मूड के हिसाब से AI बदल देगी गाने की धुन; जानिए वर्कआउट करते समय सॉन्ग बदलने से कैसे मिलेगा छुटकारा

अब आप बिना किसी जद्दोजहद के केवल अपनी दिल की धड़कन से किसी एक गाने को अलग-अलग धुन और ताल पर सुन सकते हैं। यह पढ़कर आप हैरान रह गए होंगे, लेकिन सच है। दरअसल, ब्रिटिश कंपनी ‘AI म्यूजिक’ ने इस टेक्नोलॉजी को डेवलप किया है।

यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से इंसान की हार्ट बीट को समझकर बिना किसी कमांड के गानों की धुन को बदल देती है। हाल ही में इस कंपनी को ‘एपल’ ने टेक ओवर किया है। आज के भास्कर एक्सप्लेनर में हम जानते हैं कि AI क्या होती है? AI के जरिए म्यूजिक की वर्किंग कैसे होती है? यह मशीन कैसे चलती है और कैसे गानों की धुनों को बदलती है?

‘AI म्यूजिक’ स्टार्टअप के बारे में जानते हैं
‘इंफाइनाइट म्यूजिक इंजन’ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाली ‘AI म्यूजिक’ कंपनी ब्रिटेन में 2016 में शुरू हुई थी। लंदन में इस स्टार्टअप का ऑफिस है, जो AI बेस्ड म्यूजिक को लेकर काम करता है।

ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एपल के साथ समझौता होने से पहले इस कंपनी में 20-25 कर्मचारी काम करते थे। यह कंपनी पहली बार म्यूजिक टेक्नोलॉजी में इस लेवल पर काम कर रही है कि कोई मशीन बिना किसी कमांड के यूजर्स की मानसिक स्थिति को भांपते हुए उनके मूड के हिसाब से पसंदीदा गानों की धुन बदल दे।

AI क्या होता है?
आपने अमेजन एलेक्सा के बारे में तो सुना ही होगा। वॉयस कमांड देते ही एलेक्सा आपकी पसंद के गाने या अन्य दूसरे कमांड को सुनकर उसे फॉलो करता है। यह सब कुछ AI टेक्नोलॉजी के जरिए होता है। यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके जरिए हम ऐसे एडवांस कंप्यूटर सिस्टम बना सकते हैं, जो इंसानी दिमाग की तरह चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकता है। साथ ही बिना किसी कमांड के वह खुद ही परिस्थितियों के हिसाब से फैसला ले सकता है।

AI के जरिए म्यूजिक की वर्किंग कैसे होती है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, यानी AI म्यूजिक इंडस्ट्री में कई तरह से काम करती है। इसकी कुछ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आर्टिस्ट करते हैं और कुछ का इस्तेमाल म्यूजिक ऐप अपने यूजर के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। AI के जरिए म्यूजिक की वर्किंग मुख्य रूप से तीन तरह से होती है-

1. ‘इंफाइनाइट म्यूजिक इंजन’: यह म्यूजिक इंडस्ट्री में AI का अपडेटेड वर्जन है। इसमें एक ही गाने की धुन और ताल में तीन से चार तरीके के बदलाव किए जाते हैं। इसमें डीप हाउस, जैज और स्लो एंड रिवर जैसे एक ही गाने के कई वर्जन मिलेंगे। इसे ऐसे समझिए कि आप जिम में वर्कआउट कर रहे हैं तो आपकी धड़कन तेज हो जाती है। एपल हैंड वॉच AI के जरिए इसे मॉनिटर करने के बाद जो सॉन्ग बज रहा है, उसकी धुन को ही बदल देगी।

2. नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP): यह तकनीक इंसान की स्पीच को टेक्स्ट के जरिए समझती है। आसान भाषा में कहें तो इसमें किसी गाने को उसके शब्दों के जरिए समझा जाता है। साथ ही इस प्रोसेस में गाने के बारे में इंटरनेट पर क्या चर्चाएं हैं, उसका आर्टिस्ट कैसा है इसे समझा जाता है। जिसमें कुछ ‘कीवर्डस’ का इस्तेमाल होता है यानी वो शब्द जो उस गाने और आर्टिस्ट के बारे में सबसे ज्यादा कहे जाते हैं।

3. ऑडियो मॉडल: यह AI टेक्नोलॉजी गाने की स्पीच की बजाय उसके ऑडियो पर रिसर्च कर जानकारी बटोरती है। गाने का सुर, लय और ताल समझ कर उसे यूजर्स को रिकमेंड करती है।

