2009 में पहला चुनाव हारे…2014 में राज्यमंत्री और 2024 बने सीएम !

 2009 में पहला चुनाव हारे…2014 में राज्यमंत्री और 2024 बने सीएम; कंप्यूटर ऑपरेटर से शुरू हुआ सफर
2009 में पहला चुनाव हारने के बाद नायब सैनी का राजयोग शुरू हुआ। 2014 में मनोहर सरकार में राज्यमंत्री, फिर सांसद, प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री बने। कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर नायब सैनी ने भाजपा में शुरुआत की थी। पत्नी भी राजनीति में सक्रिय हैं।
हरियाणा में भाजपा की जीत के नायक बने नायब सिंह सैनी एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री बनेंगे। वीरवार को शपथ लेने के साथ वे हरियाणा के आठवें ऐसे नेता बन जाएंगे, जिन्होंने दो या इससे ज्यादा बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। 

इससे पहले बंसीलाल, बनारसी दास गुप्ता, देवीलाल, भजनलाल, ओमप्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल दो या इससे अधिक बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

नायब सैनी के पास है कानून की डिग्री

अंबाला के मिर्जापुर माजरा गांव के रहने वाले नायब सिंह सैनी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ की चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की है। नायब सिंह का भाजपा के साथ सफर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में शुरू हुआ था। 

1996-97 में मनोहर लाल ने उन्हें रोहतक स्थित भाजपा कार्यालय में कंप्यूटर संभालने का जिम्मा दिया था। यह कंप्यूटर नरेंद्र मोदी ने मनोहर लाल को दिया था। मनोहर लाल के साथ दिनभर रहने और पार्टी के काम में बढ़ती रुचि को देखते हुए 2002 में नायब सैनी को अंबाला युवा मोर्चा का महासचिव नियुक्त किया गया।

2009 में हारे थे पहला चुनाव

पार्टी के काम में लगन को देखते हुए 2005 में उन्हें युवा मोर्चा अध्यक्ष पद सौंपा गया। 2009 में सैनी ने नारायणगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ा, मगर कांग्रेस उम्मीदवार रामकिशन से हार गए। पहली हार के बाद ही उनका राजयोग शुरू हुआ। 2014 में उन्होंने फिर नारायणगढ़ हलके से चुनाव लड़ा। चुनाव जीतने के दो साल बाद पार्टी ने उन्हें राज्यमंत्री बनाया।
2019 में बने सांसद 
सैनी के कामकाज और लोगों से जुड़ाव को देखते हुए भाजपा ने उन्हें 2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। सैनी ने करीब तीन लाख वोटों से जीत हासिल की। विनम्रता और सौम्य छवि को देखते हुए पार्टी ने 2023 में उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। 

इसके छह महीने बाद ही भाजपा ने मनोहर लाल को हटाकर उन्हें सीएम नियुक्त किया। राजनीति में नायब सैनी के सफल होने के पीछे मनोहर लाल का अहम रोल रहा है। सैनी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।
परिवार में मां, पत्नी और दो बच्चे
नायब सैनी के परिवार में 70 वर्षीय मां कुलवंत कौर, पत्नी सुमन सैनी, बेटा अनिकेत और बेटी वंशिका हैं। बेटा कानून की पढ़ाई कर रहा है, जबकि बेटी 12वीं कक्षा में है। वर्ष 2000 में नायब सैनी की शादी नारायणगढ़ के सैन माजरा गांव में हुई थी। 
 
उनकी पत्नी सुमन सैनी भी राजनीति में सक्रिय हैं। 2022 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जिला परिषद का चुनाव लड़ा, मगर हार का सामना करना पड़ा। वह वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। सैनी के भाई चंदन गांव मिर्जापुर माजरा में ही रहते हैं। 
वह बताते हैं कि उनका परिवार मूलरूप से कुरुक्षेत्र के गांव मंगोली जाटान का है, मगर वर्ष 1960 में परिवार मिर्जापुर माजरा में बस गया था। पिता तेलुराम सैनी ने वर्ष 1962 में चीन और वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भाग लिया था। वर्ष 2005 में वह पठानकोट से हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसी वर्ष उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई।

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