शराबबंदी कानून और सख्त होगा … बिहार में लागू होने के बाद 5 साल में बीवियों से मारपीट-हिंसा आधी हुई, देश में 12 फीसदी बढ़े अपराध

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से महिलाओं के खिलाफ हिंसा और घरेलू मारपीट में कमी आई है। अब राज्य सरकार इस कानून को और दुरुस्त करने की तैयारी में है। नीतीश सरकार शराबबंदी कानून में बदलाव कर उसे और प्रभावी बनाने जा रही है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कैबिनेट की अध्यक्षता करते हुए मद्य निषेध व उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2022 के प्रारूप को मंजूरी दे दी। अब इसे विधानमंडल में मंजूर किए जाने की प्रक्रिया शुरू होगी। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यह कदम उठाया है।

असल में, गुजरात, लक्षद्वीप और मिजोरम के बाद बिहार में 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी कानून लागू किया गया था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा, मारपीट में कमी दर्ज की गई। बिहार में शराबबंदी के बाद से भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) के तहत दर्ज मामलों में काफी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान बिहार में महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट में 45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 12 फीसदी बढ़ गया।

बिहार के आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से पहले, राज्य में हर महीने करीब 2.5 करोड़ लीटर शराब की खपत होती थी। वहीं उस वर्ष, देशभर में लगभग 5.4 बिलियन लीटर शराब की खपत थी।
बिहार के आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से पहले, राज्य में हर महीने करीब 2.5 करोड़ लीटर शराब की खपत होती थी। वहीं उस वर्ष, देशभर में लगभग 5.4 बिलियन लीटर शराब की खपत थी।

शराबबंदी कानून में हो रहा ये बदलाव
संशोधन प्रारूप में शराब की बिक्री और इसकी तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त नियमों को शामिल किया गया है। संशोधन प्रारूप में स्पष्ट किया गया है कि बंदी के बावजूद शराब की बिक्री संगठित अपराध की श्रेणी में आएगी। इस प्रकार के धंधेबाज और तस्करों की संपत्ति जब्त करने की अनुशंसा भी प्रस्ताव में शामिल है।

इसी तरह ऐसा कोई भी पदार्थ जिससे शराब बन सकती है, उसे मादक द्रव्य की श्रेणी में लाया जाएगा। कानून में संशोधन प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद शराब पीते पकड़े जाने वाले अभियुक्तों का ट्रायल एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या इससे ऊपर की रैंक के अधिकारी करेंगे। पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर जुर्माना लेकर छोड़ दिए जाने का प्रावधान संशोधित कानून में किया जा रहा है। शराब तस्करों और बड़े धंधेबाजों पर पहले की तरह कोर्ट में ही मामला चलेगा।

नकेल कसने की तैयारी
नीतीश सरकार शराबबंदी पर और बेहतर ढंग से काम करते हुए कई तरह की रणनीति पर काम कर रही है। इसके तहत तस्करी में लगे वाहनों को जब्त करने की प्रक्रिया को सरल किया जाने की उम्मीद है, ताकि उनपर तत्काल नकेल कसी जा सके। तस्करी में लगे लोगों की संपत्ति जब्त हो सकती है।

शराब मामलों का ट्रॉयल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, डिप्टी कलक्टर या इससे ऊपर के अधिकारी कर सकते हैं। शराब पीने वाले को इस स्तर से बेल मिल जाएगी। शराब पीने वालों की न्यूनतम सजा तीन महीने से घटाकर एक माह की जाएगी। जुर्माने की राशि घटायी जाएगी।

शराबबंदी कानून पर अपनी राय देते चलिए

अहम कड़ी हैं जीविका दीदियां
शराबबंदी के बाद बिहार के गांवों में जीविका दीदियों ने अहम रोल निभाया है। जीविका समूह की जीविका दीदियां लोगों के बीच जाकर शराबबंदी, बाल-विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ लगातार जागरूक कर रही हैं। इसके अलावा ‘जीवन में अगर करनी है तरक्की तो नशे से दूरी करें पक्की’ बिहार में इस तरह के स्लोगन हर गली कूचे में लिखे मिल जाएंगे।

बिहार ऐसा पहला राज्य था जहां जीविका जैसा अभियान चलाया गया। अब पूरे देश में यह आजीविका मिशन के नाम से चलता है। कारोबार के मामले में भी जीविका दीदियां पीछे नहीं हैं। इन्होंने बैंकों से 16,537 हजार करोड़ का लेन-देन किया। हाल ही में समाज सुधार अभियान कार्यक्रम के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों की तारीफ करते हुए कहा था कि 2018 में बिहार में एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब को छोड़ा था। इस बार भी शराब छोड़ने वालों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है।

बिहार में महिलाएं भी पीती हैं शराब
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में महिलाएं भी शराब पीने में पीछे नहीं हैं। करीब 0.4 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं। हालांकि, रिपोर्ट में अन्य राज्यों में भी शराब पीने वाली महिलाओं के आंकड़े बताए गए हैं। संपन्न राज्य के तौर पर शुमार महाराष्ट्र में भी करीब 0.4 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं।

कोर्ट में 3 लाख 50 हजार मामले लंबित
शराबबंदी कानून को असरदार बनाने के लिए बिहार में विशेष न्यायालयों का गठन के बाद केसों के ट्रायल के मामले में तेजी तो आई है। लेकिन फिर भी काफी मामले लंबित हैं। ऐसे मामलों की संख्या 3 लाख 50 हजार से भी ज्यादा है। इस पर नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार भी सुननी पड़ी है।

ड्रोन से निगरानी का मॉडल
अवैध शराब निर्माण करने वालों पर बिहार के सुदूर क्षेत्रों में ड्रोन और मिनी हेलिकॉप्टर ड्रोन से निगरानी की जा रही है। बिहार को पांच जोन में बांटा गया है। उत्पाद विभाग के साथ ड्रोन की प्राइवेट कंपनियों की 4 यूनिट इस निगरानी में लगी हुई हैं। इसमें 8 हाईटेक ड्रोन भी शामिल हैं।

हेलिकॉप्टर ड्रोन का इस्तेमाल आम तौर पर विदेशों में सामान की होम डिलीवरी करने में किया जाता है। उड़ान के दौरान हाई क्वालिटी एचडी कैमरों का भी इस्तेमाल किया गया। इससे अवैध शराब के अड्डों की ज्यादा स्पष्ट तस्वीरें खींची गईं। ड्रोन से खींची तस्वीरों का इस्तेमाल ट्रायल के दौरान सबूत के तौर पर भी किया गया।

और राज्यों में भी उठ रही है मांग
कई और राज्यों में भी शराबबंदी की मांग ने तेजी पकड़ी है। राजस्थान ने मंगलवार को अपना एक प्रतिनिधिमंडल शराबबंदी पर बिहार मॉडल अपनाने के लिए ही भेजा है। वहीं, राजधानी दिल्ली और मध्य प्रदेश में महिलाएं जोर-शोर से इस मुद्दे को उठा रही हैं। बिहार से सटे झारखंड में भी शराबबंदी की मांग ने तेजी पकड़ी है। हरियाणा की महिलाएं भी ठेकों के खिलाफ हैं। हरियाणा और आंध्रप्रदेश शराबबंदी का फैसला लेकर पीछे हट चुके हैं।

भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते शराब मार्केट वाला देश है। राज्य सरकारों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब पर टैक्स से आता है। इसीलिए सरकारें इस पर पाबंदी लगाने की हिम्मत नहीं कर पाती।

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