गरीबों के हक पर डाका: ट्रांसपोर्टर पर एफआईआर, अब रासुका की तैयारी
कोरोना काल के दौरान जब पूरा देश एकजुट होकर महामारी के खिलाफ जंग में जुटा था तब कुछ लोग ऐसे भी थे जो गरीबों के राशन पर डाका डालकर उनके हक के अनाज की कालाबाजारी कर रहे थे। लॉकडाउन में गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भेजे गए 3.07 करोड़ रुपए के राशन को ट्रांसपोर्टर मुन्नालाल अग्रवाल और राहुल अग्रवाल ने बाजार में बेच दिया।
शहर के तीन सेक्टरों में रहने वाले 1.25 लाख परिवारों के लिए यह राशन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत जारी हुआ था, जिसका एक दाना भी जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचा। यह खुलासा नागरिक आपूर्ति निगम के भोपाल में पदस्थ एक अफसर की जांच में हुआ। तब आनन-फानन में ट्रांसपोर्टर पर ग्वालियर के अफसरों ने एफआईआर कराई। मार्च से लेकर नवंबर तक पूरे नौ महीने ट्रांसपोर्टर बाजार में राशन बेचता रहा, लेकिन किसी को भनक नहीं लगी।
गरीबों के हक के राशन की कालाबाजारी करने वाले ट्रांसपोर्टर पर अब रासुका लगाने की तैयारी है। इसे लेकर पुलिस, कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को प्रस्ताव भेजेगी। वहीं सरकारी धान को अवैध तरीके से लगाकर गड़बड़ी करने वाले ट्रांसपोर्टर कृष्णपाल सिंह कंसाना पर भी रासुका लगाने का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
सरकारी राशन का घोटाला करने वाले इन आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। नौ महीने तक ट्रांसपोर्टर यह घोटाला करता रहा, इससे खाद्य विभाग और नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों की सक्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि कंट्रोल की दुकानों से पात्र लोगों को राशन पहुंच रहा है या नहीं इसकी निगरानी की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है।
ट्रांसपोर्टर मुन्नालाल अग्रवाल और राहुल अग्रवाल ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आए राशन को तो कंट्रोल की दुकानों तक पहुंचा दिया। लेकिन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत आए राशन को कंट्रोल की दुकानों तक नहीं पहुंचाया गया। जब जून में हंगामा हुआ तो कुछ दुकानों तक राशन पहुंचा दिया। फिर हर बाद अगले महीने की बात कहकर दुकानदारों को टरकाया गया।
ऐसे हुआ खुलासा
जिन दुकानों तक राशन नहीं पहुंचा, उन दुकानों के संचालकों ने खाद्य विभाग और नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों से शिकायत की। पहले शिकायत को दबा दिया गया। किसी ने भोपाल में नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों तक शिकायत पहुंचा दी। निगम के एमडी तक शिकायत पहुंची। उन्होंने जांच डिप्टी कलेक्टर हरेंद्र सिंह को सौंपी। जब उन्होंने जांच की तो खुलासा हुआ कि ट्रांसपोर्टर ने 3.07 करोड़ रुपए का राशन बाजार में बेच दिया।