MP में रैगिंग का खौफ…

जुबान पर रिस्पेक्टेड सर:हॉस्टल फुल हुए तो 4 महीने में 4 केस; टॉर्चर इतना किया कि 5 दिन में छोड़ना पड़ा…

मध्यप्रदेश के कॉलेजों में पिछले चार महीने में रैगिंग के चार बड़े मामले सामने आ चुके हैं। ताजा मामला रतलाम मेडिकल कॉलेज का है, जहां हाल ही में जूनियर्स को चांटे मारने का वीडियो सामने आया है, जिसमें अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कोरोना के बाद हॉस्टल खुलते ही हेट रैगिंग के केस तेजी से बढ़े हैं, क्योंकि दो साल बाद कॉलेज के हॉस्टल पूरी तरह अब भरे हैं।

…….ने कई जूनियर स्टूडेंट और एक्सपर्ट से बात कर जाना कि रैगिंग कैसे हो रही और इसे कैसे रोका जा सकता है।

केस 1: भोपाल में इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने सीनियर्स के जुल्मों की दास्तां सुनाई

स्टूडेंट ने बताया- कॉलेज में पहले दो-तीन दिन तो सीनियर्स कुछ नहीं कहते। चौथे दिन से रैगिंग शुरू करते हैं। पहले सर बुलवाएंगे। फिर कुछ आदेश दिए जाएंगे कि क्या करना है और क्या नहीं करना। किसके सामने बैठना, किसके सामने नहीं बैठना। फिर धीरे-धीरे कुछ न कुछ करने को कहेंगे। विरोध करने पर मारपीट करते हैं। मैंने तो पांच दिन बाद ही हॉस्टल छोड़ दिया। मेरे साथी हॉस्टल के उन दिनों के बारे में बात करना भी पसंद नहीं करते। मुंह भी नहीं खोलना चाहते। करीब एक महीने तक रोज टॉर्चर झेलना पड़ता है। यही नहीं, सेकंड ईयर के छात्रों को भी रैगिंग झेलना पड़ती है। शुरुआती एक महीने यह सिखाया जाता है कि रैगिंग कैसे लेना है।

केस 2: इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के ये तरीके अपनाए गए

केस 3 : खंडवा के भगवंतराव मंडलोई कृषि कॉलेज के स्टूडेंट ने जहर खा लिया

8 जुलाई को भगवंतराव मंडलोई कृषि कॉलेज में B.sc फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट हरिओम पाटीदार ने रैगिंग से तंग आकर जहर खा लिया था। उसकी जान तो बच गई, लेकिन एक महीने बाद भी उसके दिमाग से रैगिंग का खौफ नहीं गया है। हरिओम से जानिए, आखिर उसने ये कदम क्यों उठाया…

निगेटिव थिंकिंग अभी भी है। रैगिंग से खौफ बन गया है। ऐसा लगता है कि कॉलेज गया और फिर से वही न शुरू हो जाए। कॉलेज में किसी बात करता हूं, तो सबसे पहले रिस्पेक्टेड सर ही लगाता हूं। रिस्पेक्टेड सर पानी लीजिए। रिस्पेक्टेड सर ये कीजिए। जो उन्होंने सिखाया है, वह मेरे दिमाग में बस गया है। तीन बटन पर सिर झुकाकर बैठा देते थे। रात 9 बजे से सुबह 3 बजे तक बैठा रहता था। उसके बाद थप्पड़ों की बारिश होती थी। जिसका जितना मन होता था, उतना मारते थे। 35 से 40 थप्पड़ तक जड़ते थे। अभी भी मारपीट याद आता है, तो शरीर में सिहर जाता हूं। डर लगता है।

केस 4 : इंदौर के MGM मेडिकल कॉलेज में बात अप्राकृतिक संबंध बनाने तक पहुंची

इंदौर का MGM मेडिकल कॉलेज। जुलाई महीने में यहां रैगिंग की बात सामने आई। कॉलेज के सीनियर्स पर जूनियर्स को एक-दूसरे से अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। सीनियर, छात्राओं पर अश्लील कमेंट्स करने को कहते थे। एंटी रैगिंग कमेटी को शुरुआती जांच में रैगिंग के सुबूत भी मिले हैं। कमेटी की रिकमेंडेशन पर कॉलेज की ओर से संयोगितागंज पुलिस ने सीनियर्स के खिलाफ अज्ञात में केस किया है।

सीनियर स्टूडेंट्स, फर्स्ट ईयर के स्टूडेंटस की तीन माह से रैगिंग ले रहे थे। डीन डॉ. संजय दीक्षित बताते हैं कि मुझे शिकायत मिली तो मामला तुरंत एंटी रैगिंग कमेटी को सौंपा। कमेटी ने जांच में मामला गंभीर पाया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश के बजाय आरोपी सीनियर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। पुलिस ने UGC अधिनियम की धारा 5, 17, मारपीट, धमकी सहित अन्य धाराओं में कार्रवाई की है।

