किसान नेताओं ने विश्वासघात किया, बख्शे नहीं जाएंगे, हम सब्र खोते तो नुकसान बहुत होता- दिल्ली पुलिस कमिश्नर
Tractor Rally Violence: पुलिस कमिश्नर ने बुधवार शाम बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में खुलकर किसान नेताओं की करतूतों का भांडा फोड़ा
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के नाम पर जो तांडव हुआ, वो गंभीर बात है. किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस के साथ विश्वासघात किया है. जांच चल रही है. मंगलवार को घटी हिंसा के मामले में अब तक 19 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 50 से ज्यादा संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है. किसान नेताओं ने हमारे साथ हुए समझौते और हमारी शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया. इसी के चलते 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंसा हुई. हमने फिर भी सब्र से काम लिया. दिल्ली पुलिस के सब्र का ही नतीजा है कि इतने बड़े उपद्रव में भी किसी को जान का नुकसान नहीं हुआ. जो नुकसान हुआ सरकार का हुआ. दिल्ली पुलिस का नुकसान हुआ.
बुधवार को यह तमाम सनसनीखेज खुलासे दिल्ली पुलिस आयुक्त सच्चिदानंद श्रीवास्तव ने किए. पुलिस कमिश्नर श्रीवास्तव, जयसिंह रोड स्थित नए पुलिस मुख्यालय में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. कमिश्नर ने आगे कहा, “हम किसी भी कीमत पर ट्रैक्टर रैली की इजाजत देने को राजी नहीं थे. इसके बाद भी किसान नेता और किसान संगठन पीछे पड़े रहे. अंत में हमने शांति का रास्ता निकाला. किसान नेताओं ने हमारी सब शर्तें मानी. लिखित में दोनों पक्षों का एक समझौता भी हुआ था.”
पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, “इन तमाम शर्तों और समझौतों को किसान नेताओं और किसानों ने तबाह कर दिया. उन लोगों ने मंगलवार को दिल्ली में जमकर हिंसा की. हमने सब्र से काम लिया. वरना शायद जान का नुकसान हो सकता था. उपद्रवी किसान लाठी भाले, फरसे, हाथों में नंगी तलवारें लेकर दिल्ली की सड़कों पर उपद्रव मचा रहे थे. फिर भी हमने सब्र नहीं खोया. ऐसा नहीं है कि हमारे पास हथियार नहीं था. मगर दिल्ली पुलिस के सब्र खोने से नुकसान ज्यादा हो सकता था. आज दिल्ली पुलिस शान से कह सकती है कि उसके सब्र के चलते ही इतनी बड़ी हिंसा में भी पुलिस की कार्रवाई में किसी की जान नहीं गई. न ही कोई जख्मी हुआ. न ही हमने किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.”
‘394 पुलिसकर्मी बुरी तरह हुए जख्मी’
किसान नेताओं की वायदाखिलाफी से पुलिस कमिश्नर खासे खफा नजर आए. लिहाजा उन्होंने बुधवार शाम बुलाई गई इस प्रेस कांफ्रेंस में खुलकर किसान नेताओं की करतूतों का भी भांडा फोड़ा. एस एन श्रीवास्तव बोले, “इस हिंसा में हमारे सब्र रखने के चलते सरकार और दिल्ली पुलिस को ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. हमारे 394 पुलिसकर्मी बुरी तरह जख्मी हुए हैं. इनमें से कई तो आईसीयू में दाखिल हैं.”
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, “ऐसा नहीं है कि हम जबाब में कुछ नहीं कर सकते थे. मगर हमारा हथियार उठाना तमाम “जान” का नुकसान हो सकता था.” लाल किला के अंदर किसानों की ओर से किए गए तांडव पर उन्होंने कहा, “इस तांडव में सिंघु बार्डर और गाजीपुर बार्डर के किसान शामिल थे. सब की पहचान चेहरों से की जा रही है.” लाल किले में उपद्रवियों द्वारा धार्मिक और तमाम झंडे फहराने जाने से भी पुलिस आयुक्त खासे बिफरे हुए थे. उन्होंने इस बाबत बताया, “हमने सब झंडे कब्जे में ले लिए हैं. अब यह झंडे हमारी प्रॉपर्टी हैं. हम जांच कर रहे हैं. जांच में जो तथ्य सामने आएंगे, उस हिसाब से कानूनी कार्रवाई करेंगे.”
