दो साल में 13 वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा ?

दो साल में 13 वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा:वन आवरण में मप्र अग्रणी, लेकिन 612 वर्ग किमी जंगल घट गया

इंदौर के आसपास वन क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की द्विवार्षिक रिपोर्ट के आंकड़े हरियाली के लिए नकारात्मक ट्रेंड बता रहे हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 के अनुसार जिले में 2021 के मुकाबले 13 वर्ग किमी (0.34%) जंगल कम हो गए। 2019 की तुलना में 18 वर्ग किमी (0.45%) की कमी आई है।

चौंकाने वाली बात यह है, इंदौर जिले में सघन वन है ही नहीं। सामान्य सघन वन में भी 40 से 70 फीसदी तक ही ट्री कवर है। दोनों श्रेणी के वन के साथ झाड़ियों की संख्या में भी तेजी से गिरावट देखी जा रही है। चार साल में यह 24 से घटकर 16.6 वर्ग किमी हो गई है। वनों में आग लगने की घटना में भी इंदौर क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है।

एफएसआई हर दो साल में देश में वन, ट्री कवर और अन्य मानकों पर वनों का आकलन कर रिपोर्ट तैयार करता है। 2023 की रिपोर्ट में प्रदेश वन क्षेत्रफल में देश में अग्रणी रहा, लेकिन वनों के क्षेत्र में 612 वर्ग किमी की कमी आई है, प्रदेश को नकारात्मक रुझान वाले राज्यों की श्रेणी में रखा है।

इस नकारात्मक रुझान का असर इंदौर के वन क्षेत्र पर भी नजर आया है। विशेषज्ञों के अनुसार वजह वन क्षेत्रों में मानवीय घुसपैठ और इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास है। वन क्षेत्र में आ रही कमी के असर से इंदौर व आसपास गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है, भूजल के स्तर में गिरावट आ रही है।

10 साल में तेजी से बदली वनों की स्थिति

इंदौर के आसपास वन क्षेत्रों में 10 साल में तेजी से बदलाव आया है। सिमरोल, भेरूघाट, चोरल और महू-मानपुर में वन सामान्य सघन वन से खुले वन में तब्दील होते जा रहे हैं। इनमें पेड़ों की कटाई और आगजनी की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2023 में जहां 219 आग लगने की घटना हुई थी, 2024 में यह बढ़ कर 290 हो गई है। मप्र का कुल वन और पेड़ आवरण 85,724 वर्ग किमी है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में वन क्षेत्र 30% है, ट्री कवर में 22% की बढ़ोतरी हुई है।

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