भोपाल में नया सिस्टम:आप भी जानिए… पुलिस कमिश्नर सिस्टम से जुड़े प्रमुख सवालों के जवाब

  • नए जिलाबदर, पैरोल की सुनवाई और धरना-प्रदर्शन की मंजूरी पुलिस के हवाले

राजधानी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है। अब जिला बदर और पैरोल के केसों की सुनवाई पुलिस करेगी, लेकिन कलेक्टोरेट में चल रहे पुराने जिलाबदर और पैरोल के केसों की सुनवाई अभी कलेक्टर ही करेंगे। अब जो भी नए जिलाबदर और पैरोल के केस दर्ज उनकी सुनवाई पुलिस करेगी। अभी कलेक्टर अविनाश लवानिया की कोर्ट में 70 जिला बदर के मामलों में सुनवाई चल रही है। एक जनवरी से अभी तक 232 बदमाशों को कलेक्टर द्वारा जिला बदर किया जा चुका है, जबकि 40 से ज्यादा पैरोल के मामलों में पुलिस की रिपोर्ट आने का इंतजार है। इधर, जूलूस, धरना-प्रदर्शन, कथा समेत अन्य धार्मिक आयोजनों की मंजूरी पुलिस देगी। इसके लिए अब एसडीएम कार्यालय नहीं जाना पड़ेगा।

धारा-145 के तहत जमीनों पर कब्जों के खिलाफ अभियान कौन चलाएगा?

ये काम प्रशासन के अधीन होगा। राजस्व रिकॉर्ड में इसे दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। धारा 145 के तहत जमीन, पानी के विवाद से जुड़े मामले प्रशासन के पास ही हैं। इसमें पुलिस कमिश्नर को अधिकार नहीं दिए गए हैं। यह प्रशासन द्वारा ही किया जाएगा, इसलिए माफिया के विरुद्ध अभियान प्रशासन द्वारा चलाया जाएगा।

पब्लिक न्यूसेंस की धारा-133 के तहत कार्रवाई कौन करेगा पुलिस या प्रशासन?

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 133 के तहत अधिकार एसडीएम के पास ही हैं। मौके पर जाकर जांच कराई जाएगी। पहले की तरह ही प्रशासन के अफसर काम करेंगे।

जिलाबदर के जो केस कलेक्टोरेट कोर्ट में चल रहे हैं, क्या वो खत्म हो जाएंगे?

नए जिलाबदर के केस अब पुलिस के हवाले होंगे, लेकिन अभी जो पुराने केस कलेक्टर कोर्ट में चल रहे हैं, उनकी सुनवाई कलेक्टर ही करेंगे।

रासुका केसों का क्या स्टेटस होगा?

पहले ही तरह की रासुका केस पुलिस के माध्यम से कलेक्टर के पास जाएंगे। सुनवाई के बाद कार्रवाई होगी।

प्रतिबंधात्मक धारा 144 में अब लॉकडाउन के आदेश या अन्य आदेश कौन करेगा?

जहां अपराध संबंधी मामला होगा, उसे रोकने में जो आदेश जरूरी लगेगा, वह पुलिस कमिश्नर द्वारा जारी किए जाएंगे। जैसे कि किराएदार की जानकारी पुलिस को देना, लेकिन लॉकडाउन, मास्क, वैक्सीनेशन अनिवार्यता, प्रदूषण होने पर धुआं रोकना, आचार संहिता के संबंध में धारा 144 जैसे अधिकार कलेक्टर के पास ही रहेंगे।

रैली, जुलूस, धरना प्रदर्शन की मंजूरी और ज्ञापन कौन लेगा?

ये सभी मंजूरी अब संबंधित थाने से ही मिलेगी। इसमें एसडीएम द्वारा मंजूरी जारी नहीं होगी, क्योंकि पहले भी पुलिस की रिपोर्ट पर ही एसडीएम मंजूरी देते थे, अब यह पुलिस खुद ही जारी कर देगी। रैली, जुलूस और प्रदर्शन की निगरानी भी पूरी तरह से पुलिस के हवाले होगी।

107, 116, 110 जैसी धाराओं का उपयोग कौन करेगा?

ये अधिकार पुलिस और एसडीएम दोनों के पास रहेंगे, चूंकि इन धाराओं में इश्तगासा भी पुलिस ही बनाती है तो वह इसे बनाकर एसडीएम की जगह अब अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास ले जाएगी। हालांकि यदि एसडीएम को किसी मामले में लगता है कि उन्हें किसी को इन धाराओं में बुलाना है या किसी पर यह धारा लगाना है, तो वह लगा सकेंगे।

हथियारों के लाइसेंस और सस्पेंड करने के अधिकार किसके पास होंगे?

हथियारों के लाइसेंस जारी करने के अधिकार पहले की तरह कलेक्टर के पास होंगे। कार्रवाई यहीं से होगी। शराब का लाइसेंस भी कलेक्टर जारी करेगा। खनिज की अनुमति कलेक्टर द्वारा जारी की जाएगी।

पड़ोसियों से या अन्य किसी तरह के विवाद आदि पर बाउंड ओवर की प्रक्रिया कौन करेगा?

यह पुलिस और एसडीएम दोनों कर सकते हैं।

किसी व्यक्ति की घटना के दौरान मरने से पहले होने वाले डीडी बयान कौन लेगा?

ये बयान अब पुलिस द्वारा लिए जाएंगे।

पुलिस तय करेगी पार्किंग स्थल

नए सिस्टम में अब पार्किंग स्थल पुलिस तय करेगी, यानी नए पार्किंग स्थल घोषित करने का काम अब पुलिस का होगा, लेकिन इसकी प्रक्रिया अभी तय होना है। शहर में अभी 52 पार्किंग स्थल हैं व 200 से ज्यादा ऐसे स्थान हैं, जहां नो पार्किंग घोषित है। अभी स्थिति यह है कि कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला यातायात समिति पार्किंग स्थल का चयन करती है। इसके लिए निगम की ओर से प्रस्ताव जाता है। निगम इस प्रस्ताव के लिए अपने स्टाफ के सर्वे के साथ यातायात पुलिस से भी समन्वय करता है।

शहर में नो पार्किंग में पार्क होने वाले वाहनों के चालान के लिए नगर निगम की ओर से यातायात पुलिस को क्रेन उपलब्ध कराई गई है।

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