सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गंगा नदी में बहते शव मिलने का मामला, उत्तर प्रदेश-बिहार सरकार पर लापरवाही का आरोप
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में गंगा नदी में 100 लाशों के मिलने को लेकर याचिका दर्ज की गई है. याचिका में उत्तर प्रदेश-बिहार सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है.
गंगा नदी में शवों के मिलने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव और गाजीपुर और बिहार के बक्सर में गंगा नदी में 100 लाशों के मिलने की शिकायत दर्ज की गई है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले की SIT से जांच कराने की निर्देश देने की मांग की गई है. इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गंगा नदी में बहते मिले शवों को लेकर केंद्र, उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी वकील विशाल ठाकरे और प्रदीप यादव ने दाखिल की. याचिका में गंगा में मिली लाशों के पोस्टमार्टम कराने की मांग भी की गई है. याचिका में कहा कि अगर बॉडी कोरोना संक्रमित होने की वजह से नदी में फेंकी गई तो गांव के साथ-साथ दूसरे इलाकों में भी कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है.
राज्य ने नहीं उठाया कोई कदम
याचिका में कहा कि अभी तक राज्य सरकार की तरफ से नदी के पानी को साफ करने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. दोनों राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है, यह नही पता कर रहीं कि गंगा नदी में बॉडी कहा से आई, बॉडी का पोस्टमार्टम तक नहीं किया गया, दोनों राज्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. वहीं, याचिका में आशंका जताई गई कि मानव अंग तस्करों ने उनके अंग निकाल कर निर्मम हत्या करके नदी में फेक दिया है.
कोविड मरीजों के शव होने की आशंका
शिकायतकर्ता ने यह भी आशंका व्यक्त की है कि ये शव कोविड पीड़ितों के थे. इसलिए, इस तरह से शवों का निपटान उन सभी व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जो आश्रित हैं. पवित्र नदी को ऐसे गंदा करना अपराध है. अगर ये शव कोविड पीड़ितों के नहीं थे, तब भी इस तरह की घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक हैं.