पुलिस अफसरों के चहेते TI को न्यायालय की फटकार ….

हाईकोर्ट ने कहा- निरीक्षक को लॉ का ज्ञान, न अनुसंधान की जानकारी; ट्रेनिंग की जरूरत…..

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वाालियर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने भिंड के देहात थाना में पदस्थ कार्यवाहक निरीक्षक रामबाबू यादव को कड़ी फटकार लगाई। एक मामले की सुनवाई में देहात थाना प्रभारी द्वारा पेश की गई चार्टशीट में अनुसंधान ठीक नहीं पाया गया। पकड़े गए आरोपित की परेड शिनाख्ती भी नहीं कराई गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस अहलूवालिया ने देहात थाना प्रभारी को स्पष्ट व कड़े शब्दों में कहा कि आपको लॉ की जानकारी नहीं है। ना ही अनुसधान ठीक से किया गया है।

हाईकोर्ट ने आदेशित किया देहात थाना प्रभारी को कम से कम छह महीने की ट्रेनिंग किसी भी पीटीएस में कराई जाए । पंद्रह दिन के अंदर ट्रेनिंग ज्वाइंनिग कराकर जानकारी दी जाए। ये आदेश का तत्काल प्रभाव से पालन कराए जाए। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश डीजीपी और भिंड एसपी को भी अवगत कराया गया है।

दरअसल, मामला यह था कि वर्ष 2012 में सशत्र लूट, डकैती व अवैध हथियार के अपराध के अनुसंधान में फरार वारंट की राजवीर सिंह को देहात पुलिस ने प्रॉडेक्शन वारंट पर पकड़ा और न्यायालय में पेश किया। इस मामले में आरोपी द्वारा न्यायालय में जमानत की अर्जी लगाई गई। ये अर्जी की सुनवाई जस्टिस आहलूवालिया की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस ने मामले का अनुसंधान ठीक से नहीं पाया और आरोपी की परेड शिनाख्ती न होने पर जमानत निरस्त कर दी गई। इसके बाद इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से पुलिस के अनुसंधान पर सवाल खड़े किए। जब इस मामले में हाईकोर्ट ने देहात थाना प्रभारी रामबाबू यादव को तलब किया। न्यायालय द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में थाना प्रभारी द्वारा ठीक से जवाब नहीं दिए गए। हर सवाल के जवाब में देहात थाना प्रभारी यादव द्वारा न्यायालय को गुमराह किया गया। न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश पर जस्टिस ने कड़ी फटकार लगाई।

जब न्यायालय ने पूछा कि इस मामले में इतना विलंब क्यों हुआ?

  • थाना प्रभारी ने कहा- मेरे संज्ञान में मामला नहीं था। डीजीपी कार्यालय से आए पत्र में वारंटियों को गिरफ्तारी पर आरोपी को पकड़ा गया था।

न्यायालय ने कहा कि आरोपित की परेड शिनाख्त क्यों नहीं कराई गई?

  • इसका जवाब थाना प्रभारी ठीक से न देकर तहसीलदार पर डलाना चाहा। उन्होंने कहा कि पत्र तहसीलदार को लिखा गया था।

जब न्यायालय ने पूछा पत्र कब लिखा गया?

  • इस पर जवाब आया कि सुनवाई के एक दिन पहले 24 अप्रैल को लिखा गया था।

इस तरह न्यायालय के समक्ष जवाब पेश करने पर जस्टिस ने कड़ी फटकार लगाते हुए पुन: प्रशिक्षण की जरूरत बताई और तत्काल प्रभाव से प्रदेश के किसी भी प्रशिक्षण केंद्र को ज्वाइन करके पास किए जाने की हिदायत दी। इस संदर्भ में मध्य प्रदेश डीजीपी को भी पत्र भेजा गया है।

आला अफसरों नहीं पहचान पाए, न्यायालय ने पकड़ी गलती

भिंड में पदस्थ पुलिस विभाग के आला अफसर थाना प्रभारी रामबाबू यादव की कार्यशैली को नहीं समझ सके। हाईकोर्ट ने पेश की गई चार्जशीट डायरी को पढ़कर अपराध के अनुसंधान को अधूरा पाया। जबकि हर कार्रवाई में भिंड के पुलिस अफसर थाना प्रभारी यादव की काईवाई की प्रशंसा करते थे। जब न्यायालय ने अपराध के अनुसंधान को बारीकी से पढ़ा तो कई गलतियां मिली। जिनका सही ढंग से जवाब भी नहीं दे सके।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीने पहले रामबाबू यादव एसआई से प्रमोशन पाकर कार्यवाहक निरीक्षक बने थे। इसके बाद उनका स्थानांतरण राजगढ़ जिले में हो गया था। कुछ ही महीनों बाद फिर से भिंड में वापस लौटे। इस बार वे शहर के सबसे अच्छा कहे जाने वाले थाना देहात में पदस्थ हुए। यहां रहकर जिले के एक नेता के भाई के सानिध्य में आ गए।

ये आरोप पहले भी लगे

  1. कार्यवाहक निरीक्षक रामबाबू यादव पर एक दंपती द्वारा प्रताड़ित करने का आरोप लग चुका है। ये दंपती थाना प्रभारी यादव के खिलाफ सीएम हाउस पर भी धरने पर बैठ चुके थे। इसके बाद भी पुलिस अफसरों व नेता के भाई के कृपा पात्र बने रहे।
  2. भिंड में स्वतंत्र नगर में जहरीली शराब बनाए जाने के मामले में कोतवाली में पदस्थ तत्कालीन निरीक्षक राजकुमार शर्मा को संस्पेड किया गया था। इसके बाद स्वतंत्र नगर में देहात सीमा में होने का आरोप था। इस समय भी देहात थाना प्रभारी यादव हाईलाइट हुए थे। हालांकि ये मामला आज तक नहीं सुलझा।

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