा ने जमीन अधिग्रहण के लिए पिछले वर्ष 362 करोड़ रुपये के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष (2024-25) में अब तक 799 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इससे प्राधिकरण की भूसंपदा में इजाफा हुआ है। इसका लाभ उसे भविष्य में मिलेगा। इसके अलावा अन्य मदों में भी खर्च को सार्वजनिक किया गया है। अलग-अलग परियोजनाओं में प्राधिकरण एक अप्रैल 2024 से अब तक 982 करोड़ रुपये कमा चुका है। यह पिछले वर्ष से 200 करोड़ रुपये ज्यादा है। पिछले वर्ष 708 करोड़ रुपये की आय हुई थी।