वार्ता से एक दिन पहले किसानों ने केंद्र को लिखा पत्र, अपना एजेंडा किया स्पष्ट
नयी दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। सरकार ने किसान संगठनों को बुधवार 30 दिसबंर को एक बार फिर बातचीत के लिए बुलाया है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। हालांकि किसान कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। वार्ता से एक दिन पहले प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा और कहा कि चर्चा केवल तीन कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैध गारंटी देने पर ही होगी।
चालीस किसान यूनियन का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को लिखे पत्र में कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी। इसमें आगे कहा गया कि बैठक के एजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिये ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके।
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पत्र के जरिए मोर्चा ने वार्ता के लिए सरकार के आमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल को लिखे पत्र में कहा, “बैठक के लिए हमारी ओर से भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए आपका धन्यवाद। 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे बातचीत के लिए आपका निमंत्रण हमें स्वीकार है।”
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक स्थगित कर दिया है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत के लिए सहमति जताई, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके पर चर्चा करने को बातचीत के एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए।