टॉय क्लस्टर विकसित जमीन पर इसलिए क्लस्टर नीति में नहीं आएगा प्रदेश की सरकारी और निजी जमीन पर क्लस्टर विकास के लिए आई नई नीति के साथ ही इसमें जमीन आवंटन को लेकर आशंकाएं हैं। इसे लेकर उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि पहले कभी जमीन आवंटन को लेकर कोई मुद्दे हुए तो इसका मतलब नहीं कि आगे भी गड़बड़ी होगी। इसमें प्रावधान किए जा रहे हैं कि उद्योग नहीं तो जमीन नहीं। वहीं इस नीति के तहत जमीन सिंगल परपज व्हीकल को मिलेगी जो कुछ लोगों द्वारा बनाई कंपनी होगी। ऐसी नीति पर काम हो रहा है कि कहीं भी जमीन का खेल न हो सके। एसपीवी के साथ ही शासन और जमीन लेने वाले के बीच ट्राय पार्टी करार किए जाएंगे। यह सभी बिंदु एसपीवी और शासन के बीच की नीति में डाले जा रहे हैं जो कैबिनेट से मंजूरी के बाद जारी किए जाएंगे। वरिष्ठ सीए संतोष मुछाल ने कहा कि एसपीवी नीति को लेकर इतने बिंदु बनाए जा रहे हैं कि इसमें साफ नीयत वाले को ही जमीन मिल सके। जमीन को लेकर इसलिए उठ रहे सवाल टॉय क्लस्टर में जिन्होंने अभी निवेश की मंशा जाहिर की है, उसमें अधिकांश लोग कनफेक्शनरी से जुड़े हुए हैं। इसे लेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम रामचंदानी का कहना है कि कनफेक्शनरी इंडस्ट्री में अब काफी टॉय लगते हैं। ऐसे में वे अलग से यूनिट डालने की योजना बना रहे हैं। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं टॉय, फर्नीचर और प्लास्टिक क्लस्टर तीनों में एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के परिवार की इंडस्ट्री को अलग-अलग जमीन देना प्रस्तावित है, इनके निवेश प्रस्ताव हैं। इसी तरह कुछ क्लस्टर में एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम पर भी जमीन आवंटन के प्रस्ताव हैं, इसमें तो एक जगह कंपनी भी एक है और इसके अलग-अलग दो नाम बताकर जमीन देना प्रस्तावित कर दिया है। विकसित जमीन पर क्लस्टर तो सब्सिडी नहीं शासन की क्लस्टर नीति के तहत केवल अविकसित जमीन पर ही क्लस्टर आ सकता है, वहीं टॉय क्लस्टर के लिए मिली करीब आठ एकड़ जमीन पर करीब 25 फीसदी विकास काम हो चुका हो तो ऐसे में यह शासन की नीति में नहीं आता। इसलिए इसे प्रदेश सरकार की सब्सिडी नहीं मिलेगी। प्रेम रामचंदानी कहते हैं कि टॉय क्लस्टर के पहले फेज के विकसित होने पर ही तीन हजार से ज्यादा को रोजगार मिल सकेगा। वहीं फर्नीचर क्लस्टर के अध्यक्ष विनोद बाफना और सचिव हरीश नागर बताते हैं कि इस क्लस्टर के विकास से छह से सात हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। वहीं प्लास्टिक क्लस्टर के लिए अभी कोई जमीन तय नहीं हुई है।

पेट्रोल के समान डीजल भी 100 रुपए लीटर तक पहुंच गया है । इसके चलते बायोडीजल की मांग बढ़ गई , जो कि सस्ता पड़ता है , लेकिन ये बायो डीजल अवैध रूप से बेचा जा रहा है । शिकायत मिलने पर कलेक्टर मनीष सिंह ने शुक्रवार देर रात दो अवैध पम्पों पर छापा डलवाया , जहां से 24 हजार लीटर बायोडीजल के साथ दो वाहन और डीजल भरने के पम्प सहित अन्य सामान जब्त किया गया ।

इसके पूर्व भी बायो डीजल के फर्जीवाड़े में वाणिज्यिक कर विभाग 5 करोड़ की टैक्स चोरी सरैंडर करवा चुका है। शुक्रवार को नायता मुंडला में स्वराज बायो डीजल, (मालिक रामपालसिंह चौहान) पर पहले भी छापा मारा गया था वही लगभग पांच हजार लीटर बायो डीजल बेचते कर्मचारी राजेश रूपसिंह परमार पकडाया है और अवैध बायो डीजल बेचने का प्रकरण दर्ज हुआ था। दो मामले में एफआईआर दर्ज की कर प्रसाशन जल्द रासुका लगाने की तैयारी कर रहा है।

अपर कलेक्टर डॉ . अभय बेड़ेकर के मुताबिक गुरुवार को 103 सहारा सिटी , बी -9 भिचौली मर्दाना और मुंडला नायता नेमावर चौराहा के पास स्थित दो अवैध पम्पों पर कार्रवाई की गई आधी रात के बाद तक यह कार्रवाई चली , जिसमें एक पम्प से लगभग साढ़े 4 हजार लीटर और दूसरे पम्प साढ़े 19 हजार लीटर , इस तरह 24 हजार लीटर बायोडीजल जब्त किया गया । मामले में कर्ताधर्ताओं के नाम सामने आए हैं , जिनके खिलाफ आज एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है और उसके बाद फिर रासुका में निरुद्ध करने की कार्रवाई भी प्रशासन द्वारा की जाएगी ।

दुसरे डीजल से कम है दाम

पूरे मालवा-निमाड़ में इस समय बायो डीजल के नाम पर इर्म्पोटेट डीजल की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है।बायो डीजल लगभग 55 रुपए प्रति लीटर पड़ता है , जिसे 80-90 रुपए प्रति लीटर तक वाहन मालिकों को बेच दिया जाता है । यह डीजल पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले डीजल से 30 रु. कम पर बिक रहा है। इंदौर में ही 10 लाख लीटर इर्म्पोटेट डीजल की खपत बायो डीजल के नाम पर हो रही है। बायो डीजल में 6 से 20 प्रतिशत तक वास्तविक डीजल मिलाना होता है, इधर इर्म्पोटेट डीजल 50 रु. लीटर में मिल रहा है। इस धंधे में लगे एक कारोबारी ने बताया कि 50 लाख लीटर बायो डीजल के नाम से इर्म्पोटेट डीजल बेचा जा रहा है।

जिलो में पहुंच रहा है आसानी से

धार जिला, खरगोन जिला, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, खंडवा, देवास, उज्जैन सभी जगहों पर इन दिनों इर्म्पोटेट डीजल ही बेचा जा रहा है और इसकी मांग भी बनी हुई है। कारोबारी ने कहा कि गुजरात से डेली 250 टैंकर आ रहे हैं। सिर्फ खरगोन जिले के निमरानी गांव में 6 लाख लीटर के लगभग डेली बेचा जा रहा है। नियमानुसार बायो डीजल रिटेल में नहीं सेल कर सकते हैं और एक अनुमान के अनुसार रोज सरकार को

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