सरकारी रिकॉर्ड में प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के दो हजार अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा बेड, यदि ये हकीकत में होते तो भटकते नहीं मरीज

अंचल के दतिया, शिवपुरी, भिंड और मुरैना में 144 नर्सिंग होम संचालित, हकीकत में इसके आधे भी धरातल पर नहीं।
  • ज्यादातर कॉलेजों ने मान्यता के लिए फर्जी नर्सिंग होम की जानकारी विभाग को भेजी
 

प्रदेश में बेकाबू हो चुके कोरोना संक्रमण के कारण अब अस्पतालों के गेट पर बेड फुल के बोर्ड टंगने लगे हैं। इस संकट के समय प्रदेश के करीब दो हजार नर्सिंग होम एक अदद पलंग के लिए भटक रहे आम आदमी के लिए संजीवनी साबित हो सकते थे.. यदि रिकॉर्ड में मौजूद इन नर्सिंग होम और इनके एक लाख से ज्यादा बेड हकीकत में होते।…और हकीकत यह है कि अधिकतर बेड कागजों में ही हैं। ग्वालियर चंबल संभाग के चार जिलों में दैनिक भास्कर की पड़ताल में यही सामने आया है।

दरअसल ये वे नर्सिंग होम हैं जिन्हें नर्सिंग कॉलेजों ने अपनी मान्यता के लिए भरा-पूरा बताया था। चिकित्सा शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक ग्वालियर-चंबल संभाग के चार जिलों मुरैना, भिंड, दतिया और शिवपुरी में 144 निजी नर्सिंग होम संचालित हैं। इनके आधार पर ही नर्सिंग कॉलेजों ने मान्यता के लिए आवेदन किया। इनमें 12 हजार से अधिक बेड दिखाए गए हैं।

जमीनी हकीकत: किसी कॉलेज के पास सिर्फ बिल्डिंग, स्टाफ नहीं, कोई एक कमरे में हो रहा संचालित

शिवपुरी: जिस बिल्डिंग में 120 बेड का अस्पताल चलने का दावा, वहां न ओटी, न आईसीयू, पलंग तक नहीं

शिवपुरी के पिछोर में संचालित मीरा देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन ने मीरा देवी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पीटल में सौ बेड का दावा किया है। यहां ऑपरेशन थियेटर, ईसीजी मशीन, आईसीयू सुविधाएं भी बताई हैं। हकीकत में नर्सिंग होम चालू ही नहीं है। कॉलेज प्राचार्य केडी पाराशर ने बताया कि अभी कोरोना के चलते अस्पताल बंद कर दिया है।

भिंड: जहां 150 बेड का अस्पताल चलना बताया गया, वहां सिर्फ कॉलेज की बिल्डिंग है

 

भिंड-ग्वालियर रोड पर लाड़मपुरा तिराहा से जौरी ब्राह्मण को जाने वाली सड़क पर खारीपुरा में मां त्रिमुखा कॉलेज ऑफ नर्सिंग की बड़ी बिल्डिंग है। कॉलेज ने 150 बेड वाला मां त्रिमुखा धमार्थ अस्पताल संचालित होना बताया है, लेकिन उस जगह पर अस्पताल है ही नहीं। कॉलेज संचालक राम जादौन कहते हैं-अस्पताल गांव में ही चल रहा है। छुट्टी होने से कोई मरीज नहीं आया है।

मुरैना: बिल्डिंग एक, कॉलेज दो, इसी में अस्पताल दिखा दिया, जबकि हकीकत में कोई व्यवस्था नहीं
मुरैना के पोरसा में शिवम नर्सिंग कॉलेज ने इसी सत्र में मान्यता के लिए आवेदन किया। नर्सिंग कौंसिल ने वेरिफिकेशन भी कर दिया। कॉलेज की एक ही बिल्डिंग है। इसके एक हिस्से में डिग्री कॉलेज और दूसरे में आईटीआई। यहां डॉक्टर-मरीज तो छोड़िए बेड तक नहीं हैं। कॉलेज संचालक दिनेश शर्मा का कहना है कि अभी हमने सामान खरीदकर रख दिया है जब मान्यता मिल जाएगी तो नर्सिंग होम चालू करवा देंगे।

यह है नियम; नर्सिंग होम होगा, तभी मिलेगी नर्सिंग कॉलेज की मान्यता
साल 2016 से प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता स्टेट नर्सिंग काउंसिल से जारी होती है। पहले मान्यता इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) जारी करती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद आईएनसी के पास केवल नर्सिंग कॉलेजों की फैकल्टी, नर्सिंग कोर्स के सिलेबस की मॉनिटरिंग का काम रह गया है। मान्यता के नियमों के मुताबिक अब नर्सिंग कॉलेज के लिए संबंधित संस्थान के पास 100 मरीजों की क्षमता वाले जनरल हॉस्पिटल की अनिवार्यता है।

हकीकत: कागज पर ही दिखा देते हैं हॉस्पिटल
हॉस्पिटल की अनिवार्यता का नियम आने के बाद नर्सिंग कॉलेज चलाने वालों की मुसीबत बढ़ गई। इसके बाद ज्यादातर कॉलेज संचालक हॉस्पिटल की ऑनलाइन गलत जानकारी भरकर मान्यता के लिए आवेदन कर देते हैं। सब कुछ जानते हुए भी अफसर भी वेरिफिकेशन कर एनओसी दे देते हैं। इस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के आधार पर स्टेट नर्सिंग काउंसिल से मान्यता मिल जाती है।

तीन महीने में बंद करा दिए जाएंगे ऐसे फर्जी कॉलेज
प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज के 1982 अस्पताल हैं, क्या इनका उपयोग सरकार कोरोना मरीजों के लिए करेगी।
इस मामले में बातचीत हुई है। सरकार बेड बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है। इन अस्पतालों को भी चालू करेंगे।
ग्वालियर-चंबल में नर्सिंग कॉलेजों के कई अस्पताल सिर्फ कागजों में चल रहे हैं। इन अस्पतालों का उपयोग कैसे हो पाएगा। गड़बड़ी करने वाले ऐसे नर्सिंग कॉलेज के कई अस्पतालों पर कार्रवाई हुई है। अगले तीन महीने में ऐसे कॉलेज बंद करा दिए जाएंगे।

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