इंडेक्स कॉलेज में ऐसे रैगिंग लेते हैं सीनियर्स

  • आरोपी स्टूडेंट्स उसे हर सीनियर का नाम, उसके एड्रेस सही तरीके से बताने पर बाध्य करते हैं।
  • स्टूडेंट से रोजाना शेविंग करके आने को कहा जाता है।
  • हर बार उसे अलग-अलग जगह बुलाते है। अगर वह लेट हो जाता, तो उतनी देर तक उठक-बैठक लगवाते हैं।
  • स्टूडेंट थककर चूर हो जाता, तो भी उसे बैठने भी नहीं देते।
  • जूनियर स्टूडेंट अगर किसी सीनियर का नाम गलत बता देता, तो वे उसके साथी स्टूडेंट्स से उसे चांटे लगवाते हैं।
  • सीनियर्स कहते हैं कि चांटे की आवाज नहीं आई। ऐसा कहकर कई बार चांटे लगवाते थे।
  • पीड़ित स्टूडेंट समेत अन्य को उनकी क्लासमेट छात्रा का नाम लेने, उसे गाली देने, उनके फिगर, रंग आदि को लेकर कमेंट करवाते हैं।
  • कई बार स्टूडेंट को साथियों से अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए कहते थे।
  • इसके लिए फ्लैट पर बुलाते थे। इस दौरान वे उनके मोबाइल रख लेते थे ,ताकि वे रिकॉर्ड नहीं कर सके।
  • जूनियर को उसके साथियों के साथ फ्लैट में 5 घंटे तक रहने को बाध्य करते हैं।
  • फ्लैट छोड़ने के बाद कहते, जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ। कई सीनियर्स तो ऐसे हैं, जिन्हें कॉलेज में पांच साल हो गए हैं।
  • जूनियर्स को लाइब्रेरी व कैंटीन में भी नहीं जाने देते। यहां तक कि वे वाटर कूलर तक जाने से भी रोक लिया जाता था।

एक्सपर्ट बोले- पहले परंपरा थी रैगिंग, अब वह बात नहीं

मध्यप्रदेश के रिटायर्ड डीजी अरुण गुर्टू बताते हैं…

इंस्टीट़्यूट के काफी संख्या में हेड रैगिंग को परंपरा मानते हैं। वह इसे छोटी घटना मानकर इग्नोर करते हैं। यही चीज बाद में बढ़ जाती थी। रैगिंग में पहले हंसी मजाक होता था, लेकिन स्टूडेंट अब सेक्स और मारने तक उतारू हो गए हैं। इस तरह की घटनाएं कभी नहीं होती थीं। पहले अच्छी परंपरा होती थी, लेकिन अब वह बात नहीं रही। कई छात्र छोटी जगहों से आते हैं। उनके लिए यहां के माहौल में ढलना आसान नहीं होता। शहर के लड़के गुंडा ग्रुप बना लेते हैं। उसका फायदा उठाते हैं। माता-पिता बच्चे की अच्छी पढ़ाई के लिए दूर भेजते हैं। यहां उन्हें इस तरह का माहौल मिलता है। इसी कारण वे यहां पर सुसाइड कर लेते हैं।

अब प्रदेश में रैगिंग के केस को समझते हैं…

खुदकुशी करने वाले चेतन के पिता को अब भी न्याय का इंतजार

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के स्टूडेंट चेतन पाटीदार की ने रैगिंग से परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी। चेतन के पिता कहते हैं- पुलिस ने बेटे का मोबाइल फोन भी जांच के लिए लिया था लेकिन अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जिससे हमें लगे कि हमें न्याय मिला है।

रतलाम मेडिकल कॉलेज में जूनियर्स को कतार में खड़ा कर मारे थप्पड़

रतलाम के सरकारी मेडिकल कॉलेज से रैगिंग का मामला सामने आया है। हॉस्टल में जूनियर्स को कतार में खड़ा कर सीनियर्स ने रैगिंग ली। जूनियर्स को थप्पड़ मारे। इतना ही नहीं, मौके पर पहुंचे वार्डन डॉ. अनुराग जैन से भी सीनियर स्टूडेंट्स ने बदतमीजी की। उन पर शराब की बोतलें फेंकी।

भोपाल के मैनिट में रोज 20 जूनियर्स रैगिंग के शिकार

भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT) में रैगिंग के मामले सामने आते रहते हैं। 31 मार्च को यूजीसी एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत की गई। आरोप है कि हर दिन 20 जूनियर्स रैगिंग के शिकार हो रहे हैं। सीनियर्स उन्हें लगातार थप्पड़ मारते हैं, स्मोकिंग के लिए भी दबाव बनाते हैं। थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स, जूनियर्स को कैंपस के बाहर रेस्टोरेंट्स और कैफे तक में जाने नहीं देते। नई दिल्ली से जांच के निर्देश MANIT की एंटी रैगिंग कमेटी को दिए गए हैं।

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