किताबों से पढ़ाई का आकर्षण धीरे-धीरे कम हो रहा, ऐसे में सीखने का नया तरीका अपनी जगह बना रहा

कभी ऐसा होता है कि आप किचन से बच्चे को लगातार पुकार रही हैं पर जवाब नहीं मिलता। आप देखने बाहर आती हैं और पाती हैं कि वह हेडफोन लगाए वीडियो गेम खेलने में व्यस्त है। स्क्रीन पर एक हीरो युद्ध जैसे कपड़े पहने बंदूक लेकर किसी को मार रहा है। ये आमतौर पर युद्ध जैसी स्थिति होती है। ऐसे हालात में क्या आपने बड़बड़ाते हुए कहा है, ‘तुम और तुम्हारे वीडियो गेम!

इन दिनों ज्यादा ही वीडियो गेम खेल रहे हो इसलिए हर जगह बस हिंसक व्यवहार कर रहे हो?’ अगर ऐसा है, तो आप नॉर्मल मांओं जैसी हैं, जिनका परंपरागत तर्क कि वीडियो गेम बच्चों के लिए खराब हैं, ऐसा सिर्फ भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया समझती है। वो इसलिए क्योंकि आप और मैं मानते हैं कि कम्प्यूटर गेम बच्चों के ध्यान भटकाने का बड़ा कारण हैं।

कई अभिभावकों ने माना कि गेम में शूटिंग-किलिंग जैसी एक्टिविटी से उनके एकेडमिक्स पर नकारात्मक असर को लेकर वे चिंतित हैं। अब कल्पना करें कि अगर बच्चा बोले, ‘मम्मी, परेशान मत करो, मैं होमवर्क पूरा कर रहा हूं और मुझे इस आदमी की खाना देकर मदद करनी है, वरना उसका 5 साल का बेटा कुछ घंटों में मर जाएगा।’

आपको ताज्जुब होगा कि ये क्या चल रहा है। वो इसलिए क्योंकि वह अभी भी ईयरफोन लगाए टीवी स्क्रीन पर देख रहा है और गेम में अपनी गाड़ी हटाने की कोशिश कर रहा है। स्क्रीन पर युद्ध जैसी स्थिति ही है। अब आप क्या सोचेंगी? आपका बच्चा सफेद झूठ बोल रहा है, है ना? पर अगर आप पोलैंड में रहती हैं तो शायद बच्चा सच बोल रहा होगा।

वह जरूर ‘एम्पेथी’ (हमदर्दी) विषय पढ़ रहा होगा! आप सोचेंगे ये क्या है? दरअसल पोलैंड ने सोशियोलॉजी, एथिक्स, फिलॉसफी, हिस्ट्री की पढ़ाई में मदद के लिए हाई स्कूल रीडिंग लिस्ट में गेम्स को शैक्षणिक संसाधन के रूप में आधिकारिक मान्यता दी है। चूंकि किताबों से पढ़ाई का आकर्षण धीरे-धीरे कम हो रहा है, ऐसे में सीखने का नया तरीका, वो भी प्रमाणिकता के साथ स्कूलों में अपनी जगह बना रहा है!

पोलैंड के प्रधानमंत्री मैटिअस्ज़ मोराविएकी के बयान को वहां के अखबार ने कोट किया कि ‘पोलैंड दुनिया में पहला देश होगा, जो अपने कम्प्यूटर गेम को शिक्षा मंत्रालय की रीडिंग लिस्ट में शामिल कर रहा है।’ बहुचर्चित गेम ‘दिस वॉर ऑफ माइन’ को पोलैंड के 11 बिट स्टूडियो ने बनाया था और काफी प्रशंसा के बीच 2014 में जारी हुआ। इस गेम का फोकस युद्ध में प्रभावित आम नागरिक हैं।

नागरिकों के पास एक ही विकल्प बचता है कि वे भोजन तलाशें, छिपे रहें और बस जिंदा रहें। असल जिंदगी के हालातों जैसे भूख, युद्ध का डर, टूटे घर, जीवन का आखिरी संघर्ष- असली भूगोल व शहरी लैंडस्केप पर आधारित है। यह खिलाड़ियों को प्रेरित करता है कि वे भोजन, दवाएं, आसरा खोजने के लिए प्रेम-हमदर्दी से भरे नैतिक चुनाव करें साथ ही खुद जिंदा रहें और दूसरों की जिंदा रहने में मदद करें।

ये गेम पोलिश सरकार की वेबसाइट पर छात्रों-शिक्षकों के लिए डाउनलोडिंग हेतु मुफ्त है। बहुत हद तक जैसे कल्पनाओं-कहानियों से हमें मानवीय अनुभव वाले पात्रों को फील करके उनकी दुनिया में खो जाने का मौका मिलता है, जिनसे असल जीवन में नहीं मिल सकते, ठीक इसी तरह वीडियो गेम में भी ऐसी दुनिया से मिलाने की ताकत है। यह खिलाड़ियों के बीच दयालु होने, सहानुभूति, समझदार होने की सोच को बेहतर बनाता है।

फंडा यह है कि बुरे उत्पाद हमेशा बुरे नहीं होते, बस पता हो कि अच्छे मानवीय गुण विकसित करने के लिए एक उत्पाद से क्या बेहतर निकाल सकते हैं। अपना ध्यान उन गुणों की ओर ले जाएं, भले वह तथाकथित बुरा उत्पाद (ऐसा मानते हैं) क्यों न हो, फिर चमत्कार देखें।

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