मुरैना : पहले जनपद फिसले, अब सभापति पर संकट …?

कांग्रेसियों का दावा- हम बनाएंगे अपना सभापति, समीकरण इशारा कर रहे भाजपा की तरफ…..

मुरैना में निगम सभापति की कुर्सी के लिए संघर्ष चल रहा है। पांच अगस्त को सभापति के लिए बहुमत सिद्ध करना है। कांग्रेस अपने पार्षदों को घेरे है तथा सभापति पद के दावेदार राजा दण्डौतिया अपने पार्षदों को लेकर नदारद हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है तथा पहली ही बार में भाजपा ने अपने पार्षदों की संख्या 15 से बढ़ाकर 20 कर ली है।

बता दें, कि भाजपा की यह 20 संख्या वह है जो सामने दिखाई दे रही है जबकि हकीकत में यह संख्या बढ़ी हुई बताई जा रही है। निगम के 47 वार्डों में से जिस पार्टी के पास अधिक बहुमत होगा, सभापति भी उसका बनना तय है। कांग्रेसी मुरैना नगर निगम पर कब्जा करने के लिए पूरी ताकत झौंक रहे हैं। जनता ने उनकी पार्टी की महापौर शारदा सोलंकी को जिताकर निगम उनके खाते में कर दी है लेकिन जब तक सभापति नहीं बनता है यह खाता अधूरा ही रहेगा। लिहाजा अपना एकाधिकार जमाने के लिए कांग्रेसी पूरी ताकत लगा रहे हैं। भाजपा भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। जनता ने भले ही उसका साथ न देकर महापौर की कुर्सी कांग्रेस के हाथों में थमा दी है लेकिन भाजपा गठजोड़ करके सभापति की कुर्सी हथियाना चाहती है, जिससे कि निगम में सभापति व निगमायुक्त जब उनका होगा तो महापौर की हालत पर कतरे पंक्षी की तरह रहेगी।

भाजपा ने दिखा दिए 20 पार्षद
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भाजपा ने अपने 15 से बढ़ाकर 20 किए पार्षद दिखा दिए हैं तथा उनके सभी 20 पार्षद पार्टी का पटका गले में डाले कुर्सियों पर जमे थे। दूसरी तरफ कांग्रेस भले ही 30 पार्षदों का दावा करे लेकिन उसके 30 पार्षद सामने नहीं आ पा रहे हैं। इससे लोगों में स्पष्ट शंका हो रही है कि जनपदों की तरह सभापति के चुनाव में भी भाजपा अपना हाथ न मार ले जाए।
कांग्रेस ने स्वीकारा, उसके लोगों ने की गद्दारी
इस बात को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वृंदा सिंह सिकरवार ने पत्रकारों के सामने स्वीकारा है कि जनपदों में कांग्रेस को अपने अध्यक्ष पदों से जो हाथ धोना पड़ा है, उसमें उनकी ही पार्टी के लोगों का हाथ है। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि उनकी पार्टी के कुछ लोगों ने उनके साथ गद्दारी की है। लेकिन वे इस बात का दम भर रहे हैं कि सभापति की कुर्सी किसी भी कीमत पर भाजपा के हाथ नहीं जाने देंगे। वे इस बात को भी कह रहे हैं कि उनके पास 30 पार्षद हैं लेकिन जब 20 पार्षद भाजपा ने खुलेआम मंच पर दिखा दिए तो फिर 30 पार्षद उनके पास कैसे आ सकते हैं जबकि निगम में तो केवल 47 ही पार्षद हैं। फिलहाल इस झूठ का खुलासा पहले ही हो चुका है। भाजपा ने अपने पूरे पत्ते नहीं खोले हैं। ठीक वैसे ही जैसे जनपदों में नहीं खोले थे और ऐनवक्त पर जनपद अध्यक्षों की कुर्सियों पर कब्जा कर लिया था, ठीक यही रणनीति सभापति के चुनाव में भी अपनाए जाने की बात कही जा रही है।

मंच पर भाजपा के पार्षद
मंच पर भाजपा के पार्षद

कांग्रेसी समझ रहे अपनी कमजोरी
कांग्रेसी भले ही ऊपरी मन से इस बात को कह रहे हैं कि सभापति की कुर्सी वे किसी भी कीमत पर भाजपा के हाथों में नहीं जाने देंगे, लेकिन अन्दर ही अन्दर वे इस बात को समझ रहे हैं कि वे कितने असंगठित व कमजोर हैं तथा उनके दावों में कितना खोखलापन है।

शांत बैठे भाजपाई, ऐन वक्त पर करेंगे खेल
जानकारी के मुताबिक भाजपाई इस वक्त पूरी तरह शांत हैं तथा उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लोगों की माने तो ऐनवक्त पर भाजपाई खेल करेंगे और अपना सभापति बना ले जाएंगे। फिलहाल, उस समय ऊंट किस करवट बैठता है, यह तभी पता लगेगा, लेकिन लोगों को 5 अगस्त का बेसब्री से इंतजार है।

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