जब इंदिरा की तारीफ करने वाले अटल बोले-‘वह धूर्त महिला’ … पाक को धूल चटाने की रणनीति हवा में लिखी, मोदी के ‘हार्ड हिंदुत्व’ का बीज उन्हीं ने बोया
19 जनवरी यानी आज ही के दिन देश को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली थी। लेकिन पुरुष केंद्रित राजनीति में इंदिरा गांधी के लिए यह सफर आसान नहीं रहा। उनके ऊपर ‘गूंगी गुड़िया’ और ‘कमजोर महिला’ होने के कई लेबल लगाए गए। इन सबको देखते-सुनते-झेलते हुए इंदिरा गांधी ने इतिहास में वह मुकाम बनाया जो किसी दूसरे प्रधानमंत्री के नाम नहीं रहा। पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी पर राजनीतिक हलकों में तंज और मजाक किए जाते थे तो उन्हें कई फैसलों के लिए अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध झेलना पड़ा। लेकिन उनके कुछ फैसले ऐसे भी रहे जिनके लिए उनकी सबसे बड़ी तारीफ विपक्षी नेताओं ने ही की।

ऐसे ऊंचे-नीचे पथरीले राजनीतिक रास्ते पर इंदिरा गांधी किस तरह से टिकी रहीं, यह जानने के लिए भास्कर वुमन ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय से बातचीत की। राम बहादुर राय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की कई नीतियों का विरोध किया और उनको काले झंडे तक दिखाए। वह बेबाक अंदाज में इंदिरा गांधी का मूल्यांकन करते हैं।

सवाल : इंदिरा गांधी किस तरह की महिला थीं?
राम बहादुर राय : एक बार की बात है पुपुल जयकर, इंदिरा गांधी की बायो-ग्राफी (Indira Gandhi: An Intimate Biography, 1992) लिख रही थीं। इस सिलसिले में वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने गईं। उनके जाने के बाद मैंने वाजपेयी जी से पुपुल जी की आने की वजह पूछी, तो अटलजी बताया कि वे इंदिरा जी के बारे में मेरी राय जानना चाहती थीं। मैंने अटलजी से पूछा कि आपने इंदिरा जी पर अपनी राय में क्या कहा? तो अटल जी ने मुस्कराकर कहा, ‘मैंने पुपुल को कहा कि इंदिरा ‘चतुर महिला’ हैं और राजनीति की हर चतुराई में पारंगत भी। लेकिन तुम्हें मैं यह कह सकता हूं कि इंदिरा ‘धूर्त’ हैं। उनका ‘धूर्त’ शब्द बहुत ही गूढ़ मायने रखता है। दरअसल एक महिला जो पुरुषों से घिरी होकर राजनीति में हो, उसके लिए धूर्त होना बेहद जरूरी है। यह शब्द इंदिरा जी के व्यक्तित्व में रची-बसी होशियारी, दूरंदेशी और राजनीतिक सूझबूझ को दर्शाता है।

सवाल : क्या कभी इंदिरा गांधी के फैसलों में कभी हार्डलाइन वाला हिंदुत्व नजर आता था?
राम बहादुर राय: साल 1980 में जब इंदिरा दोबारा सत्ता में आईं, तो वह काफी बदल चुकी थीं। उनके इस दौर के बारे में बहुत कम लिखा गया है। इन दिनों मुझे उनको करीब से जानने का मौका मिला। उस दौर की इंदिरा गांधी वहीं थीं, जो आज के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आते हैं। आज पीएम मोदी के हिंदुत्व के रास्ते पर चलने की बात की जाती है। इसका बीजारोपण किसी प्रधानमंत्री ने किया है तो वह इंदिरा गांधी थीं। दरअसल श्रीमती इंदिरा गांधी ने देख लिया था कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर के मामले सही तरीके से हल नहीं हो रहे हैं।

सवाल: हिंदुत्व की ओर झुकाव से जुड़ी कोई घटना याद हो, तो बताएं?
राम बहादुर राय: उन्हीं दिनों तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम् गांव में धर्मांतरण की घटना हुई। इस घटना पर इंदिरा जी ने पहल करते हुए ऑल पार्टी डेलीगेशन बनवाया। तब तक धर्मांतरण संबंधी किसी घटना पर इस तरह का कदम नहीं उठाया गया था। परोक्ष रूप से उन्होंने विराट हिंदू समाज बनवाया। इसके अध्यक्ष डॉ. कर्ण सिंह बने और अशोक सिंघल इसके कन्वीनर बनाए गए थे। अगर वे जीवित रहतीं, तो बावरी मस्जिद का ताला अरुण नेहरू् की जगह इंदिरा गांधी खुलवातीं। यह उनका ‘राजनीति इल्हाम’ था यानी ईश्वर के दर्शन।

सवाल : क्या आपको प्रियंका गांधी में इंदिरा की छवि नजर आती है?
राम बहादुर राय: प्रियंका में इंदिरा गांधी के अंश दिखते हैं। इसमें दो राय नहीं कि प्रियंका अगर कांग्रेस की अध्यक्ष बनती हैं, तो कांग्रेस को नया जीवन मिलेगा। लेकिन सोनिया गांधी की मानसिकता बिल्कुल परंपरागत है। जिसे कुंठित और बेटी विराेधी परम्परा कहा जाता है।
राम बहादुर राय: कई साल पहले निखिल चक्रवर्ती (मेन्स्ट्रीम के फाउंडर-एडीटर) और प्रभाष जोशी (जनसत्ता) से हुई एक मुलाकात में मुझे इस बात का आभास हो गया था कि उत्तराधिकार के मामले में राहुल ही सोनिया गांधी की पसंद बनेंगे। घर में बेटा हो, तो बेटी को उत्तराधिकारी नहीं माना जाता, प्रियंका इसी परम्परा की शिकार हो गई हैं।

सवाल : इंदिरा पर क्यों गर्व महसूस करना चाहिए ?
राम बहादुर राय: जब इंदिरा जी प्रधानमंत्री बनीं, तो मैंने विपक्ष के कई नेताओं की बातें सुनीं। वे सभी व्यंग्य में कहते कि हमने पाकिस्तान को बता दिया है कि हमने एक महिला को प्रधानमंत्री बना दिया है, तो अब कोई युद्ध वगैरह नहीं होगा। लेकिन इस महिला ने सिर्फ 13 दिनों में पाकिस्तान को धूल चटा दी। 2 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने युद्ध छेड़ा। उस समय श्रीमती गांधी कोलकाता में थीं। उनके हवाई जहाज को पांच जहाजाें की सुरक्षा में दिल्ली लाया गया। उसी दौरान प्लेन में ही तय कर लिया था कि युद्ध की रणनीति क्या होगी। उन्होंने जहाज में पीएम के केबिन में ही घोषणा करने से लेकर रेडियो से सूचित करने का सारा खाका तैयार कर लिया था। उनका मजाक उड़ाने वाले गलत साबित हो चुके थे।

सवाल : इंदिरा की सबसे बड़ी गलती ?
राम बहादुर राय: इंदिरा जी से अपने जीवन में दो सबसे बड़ी गलतियां हुईं। उन्होंने भयंकर भूल कि जब उन्होंने अपनी ही जनता पर इमरजेंसी थोपी। उनकी दूसरी भूल स्वर्ण मंदिर में सेना भेजना था। इस मामले को वह किसी और तरीके से हल कर लेती तो बेहतर रहता, उनके लिए और देश के लिए।