बागियों के जरिए सरकार बनाना चाह रहीं पार्टियां

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस सियासी बागियों के भरोसे सरकार बनाने के लिए मशक्कत कर रही है। वहीं, बसपा भी इनके ही बलबूते प्रदेश की सियासत में किंग मेकर की भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उपचुनाव में भाजपा ने 25, कांग्रेस ने 12 और बसपा ने 3 बागियों यानी दलबदलुओं को टिकट देकर उन पर दांव लगाया है। भाजपा ने तो 28 में से केवल तीन सीटों पर अपनी पार्टी के नेताओं को महत्व दिया है। संभवत: प्रदेश की राजनीति में यह पहला मौका है, जब इतने सारे दलबदलु उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती देते नजर आ रहे हैं। इसमें कई सीटें ऐसी भी हैं, जिस पर चेहरे तो वहीं है, लेकिन पार्टी बदल गर्इं। दिलचस्प पहलू यह है कि इन बागियों के कारण ही कांग्रेस सरकार गिर गई थी और अब उपचुनाव हो रहे हैं। प्रदेश के मौजूदा चुनावी माहौल पर नजर डालें तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 में 15 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा के बागी चुनाव मैदान में है। बसपा ने भी भाजपा और कांगे्रस से चुनाव लड़ चुके 3 बागियों पर भरोसा जताकर उन्हें टिकट दिया है। इनमें पूर्व मंत्री अखंडप्रताप सिंह, महेंद्र बौद्ध और सोनेराम कुशवाह शामिल है।

भाजपा इन बागियों के भरोसे

बिसाहूलाल सिंह, ऐदल सिंह कंषाना, तुलसी सिलावट, राज्यवर्धन सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज सिंह कंषाना, कमलेश जाटव, रक्षा सरोनिया, मनोज चौधरी, जयपाल सिंह, सुरेंद्र धाकड़, ओपीएस भदोरिया, बृजेंद्र सिंह यादव, हरदीप सिंह डंग, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, महेंद्र सिंह सिसोदिया, जसमंत जाटव और गिर्राज दंडोतिया

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