राजस्थान: पुजारी को जिंदा जलाने के मामले पर घिरी गहलोत सरकार, BJP ने कहा- डरी हुई है जनता
राजस्थान में पुजारी की मौत के बाद से ब्राह्मण समाज में घटना को लेकर काफी नाराजगी है. उधर छात्र संगठनों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी कलेक्टर एसपी को ज्ञापन सौंपकर हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. दरअसल करौली जिले के सपोटरा इलाके में एक पुजारी को कुछ लोगों ने बुधवार को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था, जिसके बाद जयपुर के SMS अस्पताल में इलाज के दौरान गुरुवार को पुजारी की मौत हो गई.
इस घटना पर युवाओं ने सवाल उठाए हैं कि अगर किसी दलित की मौत होती तो राजनीतिक रोटियां सेकने कई संगठन और राजनीतिक दल धरना प्रदर्शन और घड़ियाली आंसू बहाने पहुंच जाते, लेकिन ब्राह्मण होना इस देश में अपराध है, जिसके चलते अभी तक परिवार को किसी प्रकार की सुरक्षा भी नहीं दिलाई गई है. परिवार के लोग अब भी दहशत में हैं.
वही गांव में कोई भी इस घटना पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इस दौरान युवाओं ने सवाल उठाया कि पुलिस प्रशासन की सांठगांठ के चलते सिवायचक, गौचर, सरकारी भूमि और मंदिर की जमीनों पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है. विरोध करने पर आए दिन मारपीट-दादागिरी करते हैं.
क्या था मामला?
बूकना गांव में बुधवार सुबह मंदिर की भूमि को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद के दौरान आग से गंभीर रुप से झुलसे मंदिर पुजारी ने गुरुवार शाम जयपुर में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया. इससे पहले पुजारी बाबूलाल ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि मंदिर भूमि पर कब्जा रोकने पर भू-माफियाओं ने उस पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी. पुजारी के इस बयान के बाद गुरुवार को सपोटरा थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई. मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी कैलाश मीणा और उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है.
वारदात में सपोटरा पुलिस पर लापरवाही के भी आरोप लग रहे हैं. इधर पुलिस ने मामला दर्ज होने के बाद आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. मामले में एसपी मृदुल कच्छावा ने 6 टीमें गठित कर आरोपियों की तलाश शुरू की, जिसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी कैलाश मीणा को गिरफ्तार कर लिया है.
बताया जा रहा है कि मंदिर भूमि पर कुछ लोग कब्जा कर रहे थे. इसको लेकर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई थी. गांव वालों की इस मामले में पंचायत भी हुई, जिसमें पंच पटेलों ने मंदिर भूमि पर कब्जा करने वालों से अतिक्रमण नहीं करने और कब्जा हटाने को कहा था, लेकिन उन्होंने पंच पटेलों की बात नहीं मानी. वे इस भूमि पर छप्पर डालकर कब्जा पुख्ता कर रहे थे. इस पर पुजारी ने रोका, तो आरोप है कि उन्होंने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. घटना में पुलिस पर देर से FIR दर्ज करने और कार्रवाई में ढिलाई के आरोप लगे हैं.
पुजारी के परिवार की पांच मांगों पर सरकार की सहमति
वहीं पुजारी की मौत के बाद कई संगठनों के लोगों ने SMS अस्पताल की मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया. हालांकि, मृतक पुजारी के परिवार की पांच मांगों पर सरकार से सहमति बन गई है.
घटना के बाद बीजेपी नेताओं ने ट्वीट करके सरकार पर सियासी आरोप लगाए हैं. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्विटर पर लिखा- प्रदेश में हर तरह के अपराधों की घटनाएं बढ़ती जा रही है. सपोटरा में मंदिर के पुजारी को जिंदा जलाने की घटना यह दर्शाती है कि अपराधियों में कानून का भय समाप्त हो चुका है. प्रदेश की जनता भयभीत है, डरी हुई है, सहमी हुई है, आखिर गहलोत जी आप कब तक अपराधियों के मसीहा बनकर रहोगे?? इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इस मामले पर सवाल उठाया और अशोक गहलोत सरकार को घेरने की कोशिश की.
असल में सवाल तो राजस्थान सरकार की कानून व्यवस्था पर उठता ही है. आखिर क्यों सरकार अब तक मौन है?? अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनके मंत्री ट्वीट करने तक ही सीमित क्यों है? अब तक कोई नेता उस पुजारी के परिवार से नहीं क्यों मिला?? सवाल ये भी क्या कांग्रेस का कोई दिल्ली का नेता अब जायेगा करौली??
पुलिस पर उठते सवाल
पुजारी को जला कर मारने की घटना में पुलिस पर समय रहते कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगे हैं. जब इतने लंबे समय से विवाद चल रहा था, तो पुलिस कहां सो रही थी? समय रहते पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? पंच पटेलों की तरफ से मामले को हल करने के प्रयास में नहीं दिखी पुलिस की भूमिका. घटना के बाद देरी से FIR हुई दर्ज. इतना ही नहीं पुलिस पर दबंगों को सहयोग करने के भी आरोप लग रहे हैं.