आगरा के इस इलाके में इसलिए 1700 मकानों पर आई आफत !

UP: धंस गई धरती, फट गई छत… जैक पर टिके 146 घर; आगरा के इस इलाके में इसलिए 1700 मकानों पर आई आफत
आगरा के इस इलाके में 1700 घरों पर आफत आई है। यहां धरती धंस गई है। छत फट गई है। 146 घर जैक पर टिके हैं। घर गिरासू हैं। जानें इस इलाके में क्यों कांप रही जमीन।
Agra News 1700 houses in Moti Katra area are in danger due to tunnel digging for underground metro track
संकरी गलियां। उनमें खड़े पुराने तीन-तीन मंजिला मकान। किसी की छत फट गई, तो कहीं धरती धंस रही है। चौखट व दीवारों में दरारें आ गई हैं। ये हाल है आगरा के मोती कटरा में डाक खाने वाली गली का। जहां 146 घर गिरासू हैं। क्षतिग्रस्त हुए यह घर कहीं ढह न हो जाएं इसलिए जैक पर टिके हैं। 

इन घरों के नीचे चल रही भूमिगत मेट्रो के लिए सुरंग खुदाई हादसों की मुसीबत लेकर आई है। मेट्रो के सात भूमिगत स्टेशन व ट्रैक के लिए जामा मस्जिद से आरबीएस कॉलेज तक जमीन के नीचे 50 फीट गहराई में खुदाई चल रही है। 

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसीएल) से ठेकेदार फर्म एफकॉन को करीब 1800 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। एफकॉन और यूपीएमआरसीएल की लापरवाही से जिन टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) से ड्रिलिंग करते हुए सुरंग खोदाई हो रही है। उन मशीनों से मोती कटरा क्षेत्र में जमीन कांप गई।

आगरा कॉलेज से मनकामेश्वर तक करीब 2 किमी. लंबी सुरंग खोदी जा रही है। मोती कटरा में सुरंग के ऊपर 1700 घर बने हुए हैं। जिनमें हजारों परिवार रहते हैं। सुरंग से खोखली जमीन के ऊपर बने 146 मकान टीबीएम के कंपन से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बुधवार को ‘अमर उजाला’ ने प्रभावित इलाके में पड़ताल की। हजारों परिवार हादसों के कगार पर खड़े मिले। सुरंग खुदाई से 146 घरों में भारी नुकसान है।

घरों की छत, दीवार, फर्श से लेकर कॉलम व बीम तक में क्रेक आ गए हैं। इन गिरासू घरों को धराशायी होने से रोकने के लिए मेट्रो ने जैक लगा रखे हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं। सुरंग की 20 मीटर परिधि में 700 और 50 मीटर की परिधि में 1700 से अधिक घरों के लिए सुरंग आफत बन गई है। फिर भी सुरंग खुदाई नहीं रुकी।
रात में घर गिरने का डर
-हम बर्बाद हो गए। पति कपड़े का काम करते हैं। रात में घर गिरने का डर लगा रहता है। फर्श धंस रहा है। छत, दीवार सब चटक गई हैं। बेघर हो गए। मेट्रो की लापरवाही से हम पर मुसीबत आ गई। कोई सुनवाई नहीं हो रहीं। हम क्या करें। – सोनम अग्रवाल, प्रभावित

छज्जे पर टिका मंदिर 
– डाक खाने वाली गली में करीब 200 साल पुराना कैला देवी चामुंडा मंदिर है। दीवारों में आई दरारों के कारण ऊपर का हिस्सा एक तरफ झुक गया है। सामने वाले मकान के छज्जे पर टिका है। तीन साल पहले ही मंदिर में नव निर्माण कराया था। – हरिओम शर्मा, प्रभावित

50 लाख घर की कीमत
– मेरा घर क्षतिग्रस्त हो गया है। 50 लाख रुपये कीमत है। मुआवजा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। 500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन का मुआवजा मिल रहा है। मंत्री आए थे। कोई राहत नहीं मिली। मेट्रो अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे। – प्रवीन चौहान, प्रभावित

अधिकारियों की लापरवाही
– 30 साल में यहां परिवार के साथ रहता हूं। कभी कोई दिक्कत नहीं आई। जब से सुरंग खुदाई शुरू हुई मकानों में दरारें आ गई। मेट्रो अधिकारियों की लापरवाही है। ठेकेदार फर्म के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। हमें नए घर बनाकर दिए जाएं। – सुधीर वर्मा, प्रभावित

होटल में रह रहे परिवार
– ठेकेदार फर्म एफकॉन ने स्विटजरलैंड की कंपनी एम्बार्ग से प्रभावित क्षेत्र का सर्वे कराया है। स्वतंत्र सर्वे के लिए आईआईटी रुड़की से बात चल रही है। जो परिवार बेघर हुए हैं। उन्हें होटल में रखा जा रहा है। मुआवजा भी दिया जा रहा है। – अरविंद राय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आगरा मेट्रो

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