भूमिपूजन के 2 साल:देरी से चल रही है हमारी मेट्रो… इसलिए 2100 कराेड़ रुपए महंगी हुई, लागत 6941 करोड़ से बढ़कर 9000 करोड़ होने का अनुमान

राजधानी में 2023 के अंत तक मेट्रो शुरू करने का वादा पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। एम्स से सुभाष नगर तक 6.22 किमी के रूट का सिविल वर्क ही 2023 तक पूरा हो जाए तो बड़ी बात है। मेट्रो रूट की बाधाएं तो एक बात है, लेकिन इससे बड़ा मुद्दा बजट के इंतजाम का है।

7 साल पहले 2014 में भोपाल मेट्रो की लागत 6941 करोड़ आंकी गई थी। इन 7 साल में एक डॉलर की कीमत लगभग 61 रुपए से बढ़कर 74 रुपए तक हो गई है। लगभग 21% की इस वृद्धि का सीधा असर लागत पर पड़ेगा। कंस्ट्रक्शन मटेरियल में भी इतनी ही वृद्धि हुई है। जिस तेजी से पेट्रोलियम व अन्य चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में प्रोजेक्ट लागत कुल 30% तक बढ़ने की आशंका है। यानी लगभग 2100 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ यह 9000 करोड़ से अधिक हो जाएगी। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का बजट और मेट्रो के लोन आदि का गणित बिगड़ना स्वाभाविक है।

सिर्फ 6.22 किमी के सिविल वर्क का ही हुआ अब तक काम
दो साल पहले 26 सितंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल मेट्रो के लिए भूमिपूजन किया था। उस हिसाब से आज इस प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत को दो साल पूरे हो रहे हैं। हालांकि भोपाल में मेट्रो का जमीनी काम दिसंबर 2018 में शुरू हो गया था। उस समय कहा गया था कि अन्य कार्यों के लिए तेजी से टेंडर जारी होंगे और काम भी तेजी से चलेंगे। लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि अब तक केवल 6.22 किमी के सिविल वर्क के अलावा कोई और काम शुरू नहीं हो सका है।

3500 करोड़ का लोन कब मिलेगा, स्पष्ट नहीं
यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक ने भोपाल के लिए 50% यानी लगभग 3500 करोड़ रुपए का लोन देने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। लेकिन, यह कब मिलेगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। पहले कहा था कि मेट्रो बोर्ड का गठन होने के बाद औपचारिक रूप से केंद्र सरकार के माध्यम से प्रस्ताव जाएगा।

2023 तक प्रायोरिटी रूट पर संचालन की पूरी तैयारी
बड़े प्रोजेक्ट में लागत कई दूसरे फैक्टर पर निर्भर करती है। प्रोजेक्ट में कुछ हिस्सा पीपीपी से भी होगा। 2023 तक प्रायोरिटी रूट पर संचालन की पूरी तैयारी है। -अखिलेश अग्रवाल, डायरेक्टर (टेक्निकल), मेट्रो कंपनी

  • 250 करोड़ रुपए मेट्रो के सिविल वर्क पर अभी खर्च हो रहे हैं।
  • 2023 तक मेट्रो शुरू करना है तो इस रूट पर पटरी, स्टेशन आदि तैयार करने होंगे।
  • 2000 करोड़ इन सब कामों को पूरा करने के लिए चाहिए।

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