लेबर मार्केट पर कोविड का गहरा असर:पिछले साल तीन दशक में सबसे ज्यादा रही बेरोजगारी दर, ILO के मुताबिक, हर 10,000 में 711 लोग रहे बेरोजगार

पिछले साल देश में कोविड के चलते बेरोजगारी दर तीन दशक में 7.11% के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। इसका मतलब यह है कि 2020 में काम करने को तैयार यहां के हर 10,000 वर्कर में से 711 को काम नहीं मिल पाया। भारत में पिछले साल बेरोजगारी दर के बारे में यह जानकारी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने अपने ILOSTAT डेटाबेस के हवाले से दी है।

पिछले एक दशक में बेरोजगारी दर पड़ोसी मुल्कों से ज्यादा रही

उसके आंकड़े यह भी बताते हैं कि पिछले एक दशक में भारत में बेरोजगारी दर पड़ोसी मुल्कों से ज्यादा रही है। हालांकि, एक दशक पहले 2009 में रोजगार के मामले में श्रीलंका की हालत बदतर थी। अगर सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE के डेटा की बात करें तो उसके मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर ने भारत में बेरोजगारी की दर सालाना आधार पर काफी बढ़ा दी है।

जनवरी में 6.62% रही बेरोजगारी दर अप्रैल में 7.97% हो गई

सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, जनवरी में 6.62% रही मासिक बेरोजगारी दर अप्रैल में बढ़कर 7.97% पर पहुंच गई। यानी जनवरी में हर दस हजार वर्कर्स में से 662 लोग काम करने को तैयार थे, लेकिन काम नहीं पा सके। लेकिन अप्रैल में बेरोजगारों की संख्या 797 प्रति 10,000 तक पहुंच गई थी।

23 मई को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी दर बढ़कर 14.7% हुई

CMIE के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से लोगों की आवाजाही और सामान की ढुलाई में रुकावट आई। इसके चलते 16 मई, 2021 को खत्म हफ्ते हर 10,000 वर्कर पर बेरोजगारों की संख्या 1,450 पर पहुंच गई थी। 23 मई को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी दर बढ़कर 14.7% यानी 1,470 प्रति 10,000 तक पहुंच गई।

2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊपरी लेवल पहुंची थी

बेरोजगारी को सरकार की नजर से देखें तो उसके पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) डेटा के मुताबिक, 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊपरी लेवल 6.1% तक पहुंच गई थी। यानी, उस साल हर 10,000 वर्कर में 610 बेरोजगार थे, लेकिन अगले साल यानी 2018-19 में उनका आंकड़ा घटकर 5.8% (580 प्रति 10,000) पर आ गया।

2020-21 में बेरोजगारी दर में खासा उछाल आने के आसार

अगले साल यानी 2020-21 में कोविड के चलते स्थिति बिगड़ने और बेरोजगारी दर में खासा उछाल आने के आसार हैं। देश में रोजगार और बेरोजगारी दर के अहम संकेतकों के बारे में अनुमान लगाने के लिए नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) अप्रैल 2017 से PLFS कर रहा है।

2013 से 2019 के बीच बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट का रुझान

ILO के डेटाबेस के मुताबिक, 2008 में हर 10,000 वर्कर में 536 बेरोजगार थे, जिनकी संख्या 2010 में 565 पर पहुंच गई। लेकिन, 2013 से 2019 के बीच इसमें लगातार गिरावट का रुझान बना रहा। 2013 में बेरोजगारी 567 वर्कर प्रति 10,000 से 2019 में 527 पर आ गई लेकिन 2020 में बेरोजगारों की संख्या तेज उछाल के साथ 711 पर पहुंच गई।

2020 में वैश्विक बेरोजगारी दर 6.47% रही, जो 2019 में 5.37% थी

2020 में विश्व स्तर पर औसत बेरोजगारी दर 6.47% (647 प्रति 10,000) रही, जो 2019 में 5.37% थी। 1991 यानी जिस भारत में उदारीकरण की शुरुआत हुई थी, उस साल दुनिया भर में औसत बेरोजगारी दर 4.8% थी। 2009 में भारत में बेरोजगारी दर 5.61% जबकि श्रीलंका में 5.85% थी लेकिन उसके बाद से पड़ोसी मुल्क के लेबर मार्केट की हालत लगातार बेहतर हुई।

ILO के मुताबिक पिछले साल बांग्लादेश में बेरोजगारी दर 5.3%, श्रीलंका में 4.48%, पाकिस्तान में 4.65%, नेपाल में 4.44% जबकि भूटान में 3.74% थी।

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