ग्वालियर … गलत जानकारी देना पड़ा महंगा…:PWD के कार्यपाल यंत्री ने हाईकोर्ट को किया मिसप्लीड, कोर्ट ने दिए सस्पेंड करने के आदेश
- कोर्ट का पहला ऐसा आदेश है, जिसके पालन में अधिकारी निलंबित होंगे ….
ग्वालियर में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दतिया के PWD (लोक निर्माण विभाग) के कार्यपालन यंत्री एम के उदैनिया को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने यह आदेश कार्यपालन यंत्री उदैनिया के कोर्ट को मिसप्लीड (गलत जानकारी देने) करने के बदले में दिए हैं। दो सप्ताह बाद याचिका पर फिर से सुनवाई होगी। कार्यपालन यंत्री को निलंबित करने के आदेश पहली बार कोर्ट ने दिया है। अपने आप में यह पहला ऐसा आदेश है। लोक निर्माण विभाग ने दतिया जिले के धौर्रा होते हुए चूनाघट से चौकी तक साढ़े ग्यारह किमी लंबी सड़क का टेंडर जारी किया था। यह सड़क 12 करोड़ की लागत से तैयारी की जानी थी। इस सड़क के लिए ठेकेदार रविकांत बंसल ने भी टेंडर भरा था, लेकिन उनका टेंडर यह कहते हुए निरस्त कर दिया ग्वालियर के ठेकेदार रविकांत बंसल ने दतिया में हाईवे के निर्माण के लिए पिछले साल अक्टूबर महीने में टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। लेकिन कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया ने उनका टेंडर सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया था क्योंकि उन्होंने ठेकेदार बंसल पर 2020-21 की बैलेंस शीट पेश नहीं करने का आरोप लगाया था। टेंडर निरस्त करने पर ठेकेदार रविकांत बंसल में हाईकोर्ट में याचिका दायर की इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पिछले दिनों सरकार से जवाब तलब किया था। अपने रिप्लाई में सरकार की ओर से कहा गया कि टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए बैलेंस शीट के प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। कार्यपालन यंत्री उदैनिया ने अपने शपथ पत्र में इस बात को माना भी था जबकि ठेकेदार का टेंडर निरस्त करते समय उन्होंने बैलेंस शीट का हवाला दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने माना कि कार्यपालन यंत्री उदैनिया ने कोर्ट को मिसप्लीड किया है। जब ठेकेदार रविकांत बंसल ने हाईकोर्ट में अपना टेंडर निरस्त करने के कार्यपालन यंत्री के फैसले को चुनौती दी तब उन्होंने कोर्ट में भी गलत जानकारी देकर उसे गुमराह करने की कोशिश की। प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एमआर फड़के की डिवीजन बेंच ने रवि कांत बंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में दतिया के लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया ने अपने दायित्वों का निर्वाहन ठीक प्रकार से नहीं किया है और कोर्ट में भी गलत जानकारी दी है इसलिए उन्हें निलंबित करने के आदेश मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने दिए हैं।