पराली और भूसे से बना ये अस्‍पताल कोरोना मरीजों को दे रहा नई जिंदगी, यूपी की बेटी श्रिति पांडेय को Forbes ने भी किया सलाम

श्रिति पांडेय ने 6,500 वर्ग फीट में कोविड अस्पताल बनाने में 80 दिनों का समय लगाया. पटना के पास स्थित एक गांव में बना यह अस्पताल पराली और भूसे के पैनल से बनाया गया है. इस कोविड अस्पताल में 50 बेड की सुविधा है.

भारत में दिन-प्रतिदिन कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर बढ़ता जा रहा है. बीते दो दिनों से लगातार 3 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. बीते 24 घंटों की बात करें तो देशभर में कोरोनावायरस के 3,32,730 नए मामले आए हैं और 2263 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. तेजी से बढ़ रहे मामलों की वजह से देशभर की स्वास्थ्य सुविधाओं (Health System) ने दम तोड़ दिया है. मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी की वजह से अस्पतालों में न तो बेड (Hospital Bed) हैं और न ही ऑक्सीजन (Oxygen). कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में जरूरी दवाइयों (Medicine) की भी किल्लत हो रही है. कोरोना संकट के बीच गोरखपुर (Gorakhpur) की रहने वाली श्रिति पांडेय (Shriti Pandey) द्वारा बिहार (Bihar) में बनाया गया कोविड अस्पताल (Covid Hospital) कई लोगों को नई जिंदगी दे रहा है.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं श्रिति

अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट श्रिति पांडेय ने बिहार की राजधानी पटना (Patna) के पास स्थित एक गांव में बीते साल पराली और भूसे से कोविड अस्पताल बनाया था, जहां इस संकट के समय में काफी मददगार साबित हो रहा है. पराली और धान के भूसे से बने इस अस्पताल में 50 बेड की सुविधा है, जहां कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज चल रहा है. श्रिति की इस उपलब्धि पर फोर्ब्स मैग्जीन (Forbes Magazine) ने उन्हें एशिया के 30 मेधावी हस्तियों की लिस्ट में जगह दी है. फोर्ब्स की लिस्ट में नाम आने के बाद श्रिति की चौतरफा तारीफ हो रही है.

80 दिन में तैयार हुआ 50 बेड का कोविड अस्पताल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रिति पांडेय ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने से पहले साल 2014 में अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. पटना में 6,500 वर्ग फीट में पराली और भूसे का अस्पताल बनाने में श्रिति को 80 दिनों का समय लगा था. पराली से बने इस अस्पताल की कई खूबियां हैं. गर्मी के मौसम में भी इसके अंदर एसी की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके अलावा यह पर्यावरण के लिए भी काफी अच्छा है. इसके अलावा पराली और भूंसे से होने वाले निर्माण में काफी कम खर्च आता है. फिलहाल, श्रिति देश के कई इलाकों में अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं.

पराली और भूसे से बने एग्री फाइबर पैनल से तैयार होती है इमारत

ईको-फ्रेंडली इमारत बनाने के लिए श्रिति पांडेय एक खास तकनीक का इस्तेमाल करती हैं. फसल कटने के बाद खेतों में सिर्फ पराली रह जाती है. आमतौर पर खेतों की सफाई के लिए किसान पराली को जला देते हैं. श्रिति खेतों से इसी पराली को इकट्ठा करती हैं. पराली के साथ भूसा और अन्य फसलों की डंठल मिलाकर उसे कंप्रेस्ड कर एग्री फाइबर पैनल बनाया जाता है. फिर, पराली और भूसे से बनाए गए कंप्रेस्ड एग्री फाइबर पैनल से ईको-फ्रेंडली इमारत बनाई जाती है. श्रिति के इस शानदार काम के लिए उन्हें जबरदस्त प्रोत्साहन मिल रहा है.

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