10-10 साल से पढ़ा रहे हैं ये टीचर…:दिनभर ड्यूटी… फिर वक्त निकालकर चलती है आईएएस, पुलिस और बैंक अफसरों की पाठशाला

  • किसी ने बिल्डिंग किराए पर ली तो किसी ने विदेशों से मंगाए लैब इंस्ट्रूमेंट

कोई आईएएस अफसर है ताे कोई एडीजी ताे कोई डीएसपी। ये सभी बच्चों को भी पढ़ाते हैं। इनमें से कोई ड्यूटी खत्म होने के बाद तो कोई ड्यूटी शुरू होने से पहले क्लास लेते हैं। बच्चे आसानी से समझ सकें, इसलिए इन्होंने अपना तरीका ईजाद किया है, उपकरण भी इम्पोर्ट किए हैं। इनकी क्लास को अटैंड करने वाले कई युवा आज सरकारी नौकरी में हैं। इनमें से हर एक का एक ही सपना है- जिन्हेें भी हम पढ़ाएं, उनका कॅरियर बन जाए।

विकास मिश्रा, आईएएस एवंं जिपं सीईओ – 10 साल से सेंट्रल लाइब्रेरी में करा रहे सिविल सर्विसेस की तैयारी

गरीब मेधावी बच्चों को सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी 10 साल से करा रहा हूं। सेंट्रल लाइब्रेरी में क्लास लगती है। इनमें से कई बच्चे एग्जाम क्लीयर करके प्रशासनिक अधिकारी भी बन चुके हैं। ड्यूटी के बाद समय निकालकर मैं और मेरे साथी इन बच्चों को पढ़ाते हैं। लॉकडाउन के दौरान ऑफलाइन क्लास नहीं लगी, तब भी हमने ऑनलाइन क्लास लेकर इन्हें पढ़ाया। प्रोफेशनल कोचिंग क्लासेस के विषय विशेषज्ञों को बुलाकर भी बच्चों के डाउट क्लीयर करने की कोशिश करते हैं। बच्चों को बुक और नोट्स भी उपलब्ध कराते हैं। एक्सीलेंस स्कूल में भी पुराने छात्रों का ग्रुप बनाया है, अब ग्रामीण बच्चों को भी पढ़ाएंगे।

शैक्षणिक योग्यता : बीएससी एलएलबी, कानपुर यूनिवर्सिटी से लॉ में गोल्ड मेडलिस्ट, 2013 बैच के आईएएस अफसर हैं।

संजीव शमी, एडीजी चयन एवं भर्ती, मप्र- एडीजी की फिजिक्स क्लास में बच्चों का फाउंडेशन कोर्स

अप्रैल 2020 में सरकारी स्कूल के दो-तीन बच्चों को यूं ही पढ़ाना शुरू किया था। फिजिक्स पढ़ाते-पढ़ाते 11वीं के इन बच्चों की संख्या अब 21 हो गई है। मेरी क्लास में न कोई अटेंडेंस लगती है और न मैं किसी ट्यूटर की भूमिका में रहता हूं। ऑफिस से लौटने के बाद शाम 6:30 बजे क्लास शुरू करता हूं, जो करीब डेढ़-दो घंटे चलती है। बच्चों में इस दौरान मैं एक रीसर्चर देखता हूं। आप इसे रीसर्चर का फाउंडेशन कोर्स भी कह सकते हैं। इसका ख्याल जरूर रखता हूं कि उन्हें दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटीज के सिलेबस समझा सकूं। इसके लिए मुझे फिजिक्स लैब के कुछ उपकरण भी मंगवाने पड़े, इनमें कुछ इंपोर्ट भी किए हैं।

शैक्षणिक योग्यता : मैकेनिकल इंजीनियर, आईआईएम बेंगलुरू और यूएस की सेरेक्यूज यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा।

उत्कर्ष देवांगन, सीनियर मैनेजर, एसबीआई-बैंक जाने से पहले छात्रों को इंग्लिश और मैथ्स पढ़ाते हैं

तीन साल पहले एक दिन मॉर्निंग वॉक पर निकला था। तभी सरोजिनी नायडू गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसिपल एसके खांडेकर भी मिले। उन्होंने बताया कि स्कूल में इंग्लिश के अच्छे टीचर नहीं है। तभी से मैं टीचर की भूमिका भी निभा रहा हूं। 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को इंग्लिश और मैथ्स पढ़ाता हूं। लॉकडाउन में भी ऑनलाइन क्लासेस लेकर स्टूडेंट को पढ़ाता रहा। बैंक जाने से पहले रोजाना स्कूल में जाकर ऑफलाइन या छुट्टी के दिन ऑनलाइन क्लास लेना नहीं भूलता। आईआईटी, जेईईई के लिए भी स्टूडेंट्स को निशुल्क कोचिंग देता हूंं।

शैक्षणिक योग्यता : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीई, एसबीआई पीओ एग्जाम फर्स्ट अटेम्प्ट में क्लीयर किया था।

प्रदीप मिश्रा, डीएसपी क्यूडी शाखा, पीएचक्यू- इस क्लास में गुड मॉर्निंग और नमस्ते नहीं, सिर्फ जय हिंद

करीब दस साल पहले मैंने जय हिंद शिक्षा संस्थान की शुरुआत की थी। उस समय मैं रेडियो कॉलोनी में बच्चों को मुफ्त में घर-घर जाकर पढ़ाता था। फिलहाल ये संस्थान डिपो चौराहा स्थित रेडक्लिप स्कूल परिसर में चला रहा हूं। मेरे पास 90 बच्चे हैं, इनमें 40 बिना भुगतान के पढ़ रहे हैं। बाकी बच्चों से भी थोड़ी फीस इसलिए लेता हूं ताकि बिल्डिंग का किराया और उनके लिए जरूरी उपकरण या सिलेबस ला सकूं। इस क्लासरूम में गुडमॉर्निंग या नमस्ते नहीं बल्कि जय हिंद का अभिवादन किया जाता है। इन दस साल के भीतर इस क्लासरूम से 210 छात्र सरकारी नौकरी पा चुके हैं। इनमें 32 सब इंस्पेक्टर, 90 सिपाही शामिल हैं।

शैक्षणिक योग्यता : बीएससी (पीसीएम), पीजी डिप्लोमा इन क्वेश्चन डॉक्यूमेंट, केबीसी एक्सपर्ट भी रहे हैं।

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