उज्जैन…. जवाब देना होगा…क्योंकि:शिप्रा शुद्ध करने का दावा किया, 90 करोड़ पाइप लाइन में बहा दिए, अब ‘नई प्लानिंग’
खान डायवर्सन पाइप लाइन… सिंहस्थ-2016 में करीब 90 करोड़ रुपए खर्च कर 19 किमी लंबी यह लाइन राघौ पिपलिया से कालियादेह महल तक बिछाई गई थी। ताकि इंदौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी को इस लाइन से डायवर्ट कर दिया जाए और वह शिप्रा को दूषित नहीं कर पाए। श्रद्धालुओं को नदी के प्रमुख घाटों पर स्नान के लिए हमेशा साफ पानी उपलब्ध रहे। हैरत यह कि महज पांच साल में ही करोड़ों रुपए खर्च कर डाली गई यह पाइप लाइन सवालों के घेरे में है। क्योंकि यह पाइप लाइन इंदौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी को डायवर्ट कर शिप्रा को दूषित होने से रोकने में लगातार नाकाम साबित हो रही है।
ताजा उदाहरण शनिश्चरी अमावस्या स्नान पर्व का है, जब पाइप लाइन से गंदा पानी डायवर्ट नहीं हो पा रहा था। लिहाजा प्रशासन को इसे शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए मिट्टी का कच्चा बांध बनाना पड़ा। लेकिन वह बांध ही ढह गया और शिप्रा दूषित हो गई। इसमें स्नान के लिए नर्मदा से लाया गया 2 एमसीएम साफ पानी भी दूषित हो गया और मछलियां भी मर गई। श्रद्धालुओं को दूषित पानी में स्नान करने को मजबूर होना पड़ा। भास्कर ने मुद्दा उठाया। शिप्रा की इस स्थिति पर संतों की नाराजगी भी सामने आई।
उन्होंने धरना दिया जो जनप्रतिनिधियों के आश्वासन पर समाप्त हुआ। बात शासन स्तर तक पहुंची तो भोपाल से उज्जैन भेजी गई तीन सदस्यीय आला अफसरों की टीम ने पूरी स्थिति की पड़ताल करने के बाद उक्त दूषित पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए नहर व ट्रीटमेंट प्लांट में से एक योजना पर काम करने की बात कही है। ऐसे में 90 करोड़ की खान डायवर्सन पाइप लाइन सवालों के घेरे में है, जो कि इसी उद्देश्य (गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने) के लिए थी और अब नाकाम है।
दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए
खान डायवर्सन पाइप लाइन से जब गंदा पानी डायवर्ट ही नहीं होना था तो अधिकारियों को तभी बताना चाहिए था। इसमें रुपए क्यों बर्बाद किए। शिप्रा की हालत को लेकर जो भी अधिकारी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होना ही चाहिए। मजाक बनाया हुआ है।-दिवाकर नातू, अध्यक्ष, सिंहस्थ मेला प्राधिकरण-2016
डायवर्सन की पाइप लाइन को लेकर यह सवाल
1 जब खान डायवर्सन पाइप लाइन इंदौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने में कारगर नहीं थी तो 90 करोड़ रुपए क्यों खर्च किए गए।
2 क्यों यह योजना 15-20 वर्ष को ध्यान में रखकर बनाई गई, ताकि यदि इंदौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी की आवक बढ़े तो भी वह इससे डायवर्ट हो सके।
3 पाइप लाइन डलने के बाद ही कई बार डैमेज भी हुई। जिसे दुरुस्त करने में लाखों रुपए खर्च करने पड़े। इन स्थितियों से पाइप लाइन की गुणवत्ता पर भी सवाल है।
4 क्या शासन स्तर से कान्ह डायवर्सन पाइन लाइन योजना पर जांच बैठाई जाएगी, योजना बनाने वाले व इस पर काम करने वाले जिम्मेदार कार्रवाई के दायरे में आएंगे?
5 इनकी लापरवाही से शिप्रा का पानी और करोड़ों रुपए खर्च करके उसमें लाया जाने वाला नर्मदा का पानी बार-बार दूषित हो रहा है। जलीय जीव दम तोड़ रहे हैं। श्रद्धालुओं को स्नान के लिए साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। स्वच्छता अभियान में भी यह बढ़ी अड़चन है।
2004 में बनी यह नदी संरक्षण योजना भी फेल
सिंहस्थ-2004 में शिप्रा को गंदे नालों के प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्र सरकार की नदी संरक्षण योजना के तहत शहर के 11 बड़े नालों को पाइप लाइन से डायवर्ट किया था। इनका गंदा पानी सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पर पंपिंग कर भेजा जाता है। जहां गंदे पानी को साफ कर फिर से शिप्रा में छोड़ा जाता है। इस योजना में बिजली की खपत ज्यादा होती है। निगम बिजली का खर्च वहन नहीं कर पाता। इसके लिए राज्य सरकार कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही। इस कारण कई बार पंपिंग बंद होने के कारण नालों का पानी बहकर शिप्रा में मिलता है।
खान को रोकने के लिए केंद्रीय मंत्री ने राशि देने की सहमति दी
इंदौर की खान नदी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने राशि देने के लिए सहमति दे दी है। सांसद अनिल फिरोजिया ने बताया दिल्ली में शेखावत को जब शिप्रा और उज्जैन का महत्व बताया तथा वीर दुर्गादास की छतरी की जानकारी दी तो वे बोले वीर दुर्गादास हमारे राजा थे। इसलिए उज्जैन की शिप्रा की स्वच्छता के लिए जल शक्ति मंत्रालय राशि उपलब्ध कराएगा। खान को रोकने के लिए जो भी प्रोजेक्ट है, वह हमें उपलब्ध करा दें। फिरोजिया ने बताया कि इस संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह से प्रोजेक्ट मांगा है। वे जो प्रोजेक्ट देंगे, वह केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को भेजेंगे। खान को रोकने के लिए सीएम से भी दिल्ली में बैठक के दौरान भेंट की थी। सीएम ने बताया था कि अफसरों को दौरा करने भेज दिया है।