‘किसानों ने रूट्स का प्लान तहस-नहस किया’
पत्रकारों को संबोधित करते हुए पुलिस कमिश्नर बोले, “हमने जिन तीन रूट्स का प्लान लिखित समझौते में शामिल किया था, वो सब किसान नेताओं ने तहस नहस कर दिया. इसी का परिणाम था कि उपद्रवियों को खुलकर मौका मिल गया और वे राजधानी की सड़कों पर हिंसा करने पर उतर आए. यह तय है कि 26 जनवरी को जो हुआ सो हुआ, मगर अब हम कल की घटना में शामिल किसी को भी बख्शेंगे नहीं. चाहे वो किसान हो या फिर उनका कोई किसान नेता.”
मंगलवार को राजधानी में किसान ट्रैक्टर रैली की आड़ में मचाए गए बबाल में हुए सरकारी संपत्ति के नुकसान का जिक्र भी पुलिस कमिश्नर ने किया, जिसके मुताबिक, 428 बैरीकेड्स 30 पुलिस वाहन, मय दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की दो जिप्सियों के, 6 कंटेनर, कुछ डंपर पुलिस के तबाह कर दिए गए. बाकी नुकसान का आंकलन अभी किया जा रहा है.
‘हमारे सब्र के चलते बड़ी घटना होने से बच गई’
पुलिस कमिश्नर ने माना, “दिल्ली पुलिस के खुफिया इनपुट सही थे. हमारी तेज नजर और हमारे सब्र के चलते ही इस हिंसा में कोई बड़ी घटना होने से बच गई. पता तो हमें यह भी था कि पाकिस्तान से सैकड़ों ट्विटर हैंडल कमांड किए जा रहे हैं. हमने उन पर नजर रखी. मगर हमारा ध्यान इस पर भी था कि कहीं किसान ट्रैक्टर रैली में ही कुछ ऊंच-नीच न कर बैठें और वही हुआ जिसका अंदाजा हमें कुछ समय पहले ही हो चुका था.”
पत्रकारों के एक सवाल के जबाब में पुलिस आयुक्त ने कहा, “किसान नेता अपने वायदे से मुकर रहे हैं इसका अंदाजा हमें 25 जनवरी की शाम को ही हो गया था. हमने किसान नेताओं से कहा था कि वे ट्रैक्टर रैली 126 जनवरी को दोपहर 12 बजे से 5 बजे तक हमारे द्वारा निर्धारित तीन रूट्स पर ही निकालेंगे. मगर वे सब 26 जनवरी को सुबह 6 बजे से ही शुरू हो गए.”
पुलिस कमिश्नर ने दो-तीन किसान नेताओं का नाम लिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस कमिश्नर ने मंगलवार के बबाल के लिए, खुलेआम दो तीन किसान नेताओं का नाम लिया. जिनमें गाजीपुर बार्डर (नेशनल हाईवे-9) पर किसानों का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत का नाम भी था. साथ ही उन्होंने कहा, दरअसल जो सीसीटीवी फुटेज हमारे पास है उसमें, सिंघु बार्डर पर किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू और बूटा सिंह बुर्ज, किसानों को साफ साफ भड़काते हुए देखे और सुने गए हैं.”
क्या 26 जनवरी जैसे पर्व की व्यस्तताओं और अहमियत के मद्देनजर मंगलवार की किसान ट्रैक्टर रैली को टाला नहीं जा सकता था? इसके जबाब में दिल्ली पुलिस कमिश्नर बोले, “हमने हर संभव कोशिश की टालने की. किसान नेता मगर अपनी जिद पर अड़े रहे और हम गणतंत्र दिवस का आयोजन शांतिपूर्ण ढंग से कराने की मंशा के चलते कोई नया बखेड़ा कराना नहीं चाहते थे.” अंत में पुलिस आयुक्त ने यह भी कहा, “अब तक इस हिंसा के संबंध में 25 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. जांच अभी जारी है.”