आरजीपीवी:लोन एंड एडवांस श्रेणी में दिख रहे 186 करोड़ भी खुर्द-बुर्द होने की आशंका
आरजीपीवी:लोन एंड एडवांस श्रेणी में दिख रहे 186 करोड़ भी खुर्द-बुर्द होने की आशंका

जांच समिति पर आरोप
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में करोड़ों का एफडी घोटाला उजागर होने के बाद शासन स्तर पर बनी जांच कमेटी पर कई अहम तथ्यों को अनदेखा करने के आरोप लग रहे हैं। वर्तमान कुलपति प्रो. राजीव त्रिपाठी और रजिस्ट्रार डॉ. मोहन सेन ने शासन को पत्र लिखकर कहा है कि ये जांच वित्तीय विशेषज्ञों से कराना चाहिए क्योंकि कई गंभीर गड़बड़ियों की ओर इशारा करने पर भी कमेटी ने उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया। ऐसी स्थिति में करोड़ों की राशि खुर्द-बुर्द होने की आशंका है।
दरअसल, पांच सदस्यीय कमेटी को पिछले पांच साल के सभी वित्त ट्रांजेक्शन यानी फिक्स डिपॉजिट, किसी वित्तीय संस्था में निवेश आदि के दौरान निजी खातों में राशि ट्रांसफर आदि की जांच करनी थी। एफडी एवं अन्य डिपॉजिट का ब्याज विवि के खाते में जमा किया गया अथवा नहीं, इस तरह के 13 बिंदु जांच में लेने थे। लेकिन कुलपति-रजिस्ट्रार के अनुसार, कमेटी ने रस्म अदायगी कर दी।
1. कई गंभीर गड़बड़ियां बताने के बाद भी समिति ने इन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया 2. समिति को स्टैंडर्ड प्रॉसिजर से दस्तावेज मांगने की बजाय उपलब्ध रिकॉर्ड जांचना चाहिए
शासन को पत्र- नए सिरे से सघन जांच हो.. कुलपति ने बताया कि वर्तमान विवि प्रशासन लेखा रिकॉर्ड की प्रामाणिकता को सर्टिफाइड कर समिति को प्रस्तुत नहीं कर सकता। इसलिए जांच समिति को उपलब्ध रिकॉर्ड के परीक्षण से निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश करना चाहिए न कि स्टैंडर्ड प्रक्रिया के तहत दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए विवि प्रशासन पर दबाव डालना चाहिए। विगत वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट को आधार मानते हुए वित्तीय विशेषज्ञों की टीम से नए सिरे से सघन जांच कराई जाए।
कई फाइलें गायब
- विवि के टैली रिकॉर्ड में वित्तीय वर्ष 2023-24 की स्थिति में लोन एंड एडवांस (एसेट) श्रेणी में 186.49 करोड़ की राशि प्रदर्शित हो रही है। ऐसे में विवि के वित्तीय रखरखाव में करोड़ों रुपए इधर-उधर होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसे जांच समिति ने रिपोर्ट में शामिल नहीं किया।
- रूसा एवं टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी एजुकेशन प्रोग्राम-III के व्यय संबंधी फाइलें भी लेखा शाखा एवं कुलसचिव कार्यालय में नहीं हैं। इन योजनाओं के तहत तत्कालीन विवि प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर उपकरणों, फर्नीचर की खरीदी की गई।
- फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम पर कितना खर्च हुआ, उसकी डिटेल रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक ऑफिस में दस्तावेजों में नहीं है। इसे भी समिति ने रिपोर्ट में शामिल नहीं किया।
आदेश होने के पांच माह बाद शुरू हुई जांच… रजिस्ट्रार ने लिखा है कि आरजीपीवी में राशि निजी खातों में डाले जाने के संबंध में शिकायत के बाद पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया। इसके आदेश जारी होने के लगभग पांच माह बाद समिति ने अपना कार्य शुरू किया।