एक ही गाने के इन चार धुनों से समझिए पूरा मामला
अगर आप सोच रहे हैं कि AI को हमारे मूड के बारे में पता कैसे चलेगा? तो इसका जवाब है कि AI आपकी हार्ट बीट के जरिए आपके मूड का पता करता है। जैसे- आप दौड़ रहे हैं तो आपकी हार्ट बीट ज्यादा होगी। इसी तरह जब आप सो रहे होंगे तो आपकी नॉर्मल हार्ट बीट होगी, जिसे समझकर AI गाने की धुन को डीप हाउस, जैज और स्लो एंड रिवर में बदल देता है।

यहां एक बात जानना जरूरी है कि यह टेक्नोलॉजी सिर्फ उसी गाने पर लागू होगी, जिसका कॉपीराइट एपल के पास है या जिस गाने का फ्री कॉपीराइट ऑनलाइन मौजूद है।

नीचे चार लिंक पर एक ही गाने की अलग-अलग धुनों को सुन सकते हैं..

आपने केशरी फिल्म के ‘सच्चियां मोहब्बतां वे’ गाने के चार अलग-अलग धुनों को यहां सुना। पहला ‘डीप हाउस’ धुन है। जिन स्टूडेंट्स को गणित के सवाल सॉल्व करते समय सॉन्ग सुनने की आदत है, उनके लिए ये बेस्ट धुन है।

दूसरा ‘बेस एंड ड्रम’ है। वर्क आउट करते समय जब ‘हार्ट बीट’ ज्यादा होती है तो उस समय के लिए यह धुन बेस्ट है। तीसरा ‘स्लो एंड रिवर्ब’ है जो कम हार्ट बीट के समय सुनी जाने वाली बेस्ट धुन होती है। इसके अलावा. चौथा गाने का ओरिजनल वर्जन है।

इन चारों धुनों को ध्यान से सुनने के बाद आप समझ जाएंगे कि AI अलग-अलग समय एक ही गाने की धुनों को कैसे बदल देगा।

टेक कंपनी एपल इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कहां करेगी?
इस समय एपल म्यूजिक क्षेत्र में मुख्य रूप से चार तरह से लोगों को सर्विस प्रोवाइड करवा रही है।

  • हार्ड वेयर बनाकर- ईयर फोन
  • एपल म्यूजिक प्लेटफॉर्म- जैसे स्पॉटीफाई
  • वियरेबल हैंडबैंड या हैंडवॉच फिटनेस प्लस
  • एपल टीवी प्लस सर्विस

एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले समय में एपल अपनी इन सर्विस में इसका इस्तेमाल करेगी। एपल के पास जो फ्री कॉपीराइट ट्रैक पड़े हैं उसे AI की मदद से गाने के टैंपो को बदल देगा।

गानों में पहले भी कई कंपनियां AI का इस्तेमाल करती रही हैं
अगर आप म्यूजिक लवर हैं और लगातार म्यूजिक सुनते रहते हैं तो आपने स्पॉटीफाई का नाम जरूर सुना होगा। बता दें कि यह ऐप पहले से ही AI का इस्तेमाल करता है, लेकिन अब तक इसके काम करने का तरीका अलग था। स्पॉटीफाई जब भी आपको कोई गाना सजेस्ट या रिकमेंड करता है तो इसका मतलब यह है कि वह आपके गाने सुनने के व्यवहार को काफी करीब से जांच रहा है।

इसमें (NLP) नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बारे में आपने ऊपर पढ़ा है। स्पॉटीफाई के सीनियर डायरेक्टर जायद सुल्तान के मुताबिक, कई यूजर्स अपनी प्ले लिस्ट को बनाते समय उनके नाम देते हैं। जैसे- माई हैप्पी सॉन्ग, रॉक सॉन्ग, माई हैप्पी जैम्म सॉन्ग जिससे पता चलता है कि सुनने वाला क्या सुनना चाहता है।

हालांकि, पहले की इस तकनीक में ‘हार्ट बीट’ का इस्तेमाल नहीं होता था, जिसे अब एपल की ओर से टेक ओवर की गई स्टार्टअप ‘इंफाइनाइट म्यूजिक इंजन टोक्नोलॉजी’ कर रही हैं। इससे यूजर का अनुभव और बेहतर होगा।

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