उज्जेन … हे, मां शिप्रा…हम तुम्हारी स्वच्छता की रक्षा नहीं कर सकते ?
बदइंतजामी यह भी है कि शिप्रा किनारे नई कॉलोनियां, होटल्स आदि बन गए तो उनका गंदा पानी भी सीधे शिप्रा में छोड़ा जा रहा है। खान को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री स्तर तक संतों की चर्चा हो जाने के बाद भी धरातल पर कुछ नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर आला अफसरों, तकनीकी टीम ने शिप्रा और खान का दौरा किया। मंत्री भी इन नदियों के किनारे पहुंचे। लगा अब तो पक्का इंतजाम होगा ही। लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।
इस मामले में पीएचई के अमृत मिशन प्रभारी राजीव शुक्ला का कहना है शिप्रा में मिलने वाले नालों की रोकथाम के लिए नए सिरे से उपाय किए जा रहे हैं। रुद्रसागर नाले को सीवरेज लाइन से डाइवर्ट किया जाएगा। अन्य नालों के लिए भी काम हो रहा है।
होटल्स के एसटीपी भी चेक किए जाएंगे। जल संसाधन ईई कमल कुवाल के अनुसार खान को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए स्थायी उपाय को लेकर प्रोजेक्ट राज्य सरकार को भेजा है, जिसकी मंजूरी होना बाकी है। खान के पानी को शिप्रा में आने से रोकने के लिए अस्थायी उपाय किए गए हैं।
त्रिवेणी से ऋणमुक्तेश्वर तक मिल रहे शिप्रा में गंदे नाले
मोतीनगर
त्रिवेणी के समीप ही मोतीनगर क्षेत्र के गंदे पानी का नाला शिप्रा में मिल रहा है। इसकी रोकथाम का कोई उपाय नहीं किया गया है।
इंदौर रोड
इंदौर रोड पर कॉलोनियों और होटलों के गंदा पानी का कोई इंतजाम नहीं होने से गंदा पानी मैदन से होकर शिप्रा में मिल रहा है।
गऊघाट
गऊघाट क्षेत्र में नाले को डाइवर्ट किया गया है लेकिन इसका ओवर फ्लो सीधे शिप्रा में मिलता है। इसे रोकने के उपाय अपर्याप्त हैं।
लालपुल
लालपुल के नीचे रेलवे के लालपुल के नीचे गंदा पानी उफनता है। इसका पानी बह कर पुलिया पर से नदी में जाकर मिलता है। कर्कराज पर भी नाले मिल रहे है।
हरसिद्धि पाल
यहां पूर्व में 1600 एमएम की लाइन डाली गई थी लेकिन बारिश में इसका चैंबर ओवर फ्लो होता है तथा गंदा पानी सीधे शिप्रा में जाता है।
छोटी रपट
छोटी रपट पर नाले का गंदा पानी ओवर फ्लो होकर शिप्रा में जब तब मिल जाता है। यही स्थिति दुर्गादास छतरी नाले की है।
ऋण मुक्तेश्वर
ऋण मुक्तेश्वर और जूना सोमवारिया क्षेत्र के नाले भी शिप्रा में मिल रहे हैं। इन नालों को डाइवर्ट किया गया है लेकिन ओवर फ्लो की समस्या है।
होटल्स में एसटीपी जरूरी लेकिन जांच नहीं
शिप्रा किनारे बने होटल्स में गंदे पानी को साफ कर नालों में छोड़ने की शर्त के साथ निर्माण अनुमति दी है। इन होटलों में एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए हैं या नहीं, इसकी कभी जांच नहीं हुई। यदि होटल प्रबंधन ने एसटीपी लगाए हैं तो उनका संचालन हो रहा है या नहीं तथा हो रहा है तो मापदंड का पालन किया जा रहा है या नहीं, यह निगरानी जरूरी है। तकनीकी और सक्षम अधिकारियों की टीम बनाकर जांच कराई जाए तो गंदे पानी के शिप्रा में मिलने की समस्या हल होगी।
एक्सपर्ट बोले- सीवरेज लाइन से नाले जोड़ सकते हैं
शिप्रा को गंदे नालों से बचाने का उपाय सीवरेज प्लान में हो सकता है। शिप्रा की ओर जाने वाले सभी नालों को सीधे सीवरेज लाइन से जोड़ दिया जाए। रुद्रसागर के मामले में ऐसा किया गया है। बारिश में नालों को रोका जा सकता है। सीवरेज लाइन शिप्रा किनारे से होकर डाली जा रही है। सीएम गुप्ता, सेवानिवृत्त, ईई जल संसाधन