क्या है ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021’, जिसको लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक मचा है बवाल
बिहार विधानसभा में मंगलवार को जबरदस्त हंगामे के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पास हो गया.
बिहार विधानसभा में मंगलवार को जबरदस्त हंगामे के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पास हो गया. बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) के लिए सरकार इस विधेयक को लेकर आई है. सरकार का कहना है कि यह विधेयक बीएमपी को मजबूती प्रदान करने वाला है. वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए हिटलरशाही की तरफ बढ़ रही है. मंगलवार को जब प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने इसे पेश किया तो विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और नौबत पुलिस बुलाने तक आ गई. बात इतनी बढ़ गई कि पुलिस ने बल प्रयोग किया. वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने विधायकों को लात मुक्कों से पीटा, छाती पर लात बरसाए और बेहोशी की हालत में सदन से बाहर फेंक दिया.
अब यह भी जानना जरूरी है कि आखिर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 में ऐसा क्या है कि जिसके पेश होते ही बिहार विधानसभा के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया
सरकार की दलील- अन्य राज्यों में भी लाए गए हैं ऐसे विधेयक
विधेयक को विधानसभा में पेश करते हुए प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बिहार की सीमा तीन राज्यों और नेपाल से जुड़ती है. ऐसे में सशस्त्र पुलिस बल को मजबूती प्रदान करने की जरूरत महसूस हो रही थी. ऐसा करने से राज्य की आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी और केंद्रीय बलों पर हमारी निर्भरता कम होगी. उन्होंने विपक्ष के विरोध पर दलील दी कि ऐसे विधेयक देश के अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और ओडिशा में पास हो चुके हैं. हाल ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसी तरह का विधेयक पेश किया था, जिसमें एक विशेष बल के गठन की बात थी. उस विधेयक में भी विशेष बल को कई तरह के अधिकार दिए गए हैं.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक में क्या है प्रावधान?
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के कानून बन जाने पर पुलिस के पास कई अधिकार होंगे, जिनका इस्तेमाल वो कर सकेगी. जिसमें मुख्य हैं…
– बिना वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति
– बिना वारंट के तलाशी लेने की शक्ति
– गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रक्रिया का अधिकार
– जघन्य अपराध करने वालों के लिए दंड की व्यवस्था
– न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया
– किसी विशेष प्रतिष्ठान की सुरक्षा में तैनात अधिकारी को बिना वारंट और बिना मजिसट्रेट की अनुमति के संदिग्ध को गिरफ्तार करने का अधिकार
सरकार क्यों लेकर आई है यह विधेयक
– राज्य में सशस्त्र बल का नाम बिहार मिलिट्री पुलिस है. सरकार इसका नाम बदलकर विशेष सशस्त्र पुलिस करना चाहती है क्योंकि किसी अन्य राज्य की पुलिस के साथ मिलिट्री शब्द नहीं जुड़ा है.
– मंत्री बिजेंद्रल प्रसाद यादव ने बताया कि 129 साल पुरानी बीएमपी की 2010 में 23 कंपनियां थीं. अब 45 हो गई हैं. राज्य में अब सशस्त्र पुलिस बल का दायरा बड़ा हो गया है.
– बीएमकी की जगह नया सशस्त्र बल लाने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
-उग्रवाद से मुकाबला करने के साथ कई प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे सशस्त्र बल के कार्य क्षेत्र बढ़ते जा रहे हैं.
सरकार बोली- नहीं दिए गए हैं असीमित अधिकार
विपक्ष का आरोप है कि विशेष सशस्त्र बल को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं. इस पर सरकार ने साफ किया है कि बल को असीमित अधिकार नहीं दिए गए हैं. साथ ही यह भी कहा कि अगर कोई अधिकारों का दुरूपयोग करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. बिना वारंट के गिरफ्तारी के सवाल पर प्रभारी मंत्री बिंजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सभी राज्यों में पुलिस को ये अधिकार प्राप्त हैं.
क्या हैं विपक्ष के आरोप?
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे काला विधेयक करार दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास पहले से ही सारे अधिकार हैं. ऐसे में इस विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी? मंगलवार की रात प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार पुलिस को इतने अधिकार दे रही है कि अदालत के हस्तक्षेप की गुंजाइश भी नहीं रह जाएगी. विधेयक के प्रावधान को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ संदेह मात्र पर पुलिस को किसी की भी गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए हैं.